टमाटर के पौधे मुरझा रहे हैं? जानिए क्या है असली वजह..

विशेषज्ञ ने बताई वजहें और बचाव के असरदार उपाय

पूसा (समस्तीपुर)- टमाटर की खेती करने वाले किसानों के सामने अक्सर पौधों के अचानक मुरझा जाने की समस्या आती है। यह स्थिति न केवल किसानों को परेशान करती है, बल्कि उपज और गुणवत्ता दोनों पर विपरीत असर डालती है। विशेषज्ञों का कहना है कि टमाटर का मुरझाना केवल पानी की कमी का परिणाम नहीं होता, बल्कि इसके पीछे रोग, कीट और पर्यावरणीय कारणों का गहरा प्रभाव होता है।

प्रोफेसर (डॉ.) एस. के. सिंह

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के प्रोफेसर (डॉ.) एस. के. सिंह, विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट विभाग (प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी) एवं पूर्व सह-निदेशक (अनुसंधान) ने बताया कि टमाटर के पौधों के मुरझाने के तीन प्रमुख वर्ग हैं—जैविक कारण, अजैविक कारण और प्रबंधन संबंधी त्रुटियाँ। यदि किसान इनकी सही पहचान कर लें, तो इस समस्या पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है।

🌿 जैविक कारण: फफूंद, जीवाणु और कीटों से होने वाला नुकसान

प्रो. सिंह के अनुसार, फ्यूजेरियम विल्ट (Fusarium Wilt) टमाटर में पाया जाने वाला सबसे आम और हानिकारक रोग है। यह मिट्टी में मौजूद फफूंदी के कारण फैलता है और पौधे की जल वाहिकाओं को बंद कर देता है। निचली पत्तियाँ पहले पीली पड़ती हैं और धीरे-धीरे पूरा पौधा मुरझा जाता है। तना काटने पर उसका अंदरूनी हिस्सा भूरा दिखाई देता है।

इसी प्रकार वर्टिसिलियम विल्ट (Verticillium Wilt) भी फफूंदी से होता है, जो अपेक्षाकृत ठंडे तापमान में अधिक सक्रिय रहता है। यह रोग पौधे के जाइलम ऊतकों को प्रभावित करता है और पानी के प्रवाह को रोक देता है।

सबसे खतरनाक रोगों में एक है बैक्टीरियल विल्ट (Bacterial Wilt), जो जीवाणु से फैलता है और पौधे को अचानक झुलसा देता है। पौधा देखने में ऐसा लगता है जैसे उसे पानी नहीं मिला हो, जबकि अंदर से पूरा तना संक्रमित हो चुका होता है। तने को काटकर दबाने पर सफेद, चिपचिपा द्रव निकलता है जो जीवाणु का संकेत है।

इसके अलावा रूट नेमाटोड (Root Knot Nematodes) सूक्ष्म कीट हैं जो पौधे की जड़ों में गांठें बना देते हैं। इससे पौधा मिट्टी से पानी और पोषक तत्व नहीं ले पाता। परिणामस्वरूप पौधा कमजोर हो जाता है, उसकी वृद्धि रुक जाती है और पत्तियाँ पीली होकर झुलसने लगती हैं।

☀️ अजैविक कारण: पर्यावरण और गलत प्रबंधन की भूमिका

विशेषज्ञों के अनुसार, टमाटर के मुरझाने के पीछे पर्यावरणीय दबाव भी बड़ी भूमिका निभाता है।
सिंचाई में गलती सबसे आम कारण है। अधिक पानी देने से जड़ों के आसपास ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और जड़ें सड़ जाती हैं (रूट रॉट)। वहीं, कम सिंचाई करने पर पौधे को पर्याप्त नमी नहीं मिलती और वह मुरझा जाता है।

तापमान में अचानक बदलाव भी पौधे को प्रभावित करता है। तेज धूप या लू के दौरान पौधा तेजी से पानी खो देता है, जबकि अत्यधिक ठंड से उसकी वृद्धि रुक जाती है।

मिट्टी की कठोरता और पोषक तत्वों की कमी भी पौधे की जड़ों को कमजोर करती है। यदि मिट्टी का pH असंतुलित हो या उसमें नाइट्रोजन और पोटैशियम की कमी हो, तो पौधा स्वस्थ नहीं रह पाता।

इसी तरह रासायनिक दवाओं का अत्यधिक प्रयोग भी पौधों के लिए हानिकारक है। कीटनाशक या उर्वरक की अधिक मात्रा जड़ों को जलाकर ‘केमिकल बर्न’ उत्पन्न करती है, जिससे पौधा मुरझा जाता है।

🔎 कैसे पहचानें समस्या का सही कारण?

