उत्तर प्रदेश में शरदकालीन गन्ना बुवाई, 3.20 लाख हेक्टेयर, 46 लाख बड पौध तैयार

🌱 गन्ना विभाग ने 45 जिलों को 64,856 कुन्तल बीज गन्ना और नई किस्मों के 46 लाख बड पौध दिए

लखनऊ,–उत्तर प्रदेश में गन्ना विकास विभाग द्वारा शरदकालीन गन्ना बुवाई वर्ष 2025-26 की तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। विभाग ने इस वर्ष 3.20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ना बुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए प्रदेश के 45 गन्ना उत्पादक जिलों को कुल 64,856 कुन्तल अभिजनक बीज गन्ना (ब्रीडर सीड) का आवंटन किया गया है।

आयुक्त, गन्ना एवं चीनी विभाग, उत्तर प्रदेश ने बताया कि प्रदेश में शरदकालीन गन्ना बुवाई के लिए गन्ने से आच्छादित जिलों को बीज गन्ने का आवंटन कर दिया गया है और वितरण से संबंधित सभी आवश्यक दिशा-निर्देश परिक्षेत्रीय तथा जिला स्तर के अधिकारियों को जारी कर दिए गए हैं।

🌾 प्रदेश में शरदकालीन बुवाई के लिए बड़े स्तर पर बीज वितरण

आयुक्त ने जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर के अधीन संचालित शोध परिक्षेत्रों, निजी व सहकारी चीनी मिल फार्मों में तैयार अभिजनक गन्ना बीज को शरदकालीन बुवाई के लिए जिलों में भेज दिया गया है। इसका उद्देश्य आधार गन्ना बीज का अधिष्ठापन सुनिश्चित करना है ताकि प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण और रोगमुक्त गन्ना बीज की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।

विभाग द्वारा परिक्षेत्रवार बीज गन्ने का आवंटन निम्नानुसार किया गया है..

 

  • सहारनपुर परिक्षेत्र: 5,147 कुन्तल

  • मेरठ परिक्षेत्र: 5,751 कुन्तल

  • मुरादाबाद परिक्षेत्र: 8,319 कुन्तल

  • बरेली परिक्षेत्र: 11,579 कुन्तल

  • लखनऊ परिक्षेत्र: 16,652 कुन्तल

  • अयोध्या परिक्षेत्र: 1,892 कुन्तल

  • देवीपाटन परिक्षेत्र: 5,925 कुन्तल

  • गोरखपुर परिक्षेत्र: 5,053 कुन्तल

  • देवरिया परिक्षेत्र: 4,538 कुन्तल

आयुक्त ने बताया कि प्रदेश के सभी गन्ना किसान अपने जिला गन्ना अधिकारी अथवा ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक से संपर्क कर अपनी आवश्यकता अनुसार बीज गन्ना प्राप्त कर सकते हैं।

🌱 नई किस्मों से गन्ना उत्पादन में आएगी क्रांतिकारी बढ़ोतरी

विभाग द्वारा बताया गया कि शरदकालीन बुवाई के लिए नई गन्ना किस्मेंको.लख.16202 और को.शा.18231 — को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन उन्नत किस्मों की बुवाई सिंगल बड विधि से की जाएगी जिससे आगामी वर्षों में बीज गन्ने की अधिक और त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी।

विभाग द्वारा परिक्षेत्रवार सिंगल बड पौध आवंटन का विवरण इस प्रकार है —

  • सहारनपुर परिक्षेत्र: को.लख.16202 – 1.50 लाख, को.शा.18231 – 2.70 लाख

  • मेरठ परिक्षेत्र: को.लख.16202 – 2 लाख, को.शा.18231 – 3.10 लाख

  • मुरादाबाद परिक्षेत्र: को.लख.16202 – 2.90 लाख, को.शा.18231 – 3.20 लाख

  • बरेली परिक्षेत्र: को.लख.16202 – 2.68 लाख, को.शा.18231 – 3.47 लाख

  • लखनऊ परिक्षेत्र: को.लख.16202 – 4.44 लाख, को.शा.18231 – 5.24 लाख

  • अयोध्या परिक्षेत्र: को.लख.16202 – 1.25 लाख, को.शा.18231 – 2 लाख

  • देवीपाटन परिक्षेत्र: को.लख.16202 – 1.50 लाख, को.शा.18231 – 2 लाख

  • गोरखपुर परिक्षेत्र: को.लख.16202 – 2.27 लाख, को.शा.18231 – 2.25 लाख

  • देवरिया परिक्षेत्र: को.लख.16202 – 1.80 लाख, को.शा.18231 – 1.80 लाख

इस प्रकार, पूरे प्रदेश में को.लख.16202 के 20.34 लाख एवं को.शा.18231 के 25.76 लाख बड पौधों का आवंटन किया गया है, जिनकी कुल संख्या लगभग 46.10 लाख है।

🚜 त्रिस्तरीय बीज उत्पादन से बढ़ेगी गन्ना उत्पादकता

विभाग के अनुसार, वितरित अभिजनक बीज गन्ना से त्रिस्तरीय बीज उत्पादन कार्यक्रम के तहत किसानों के खेतों पर आधार पौधशालाएं स्थापित की जाएंगी। इससे प्रदेश के गन्ना किसानों को आगामी बुवाई सत्रों में स्वस्थ, रोगमुक्त और उच्च गुणवत्ता वाले बीज गन्ने की पर्याप्त उपलब्धता होगी।

यह पहल प्रदेश की गन्ना उत्पादकता और चीनी उत्पादन दोनों में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगी। साथ ही, बीज गन्ना की स्थानीय उपलब्धता से किसानों की लागत भी घटेगी और आय में बढ़ोतरी होगी।

🌿 गन्ना किसानों को सीधे लाभ

गन्ना विकास विभाग की इस पहल से न केवल किसानों को उन्नत किस्मों का बीज गन्ना उपलब्ध होगा, बल्कि फसल चक्र में सुधार, उत्पादन वृद्धि और आय संवर्धन का भी मार्ग खुलेगा।

शरदकालीन बुवाई के दौरान विभागीय अधिकारी नियमित निरीक्षण करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बीज वितरण और पौध तैयार करने की प्रक्रिया पारदर्शी और प्रभावी ढंग से संचालित हो रही है।

📈 सरकार की प्राथमिकता में गन्ना क्षेत्र

राज्य सरकार गन्ना क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। किसानों को समय पर बीज, सिंचाई, तकनीकी परामर्श और प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर गन्ना उत्पादकता को नई ऊँचाई तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है।

गन्ना विकास विभाग की यह योजना न केवल शरदकालीन बुवाई को बढ़ावा देगी, बल्कि प्रदेश के ग्रामीण अर्थतंत्र को भी मजबूती प्रदान करेगी।

सभी चित्र: प्रतीकात्मक

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