🟢शिवराज सिंह चौहान: विकसित कृषि संकल्प अभियान अब नहीं रुकेगा
नई दिल्ली –केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की सफलता के बाद अब यह अभियान केवल यहीं नहीं रुकेगा, बल्कि और तेज़ी से आगे बढ़ेगा। उन्होंने साफ कहा कि यह अभियान एक स्थायी प्रक्रिया के रूप में खेती को उन्नत बनाने और किसानों को समृद्ध बनाने के लिए जारी रहेगा।
दिल्ली में आयोजित एक प्रेस वार्ता में उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रेरणादायक विचारों से इस अभियान की शुरुआत हुई और यह अब देशभर में एक जनांदोलन बन चुका है। उन्होंने मीडिया की भी सराहना की और कहा कि “इस अभियान की सफलता में सूचना प्रवाह में मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”
देशभर के गांवों तक पहुंचा अभियान
चौहान ने जानकारी दी कि इस अभियान के तहत 2170 वैज्ञानिक टीमों ने देश के 1.42 लाख से अधिक गांवों में जाकर 1.34 करोड़ से ज्यादा किसानों से सीधा संवाद किया है। इन कार्यक्रमों में देश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक, जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में कृषि वैज्ञानिकों व अधिकारियों ने भाग लिया।
शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख ऐलान
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हर जिले में कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) को नोडल एजेंसी के रूप में स्थापित किया जाएगा।
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KVK के वैज्ञानिक सप्ताह में कम से कम तीन दिन खेतों में किसानों के बीच जाकर काम करेंगे।
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केंद्रीय कृषि मंत्री खुद सप्ताह में दो दिन खेतों में किसानों के साथ समय बिताएंगे।
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राज्यवार कृषि विकास के लिए ICAR से नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे, जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से राज्य सरकारों के साथ समन्वय करेंगे।
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अमानक बीज और कीटनाशकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के लिए नियमों में बदलाव किया जाएगा।
KVK और ICAR की भूमिका होगी सुदृढ़
मंत्री चौहान ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों को अब एक समान और मजबूत स्वरूप में ढालने का काम किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब दफ्तर में बैठकर योजनाएं नहीं बनाई जाएंगी, बल्कि अधिकारी और वैज्ञानिक खेतों में जाकर किसानों से संवाद करेंगे, उनकी समस्याएं समझेंगे और स्थानीय स्तर पर समाधान प्रस्तुत करेंगे।
उन्होंने कहा कि विज्ञान और किसानों के बीच जो ज्ञान, अनुसंधान और क्षमताओं का अंतर (गैप) है, उसे पाटने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे।
फसलों के लिए विशेष मिशन और क्षेत्रीय योजनाएं
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अब रबी की फसलों के लिए भी ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ फिर से शुरू किया जाएगा। साथ ही, उन्होंने जानकारी दी कि 26 जून को इंदौर में सोयाबीन मिशन के तहत किसान, वैज्ञानिक और संबंधित पक्षों के साथ विचार विमर्श किया जाएगा। इसके बाद कपास, गन्ना, दलहन और तिलहन पर भी विशेष मिशन चलाए जाएंगे।
24 जून को पूसा संस्थान, दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित होगी जिसमें सभी राज्यों के कृषि मंत्री, कृषि वैज्ञानिक, ICAR और विभागीय अधिकारी हाइब्रिड मोड में शामिल होंगे। इसमें राज्यवार कृषि रिपोर्ट पेश की जाएगी और नीति निर्धारण पर चर्चा होगी।
ट्राइबल, आकांक्षी और सीमावर्ती क्षेत्रों पर विशेष फोकस
चौहान ने बताया कि इस अभियान के तहत 177 आदिवासी जिलों के 1024 विकासखंडों में 8500 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिससे लगभग 18 लाख किसान लाभान्वित हुए। इसके अलावा 112 आकांक्षी जिलों में 802 ब्लॉकों के 6800 गांवों में वैज्ञानिकों की टीमों ने जाकर 15 लाख किसानों से सीधा संवाद किया।
वाइब्रेंट विलेज योजना के अंतर्गत 100 सीमावर्ती जिलों के दूरस्थ गांवों में भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए, ताकि देश के हर कोने तक यह अभियान पहुंचे।
किसानों के नवाचार और स्थानीय समस्याओं को मिलेगी वैज्ञानिक मान्यता
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अभियान के दौरान यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि कई किसान वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सोचते हैं और स्थानीय नवाचार करते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि वैज्ञानिक भी कई बार किसानों के इन प्रयोगों से चकित रह गए। ऐसे नवाचारों को वैज्ञानिक पद्धति से मान्यता दिलाई जाएगी और इन्हें प्रोत्साहन मिलेगा।
इसके साथ ही कई किसानों ने स्थानीय समस्याओं पर रिसर्च की आवश्यकता बताई, जिस पर अब ICAR और कृषि विश्वविद्यालय विशेष ध्यान देंगे।
नीतिगत सुधारों के लिए किसानों से मिले सुझाव
शिवराज सिंह चौहान ने यह भी बताया कि किसानों ने क्लाइमेट चेंज, जैविक खेती का प्रमाणन, चारा नीति, एफपीओ को सशक्त बनाने जैसे कई मुद्दों पर व्यावहारिक सुझाव दिए हैं। सरकार इन पर नीतिगत निर्णय लेते समय विचार करेगी।
अंतिम लक्ष्य: “वन नेशन-वन एग्रीकल्चर-वन टीम”
कृषि मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि अलग-अलग संस्थाएं आज अलग-अलग दिशा में काम कर रही हैं—ICAR, KVK, कृषि विश्वविद्यालय, राज्य व केंद्र सरकारें—लेकिन अब समय आ गया है कि इन सभी को एक साझा मंच पर एक दिशा में काम करने वाली टीम में बदला जाए। यही सोच है ‘वन नेशन, वन एग्रीकल्चर, वन टीम’ की।
प्रधानमंत्री मोदी के 11 वर्षों के कृषि नेतृत्व को सराहा
चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में कृषि क्षेत्र में 40% खाद्यान्न उत्पादन वृद्धि दर्ज की गई है। यह उनके विज़न, योजनाओं और कार्यक्रमों का ही परिणाम है। उन्होंने कहा कि अब लक्ष्य है कि भारत को दुनिया का फूड बास्केट बनाया जाए और खेती को लाभदायक व्यवसाय में बदला जाए।
समापन
अंत में केंद्रीय कृषि मंत्री ने राज्य सरकारों, कृषि विभाग, ICAR, KVK और मीडिया को अभियान की सफलता में अहम भूमिका निभाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने दोहराया कि यह अभियान थमेगा नहीं, बल्कि अब हर फसल, हर किसान और हर क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए निरंतर प्रयास किए जाएंगे।
इस अवसर पर केंद्रीय कृषि सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी और ICAR के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट भी उपस्थित थे।