फसल बीमा में गड़बड़ी पर केंद्र सख्त, बीमा कंपनियों को चेतावनी!

राज्यों की देरी से केंद्र की बदनामी क्यों हो— चौहान, कहा फील्ड जांच कर किसानों को दिलाएं न्याय

नई दिल्ली, –प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को नाममात्र की क्लेम राशि मिलने की शिकायतों पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठक बुलाई और इस पर कड़ा रुख अपनाया। महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश के कई किसानों को 1 रुपये, 3 रुपये या 5 रुपये का फसल बीमा क्लेम मिलने की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने कहा कि “यह किसानों के साथ मजाक है, जो किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

केंद्रीय मंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र सीहोर में किसानों से मिली शिकायतों और महाराष्ट्र के अकोला जिले के किसानों की ओर से उठाए गए मुद्दों पर गहराई से चर्चा की। बैठक में श्री चौहान ने महाराष्ट्र के किसानों को वर्चुअल माध्यम से जोड़कर सीधे संवाद किया और उनकी बातें ध्यान से सुनीं। उन्होंने अधिकारियों और बीमा कंपनियों से कहा कि “हम किसानों को परेशान नहीं होने देंगे, फसल बीमा योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों के लिए सुरक्षा कवच है, इसे मजाक बनने नहीं देंगे।”

किसानों के साथ अन्याय नहीं बर्दाश्त

बैठक के दौरान चौहान ने बताया कि कई किसानों ने शिकायत की है कि उनकी पूरी फसल नष्ट हो गई, फिर भी बीमा कंपनी ने “जीरो लॉस” दिखाया। उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि “यह कौन-सी प्रणाली है जिसमें किसान की पूरी मेहनत बर्बाद होने के बाद भी नुकसान 0.004 प्रतिशत दिखाया गया?”

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सीहोर जिले के एक किसान को 1 रुपये का क्लेम मिला, दूसरे को मात्र 21 रुपये। इस पर उन्होंने अफसरों और बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों से सवाल किया कि आखिर इस तरह की विसंगतियां कैसे हुईं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस पूरे मामले की फील्ड जांच की जाएगी और किसानों को उनका पूरा हक दिलाया जाएगा।

उच्चाधिकारियों और बीमा कंपनियों को फटकार

शिवराज सिंह ने कृषि भवन में आयोजित इस उच्चस्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के सभी वरिष्ठ अधिकारी, बीमा कंपनियों के उच्चाधिकारी, महाराष्ट्र के कृषि आयुक्त और संबंधित राज्य अधिकारियों को वर्चुअल माध्यम से जोड़ा। उन्होंने कहा कि “फसल बीमा योजना किसानों की सुरक्षा का कवच है, लेकिन गलत आकलन और देरी के कारण इसकी साख को नुकसान पहुंचा है। यह स्थिति अस्वीकार्य है।”

केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए कि अब से फसल क्षति का आंकलन वैज्ञानिक पद्धति से किया जाए, और सर्वे के दौरान बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि स्वयं मौजूद रहें। उन्होंने कहा कि किसानों को क्लेम भुगतान एक साथ और समय पर मिलना चाहिए, ताकि उनके आर्थिक संकट में राहत मिल सके।

योजना में सुधार और गाइडलाइन संशोधन के संकेत

चौहान ने अधिकारियों से कहा कि यदि आवश्यक हो तो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की गाइडलाइन में संशोधन किया जाए, ताकि क्लेम प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता बढ़े। उन्होंने निर्देश दिया कि रिमोट सेंसिंग प्रणाली की विश्वसनीयता की भी वैज्ञानिक जांच कराई जाए, जिससे वास्तविक नुकसान का सटीक आकलन किया जा सके।

राज्यों की देरी पर केंद्र का सवाल

बैठक में यह मुद्दा भी उठाया गया कि कई राज्य अपने हिस्से की सब्सिडी राशि समय पर नहीं जमा करते, जिससे क्लेम भुगतान में देरी होती है। इस पर नाराजगी जताते हुए शिवराज सिंह ने कहा, “राज्यों की देरी से केंद्र की बदनामी क्यों हो? जो राज्य ढिलाई बरत रहे हैं उनसे 12 प्रतिशत ब्याज वसूला जाए।”

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी राज्यों से समन्वय बनाकर यह सुनिश्चित करें कि राज्यांश राशि समय पर जमा हो, ताकि किसानों को उनका क्लेम शीघ्र मिल सके।

किसानों को तकनीक से जोड़ने पर जोर

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि किसानों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि फसल बीमा से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं में डिजिटल ट्रैकिंग और ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किए जाएं, जिससे पूरी पारदर्शिता बनी रहे।

चौहान ने कहा, “हमारे किसान भाई-बहन जागरूक रहें, उन्हें हर चरण की जानकारी मिले और कोई गड़बड़ी होने की गुंजाइश न बचे — यही हमारा लक्ष्य है।”

सारांश

फसल बीमा क्लेम में मिली गड़बड़ियों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की यह सख्त कार्रवाई सरकार की किसान-हितैषी नीतियों की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। मंत्री ने साफ कहा कि फसल बीमा योजना किसानों के भरोसे की योजना है, इसे “मजाक” बनने नहीं दिया जाएगा। आने वाले दिनों में इस योजना में बड़े संरचनात्मक सुधार देखने को मिल सकते हैं।

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