यूपी के गोआश्रय आत्मनिर्भर बनेंगे, प्राकृतिक खेती को मिलेगा बढ़ावा

गोबर से बनेगी खाद , खेती को होगा लाभ

लखनऊ, 6 मार्च। उत्तर प्रदेश सरकार चाहती है कि राज्य के सभी गोआश्रय केंद्र (गायों के संरक्षण स्थल) खुद के पैरों पर खड़े हों और प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा दें। इसके लिए सरकार वर्मी कंपोस्ट (केचुआ खाद) बनाने की इकाइयां सभी गोआश्रय केंद्रों में लगाएगी। इस योजना से गोबर और गोमूत्र का सही उपयोग होगा और केंद्रों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जाएगा। साथ ही, किसानों और पशुपालकों को पौष्टिक चारे के उत्पादन और उसके सही संरक्षण की ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

12.5 लाख गोवंश को मिल रहा आश्रय

इस समय उत्तर प्रदेश में 7700 से ज्यादा गोआश्रय केंद्र हैं, जहां करीब 12.5 लाख निराश्रित गोवंश (बेसहारा गायें और बैल) रखे गए हैं। इसके अलावा, मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 1 लाख से अधिक किसानों और पशुपालकों को 1.62 लाख गोवंश दिए गए हैं। सरकार ऐसे किसानों को हर महीने 1500 रुपये की आर्थिक मदद भी देती है, ताकि वे इन गोवंश का सही तरीके से पालन-पोषण कर सकें।

पशुपालकों को सरकार की सहायता

योगी सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा किसान और पशुपालक गायों को पालने के लिए प्रेरित हों। इसके लिए सरकार ने “नंदनी कृषक समृद्धि योजना” की शुरुआत की है। इस योजना के तहत, यदि कोई पशुपालक गाय पालने के लिए बैंक से लोन लेता है, तो सरकार उसे 50% तक की सब्सिडी देगी

प्रतीकात्मक ग्राफिक्स

इसके अलावा, “अमृत धारा योजना” भी चलाई जा रही है। इसके तहत, यदि कोई किसान 2 से 10 गायें पालता है, तो उसे सरकार बैंक के माध्यम से 10 लाख रुपये तक का कर्ज देगी। इस कर्ज पर सरकार की तरफ से अनुदान मिलेगा, और 3 लाख रुपये तक के लोन के लिए किसी गारंटी की जरूरत भी नहीं होगी

सरकार ने हाल ही में पेश किए गए बजट में छुट्टा (बेसहारा) गोवंश के संरक्षण के लिए 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसके अलावा, पिछले अनुपूरक बजट में भी 1001 करोड़ रुपये का फंड रखा गया था। इसके साथ ही, बड़े गोआश्रय केंद्रों के निर्माण की लागत बढ़ाकर 1.60 करोड़ रुपये कर दी गई है। योगी सरकार ने 543 नए गोआश्रय केंद्रों के निर्माण की भी मंजूरी दी है

गोबर से बनेगी खाद, मिट्टी और खेती को मिलेगा लाभ

सरकार की योजना सिर्फ गोवंश के संरक्षण तक ही सीमित नहीं है। योगी सरकार प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा दे रही है। प्राकृतिक खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों के बजाय गोबर और गोमूत्र से बनी जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशक उपयोग किए जाते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और किसानों को अच्छी उपज मिलती है।

इसके लिए सरकार ने योजना बनाई है कि सभी गोआश्रय केंद्रों में वर्मी कंपोस्ट बनाने की यूनिट्स लगाई जाएं। वर्मी कंपोस्ट, यानी केचुआ खाद, बेहतर गुणवत्ता वाली जैविक खाद होती है, जिससे मिट्टी की सेहत सुधरती है और फसलों का उत्पादन बढ़ता है। इसके अलावा, पशुपालकों और किसानों को बेहतर चारे के उत्पादन और उसे लंबे समय तक सुरक्षित रखने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। इस काम में राष्ट्रीय चारा अनुसंधान केंद्र, झांसी की मदद ली जाएगी

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सीएम का जोर
सीएम, योगी आदित्यनाथ

योगी सरकार चाहती है कि उत्तर प्रदेश प्राकृतिक खेती का एक बड़ा केंद्र बने। मुख्यमंत्री हर मौके पर किसानों को इस परंपरागत कृषि पद्धति को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। सरकार गंगा किनारे और बुंदेलखंड क्षेत्र में विशेष रूप से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। अब सरकार इस योजना में स्थानीय नदियों को भी शामिल करने जा रही है

प्राकृतिक खेती से किसानों की आय बढ़ेगी, निर्यात को भी मिलेगा बढ़ावा

कोरोना महामारी के बाद पूरी दुनिया में जैविक (ऑर्गेनिक) खेती के उत्पादों की मांग बढ़ी है। प्राकृतिक खेती से पैदा हुए अनाज, सब्जियों और फलों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत अच्छी कीमत मिलती है। यही वजह है कि केंद्र सरकार भी ऑर्गेनिक उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है

उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए यह एक बेहतरीन अवसर हो सकता है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले सात सालों में प्रदेश का निर्यात दोगुना हो गया है। 2017-18 में जहां 88 हजार करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 1.70 लाख करोड़ रुपये हो गया है

किसानों और गोआश्रय केंद्रों के लिए फायदेमंद योजना

सरकार की यह योजना दो तरह से फायदेमंद होगी—एक तरफ गोआश्रय केंद्र आत्मनिर्भर बनेंगे, तो दूसरी तरफ किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए जरूरी संसाधन मिलेंगे। इससे न सिर्फ गोवंश का सही संरक्षण होगा, बल्कि किसान भी आर्थिक रूप से मजबूत होंगे। इस तरह, यह योजना कृषि और पशुपालन क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है

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