भारत-एफएओ साझेदारी से ब्लू पोर्ट्स का निर्माण
स्मार्ट तकनीक और 369 करोड़ की परियोजना से मत्स्य क्षेत्र में नया आयाम
नई दिल्ली। भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्य विभाग (DoF) ने संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के साथ तकनीकी सहयोग कार्यक्रम (TCP) समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस करार का उद्देश्य भारत में विश्व स्तरीय ब्लू पोर्ट्स अवसंरचना का विकास और मत्स्य पालन क्षेत्र में क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना है।
इस सहयोग के तहत, विभाग और एफएओ ने तीन वेबिनार और भौतिक कार्यशालाओं की श्रृंखला शुरू की है। इसी क्रम में पहला वेबिनार “ब्लू पोर्ट की नींव: मछली पकड़ने के बंदरगाहों में मूल्य सृजन” विषय पर आयोजित किया गया।
डॉ. अभिलक्ष लिखी: “AI और 5G से मछली बंदरगाहों में क्रांति आएगी”
मत्स्य विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कहा कि मछली पकड़ने के बंदरगाह केवल भौतिक संरचनाएं नहीं, बल्कि आर्थिक विकास, पारिस्थितिक स्थिरता और सामाजिक समावेशन के रणनीतिक द्वार हैं।
उन्होंने जोर दिया कि 5जी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, स्वचालन और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म जैसी तकनीकें सेवा वितरण और दक्षता में बड़ा बदलाव लाएंगी।
उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) और मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (FIDF) की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन योजनाओं से आधुनिकीकरण, हितधारक सशक्तिकरण और जलवायु लचीलापन को बढ़ावा मिलेगा।
369 करोड़ रुपये से तीन आधुनिक बंदरगाहों का विकास
एफएओ की तकनीकी मदद से गुजरात (जखाऊ), दमन-दीव (वनकबारा) और पुदुचेरी (कराईकल) में 369.8 करोड़ रुपये के निवेश से स्मार्ट एवं एकीकृत मत्स्य बंदरगाह विकसित किए जा रहे हैं।
इन बंदरगाहों में शामिल होंगे:
आईओटी उपकरण, सेंसर नेटवर्क और डेटा एनालिटिक्स
पर्यावरण अनुकूल तकनीकें जैसे वर्षा जल संचयन, ऊर्जा-कुशल लाइटिंग, विद्युत उपकरण
मजबूत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली (सीवेज ट्रीटमेंट और समुद्री मलबे की सफाई)
एफएओ और अंतरराष्ट्रीय सहयोग
वेबिनार में एफएओ के प्रतिनिधि श्री ताकायुकी हागिवारा सहित कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने प्रस्तुति दी।
स्पेन के विगो पोर्ट पर आधारित केस स्टडी साझा की गई।
ब्लू पोर्ट्स मॉडल से पर्यावरणीय प्रभाव घटाने और सामाजिक-आर्थिक लाभ बढ़ाने पर चर्चा हुई।
कार्यक्रम में एफएओ मुख्यालय, तटीय राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी, समुद्री बोर्ड, प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण और मत्स्य सहकारी समितियां शामिल हुईं।