अमित शाह ने रखी सहकारिता शिक्षा की नींव
गुजरात, आणंद | देश के सहकारिता क्षेत्र को मजबूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज गुजरात के आणंद में देश की पहली सहकारी यूनिवर्सिटी ‘त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी’ का भूमि पूजन किया। इस मौके पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, मुरलीधर मोहोळ सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
✅ सहकारिता को मिलेगी नई पहचान
अमित शाह ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी सहकारिता क्षेत्र में व्याप्त भाई-भतीजावाद को खत्म करेगी और पारदर्शिता को बढ़ावा देगी। अब सहकारी संस्थाओं में वही लोग भर्ती होंगे जिन्हें प्रशिक्षण प्राप्त है। इससे रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे।
🎓 शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान का केंद्र
इस यूनिवर्सिटी में छात्रों को तकनीकी ज्ञान, अकाउंटिंग, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मार्केटिंग के साथ-साथ सहकारिता के संस्कार भी सिखाए जाएंगे। यह संस्थान नीति निर्माण से लेकर डाटा विश्लेषण और अनुसंधान तक की दिशा में काम करेगा।
👥 30 करोड़ से अधिक लोग सहकारिता से जुड़े
शाह ने बताया कि आज देशभर में 30 करोड़ से ज्यादा लोग सहकारी आंदोलन से जुड़े हैं। इस यूनिवर्सिटी के ज़रिए सहकारिता के क्षेत्र में नीति, नवाचार, नेतृत्व और प्रशिक्षण की एक स्थायी व्यवस्था बनेगी।
🧑🏫 CBSE पाठ्यक्रम में भी सहकारिता
उन्होंने बताया कि CBSE ने कक्षा 9 से 12 तक के पाठ्यक्रम में सहकारिता विषय को शामिल कर लिया है। उन्होंने गुजरात सरकार से भी आग्रह किया कि वह राज्य के पाठ्यक्रम में सहकारिता को शामिल करे।
🌱 त्रिभुवनदास पटेल को श्रद्धांजलि
अमित शाह ने कहा कि इस यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवनदास किशिभाई पटेल के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने खेड़ा दूध आंदोलन और अमूल जैसी संस्था को खड़ा किया। उनका जीवन सहकारिता आंदोलन के लिए एक आदर्श उदाहरण है।
💼 कोऑपरेटिव डेयरी से लेकर टैक्सी और बीमा तक
शाह ने आगे कहा कि सरकार कोऑपरेटिव टैक्सी, कोऑपरेटिव इंश्योरेंस कंपनी जैसे नए विचारों को भी आगे बढ़ाना चाहती है। इसके लिए विशेषज्ञ और प्रशिक्षित जनशक्ति तैयार करने की जिम्मेदारी यह यूनिवर्सिटी निभाएगी।
🏛️ यूनिवर्सिटी की खास बातें:
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125 एकड़ भूमि पर बनेगी
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500 करोड़ रुपये की लागत
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नीति, अनुसंधान, नवाचार और प्रशिक्षण का केंद्र
अमित शाह ने देशभर के सहकारिता क्षेत्र के प्रशिक्षकों और विशेषज्ञों से आह्वान किया कि वे इस यूनिवर्सिटी से जुड़ें और सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने में योगदान दें।
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