भारत में दलहन उत्पादन और सरकारी योजनाएं
हर साल 10 फरवरी को विश्व दलहन दिवस (World Pulses Day) मनाया जाता है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा घोषित किया गया था, ताकि दलहन (पल्सेज़) के महत्व को उजागर किया जा सके और उनके सतत उत्पादन और खपत को बढ़ावा दिया जा सके।
दलहन: पोषण का खजाना
दलहन जैसे चना, मसूर, अरहर, मूंग, उड़द, राजमा और सोयाबीन प्रोटीन, फाइबर, आयरन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। यह न केवल शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन का मुख्य स्रोत हैं, बल्कि इनका सेवन हृदय रोग, मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियों को कम करने में भी मदद करता है।
कृषि और पर्यावरण में भूमिका

दलहन फसलें मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में सहायक होती हैं, क्योंकि वे वातावरण से नाइट्रोजन अवशोषित करके मिट्टी को समृद्ध बनाती हैं। साथ ही, इन्हें उगाने में कम पानी की आवश्यकता होती है, जिससे जल संकट की समस्या को कम किया जा सकता है। यह फसलें किसानों के लिए एक सस्ता और टिकाऊ विकल्प भी प्रदान करती हैं।
भारत में दलहन उत्पादन
भारत दुनिया में दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। सरकार “अतिरिक्त दलहन उत्पादन योजना”, “राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन” और “प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि” जैसी योजनाओं के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहित कर रही है।
2025 की थीम और जागरूकता अभियान
इस वर्ष विश्व दलहन दिवस की थीम “स्वस्थ भोजन, स्वस्थ भविष्य” रखी गई है, जिसका उद्देश्य संतुलित आहार में दलहन की भूमिका को बढ़ावा देना है। विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा इस अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम, वेबिनार और किसानों के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं।
सारांश
विश्व दलहन दिवस केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि एक जागरूकता अभियान है जो पोषण, कृषि स्थिरता और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने का संदेश देता है। हमें अपनी दैनिक आहार में दलहन को शामिल कर स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना चाहिए और किसानों को दलहन उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।