नवोन्मेषी किसान कॉन्क्लेव 2025 का समापन: किसान-नेतृत्व वाले नवाचार से साकार होगा ‘विकसित भारत’
नई दिल्ली –भा.कृ.अनु.प.–भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर–आईएआरआई), नई दिल्ली द्वारा आयोजित नवोन्मेषी किसान कॉन्क्लेव 2025 का समापन सत्र 24 दिसंबर 2025 को सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। यह सम्मेलन किसानों के कल्याण हेतु समर्पित रहा तथा इसका आयोजन पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी की जयंती के अवसर पर उनके आजीवन किसान हितैषी योगदान को स्मरण करते हुए किया गया।
किसान-नेतृत्व वाला नवाचार है कृषि विकास की कुंजी: डॉ. राज एस. परोदा
समापन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. राज एस. परोदा, संस्थापक अध्यक्ष, ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (TAAS) ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत जैसे परिश्रमी, नवाचारी और जिज्ञासु किसान विश्व में कहीं और नहीं हैं।
उन्होंने किसान-नेतृत्व वाले नवाचार को कृषि क्षेत्र की सबसे सशक्त प्रेरक शक्ति बताते हुए समावेशी और सतत कृषि विकास पर बल दिया।
डॉ. परोदा ने रासायनिक कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए जैव-कीटनाशकों और प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब कृषि को लाभकारी और सम्मानजनक आजीविका के रूप में देखा जाएगा, तभी युवाओं की रुचि इस क्षेत्र की ओर बढ़ेगी।
‘विकसित भारत’ की परिकल्पना में किसान की केंद्रीय भूमिका
उन्होंने किसानों, वैज्ञानिकों और संस्थानों के बीच सामूहिक प्रयासों का आह्वान करते हुए कहा कि “विकसित भारत” की संकल्पना तभी साकार हो सकती है, जब किसान सशक्त होंगे।
डॉ. परोदा ने किसान से किसान तक ज्ञान के प्रसार को प्रगति की गति बढ़ाने का सबसे प्रभावी माध्यम बताया।
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के प्रसिद्ध नारे “जय जवान, जय किसान” का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जैसे जवान देश की सीमाओं की रक्षा करता है, वैसे ही किसान देश को भूखमरी से बचाता है।
25 राज्यों के किसानों ने साझा किए नवोन्मेषी मॉडल
डॉ. सी. एच. श्रीनिवास राव, निदेशक, आईसीएआर–आईएआरआई ने देश के किसानों की रचनात्मकता, जिजीविषा और व्यावहारिक ज्ञान की सराहना की।
उन्होंने बताया कि इस कॉन्क्लेव में देश के 25 राज्यों से आए किसानों ने भाग लिया और अपनी नवोन्मेषी कृषि पद्धतियों, स्वदेशी तकनीकों एवं सफल कृषि मॉडलों का प्रदर्शन किया।
उन्होंने जलवायु परिवर्तन, मौसम की अनिश्चितता और बाजार से जुड़ी चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए सभी राज्यों में किसान–वैज्ञानिक सहभागिता को सुदृढ़ करने के लिए आईसीएआर–आईएआरआई की प्रतिबद्धता दोहराई।
प्रकाशनों का विमोचन और किसानों को सम्मान
कार्यक्रम के दौरान कृषि नवाचारों से संबंधित प्रकाशनों का विमोचन किया गया तथा सम्मेलन में भाग लेने वाले किसानों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
धन्यवाद ज्ञापन के साथ सम्मेलन का समापन
सम्मेलन का समापन डॉ. आर. एन. पडारिया, संयुक्त निदेशक (विस्तार), आईसीएआर–आईएआरआई द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने आयोजन को सफल बनाने में किसानों, वैज्ञानिकों और आयोजकों के योगदान की सराहना की।