प्रो. सिंह बताते हैं कि मुरझाने के सही कारण की पहचान करना ही उपचार की पहली सीढ़ी है। इसके लिए कुछ बिंदुओं पर ध्यान देना जरूरी है:

  • देखें कि क्या एक ही शाखा मुरझा रही है या पूरा पौधा।

  • दिन के सबसे गर्म समय में मुरझाने और शाम को सामान्य होने की स्थिति देखें।

  • मिट्टी की नमी जांचें; कहीं जलभराव तो नहीं।

  • पौधे की जड़ों को निकालकर देखें कि वे सफेद हैं या सड़ी हुई।

  • तने को काटकर देखें—अंदरूनी हिस्सा भूरा या काला तो नहीं।

  • यदि तने से सफेद स्राव निकल रहा है तो यह जीवाणु संक्रमण का संकेत है।

🌾 प्रभावी नियंत्रण और एकीकृत प्रबंधन के उपाय

निवारक उपाय (Preventive Measures)
  • प्रतिरोधी किस्में लगाएँ:फ्यूजेरियम और वर्टिसिलियम विल्ट से प्रतिरोधी किस्में (‘VFN’ कोड वाली) अधिक उपयुक्त रहती हैं।

  • फसल चक्र अपनाएँ: एक ही खेत में लगातार टमाटर या सोलानेसी कुल की फसल (बैंगन, मिर्च, आलू) न लगाएँ

  • मिट्टी की स्वच्छता और धूप उपचार: बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई कर धूप लगवाएँ। गमले में रोपाई करते समय जल निकासी सुनिश्चित करें।

  • स्वस्थ पौधों का चयन करें: कमजोर पौधे रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

🌿 उपचारात्मक उपाय (Curative Measures)

जैविक नियंत्रण

  • Trichoderma viride या Pseudomonas fluorescens का उपयोग मिट्टी में करें।

  • नेमाटोड नियंत्रण के लिए नीम की खली का प्रयोग कारगर है।

  • बैक्टीरियल विल्ट से संक्रमित पौधों को तुरंत उखाड़कर जला देना चाहिए ताकि रोग न फैले।

रासायनिक नियंत्रण (अंतिम विकल्प)

  • गंभीर संक्रमण में कार्बेंडाजिम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड जैसे फफूंदनाशकों का उपयोग विशेषज्ञ की सलाह पर करें।

  • नेमाटिसाइड्स के प्रयोग में सावधानी बरतें क्योंकि ये पर्यावरण को नुकसान पहुँचा सकते हैं।

सिंचाई प्रबंधन

मिट्टी की नमी के अनुसार सिंचाई करें। गर्मियों में ड्रिप इरिगेशन सर्वोत्तम तरीका है। पौधों की पत्तियों पर सीधे पानी डालने से बचें क्योंकि इससे फफूंद रोग फैल सकते हैं।

🍅 स्वस्थ पौधा ही स्वस्थ फसल की गारंटी

प्रो. सिंह ने कहा कि टमाटर के पौधों का मुरझाना एक जटिल समस्या है, लेकिन यह असंभव नहीं है। “यदि किसान समय पर कारण पहचान लें और वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाएँ, तो इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है,” उन्होंने कहा।

उनका सुझाव है कि किसान निवारक उपायों पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि रोकथाम उपचार से बेहतर है। नियमित निरीक्षण, संतुलित सिंचाई और मिट्टी का परीक्षण करके किसान अपनी फसल को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं।

प्रो. (डॉ.) एस.के. सिंह
विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी
पूर्व सह निदेशक (अनुसंधान), डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार
📧 संपर्क: sksraupusa@gmail.com

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