मिट्टी है तो जीवन है: विश्व मृदा दिवस पर बड़ा संदेश
Save Soil, Save Life.
हर वर्ष 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य मिट्टी के महत्व, संरक्षण और सतत उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा वर्ष 2014 से यह दिवस वैश्विक स्तर पर मनाया जा रहा है। इस वर्ष का संदेश भी यही है कि मिट्टी केवल कृषि उत्पादन का आधार ही नहीं, बल्कि पृथ्वी पर जीवन की निरंतरता का प्रमुख स्तंभ है।
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में मिट्टी का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। देश की 55 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है और कृषि पूरी तरह मिट्टी की उर्वरता व स्वास्थ्य पर आधारित है। मिट्टी में उपस्थित जैविक पदार्थ, पोषक तत्व, सूक्ष्मजीव और उसकी संरचना मिलकर पौधों की वृद्धि सुनिश्चित करते हैं। यदि मिट्टी स्वस्थ नहीं होगी तो फसल उत्पादन, गुणवत्ता और किसान की आय तीनों पर बुरा असर पड़ेगा।
आज मिट्टी कई चुनौतियों से जूझ रही है। अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग, फसल अवशेषों को जलाना, भूमि क्षरण, जल अपरदन, अंधाधुंध भूजल दोहन और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएँ मिट्टी की उर्वरता को प्रभावित कर रही हैं। FAO की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की 33 प्रतिशत मिट्टी किसी न किसी रूप में अवनत हो चुकी है। भारत में भी जैविक कार्बन की कमी एक गंभीर मुद्दा है, जिसके कारण मिट्टी की संरचना कमजोर हो रही है और पानी धारण करने की क्षमता घट रही है।
विश्व मृदा दिवस हमें यह याद दिलाता है कि यदि हम आज मिट्टी की सुरक्षा नहीं करेंगे तो भविष्य की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। इसी उद्देश्य से केंद्र और राज्य सरकारें मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, प्राकृतिक खेती, जैविक खेती, फसल विविधीकरण और माइक्रो-इरिगेशन को बढ़ावा दे रही हैं। किसानों को मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरक प्रबंधन अपनाने की सलाह दी जाती है ताकि पोषक तत्वों का संतुलन बना रहे।
मिट्टी को बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम अपनाए जा सकते हैं—जैसे फसल चक्र (Crop Rotation), हरी खाद का उपयोग, फसल अवशेषों का प्रबंधन, जैव उर्वरकों का प्रयोग, ड्रिप सिंचाई, एग्रो-फॉरेस्ट्री और ढलानों पर कंटूर खेती। ये सभी उपाय मिट्टी के कटाव को रोकते हैं और उसकी जैविक गुणवत्ता बढ़ाते हैं। किसानों को यह भी समझना जरूरी है कि मृदा एक जीवित माध्यम है, जिसमें लाखों प्रकार के जीव सक्रिय रहते हैं और उसे पोषक बनाए रखते हैं।
मिट्टी केवल खाद्य उत्पादन का स्रोत नहीं, बल्कि पर्यावरण संतुलन, जल संरक्षण, कार्बन भंडारण और जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। स्वस्थ मिट्टी स्वस्थ पर्यावरण और बेहतर जीवन का आधार है। इसलिए समाज के हर वर्ग, नीति-निर्माताओं, वैज्ञानिकों और किसानों को मिलकर मिट्टी संरक्षण की दिशा में काम करना होगा।
विश्व मृदा दिवस का संदेश स्पष्ट है—मिट्टी है तो जीवन है। हमें आज से ही मिट्टी को संजोने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक उपजाऊ, समृद्ध और सुरक्षित धरती मिले।