किसानों को सशक्त बनाने पर जोर
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने 25 मार्च 2025 को “बीज गुणवत्ता नियंत्रण के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियां” विषय पर एकदिवसीय फील्ड डे का आयोजन किया। यह कार्यक्रम भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की अनुसूचित जाति उप-योजना (SCSP) के तहत आयोजित किया गया।
सैकड़ों किसानों ने लिया भाग, उन्नत तकनीकों से हुए रूबरू
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के भौपुर और गालंद गांवों से लगभग 100 किसान शामिल हुए। इसके अलावा, आईएआरआई के शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और छात्रों ने भी भाग लिया।
इस फील्ड डे के दौरान संस्थान द्वारा विकसित उच्च उत्पादकता वाली फसल किस्मों और आधुनिक बीज प्रौद्योगिकियों का विस्तार से प्रदर्शन किया गया। वैज्ञानिकों ने किसानों को रबी फसलों के बीज उत्पादन तकनीक, बीज गुणवत्ता परीक्षण विधियाँ, भंडारण समाधान, और बीज संवर्धन विधियों की जानकारी दी।
इंटरएक्टिव प्रदर्शन के माध्यम से किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों को न केवल देखने बल्कि समझने का भी अवसर मिला। विशेषज्ञों ने बीज शोधन, भंडारण और खेत में बेहतर अंकुरण सुनिश्चित करने के उपायों पर व्यावहारिक जानकारी दी।
इस मौके पर नई उच्च उत्पादकता वाली फसल किस्मों को भी प्रदर्शित किया गया, जिन्हें आईएआरआई ने वर्षों की शोध के बाद विकसित किया है।
किसानों को दी गई उन्नत बीज तकनीकों की जानकारी
प्रक्षेत्र दिवस में संस्थान द्वारा विकसित उच्च उपज वाली फसल किस्मों और उन्नत बीज प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया। इसमें प्रमुख रूप से—
✔ रबी फसलों के बीज उत्पादन तकनीक
✔ बीज गुणवत्ता परीक्षण प्रोटोकॉल
✔ भंडारण समाधान
✔ बीज उन्नयन विधियां शामिल थीं।
किसानों को इंटरएक्टिव प्रदर्शन के जरिए इन तकनीकों की व्यावहारिक जानकारी दी गई, जिससे वे अपनी फसल उत्पादन और लाभ को बढ़ा सकें।
विशेषज्ञों ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव
कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. रवींद्र नाथ पडारिया (संयुक्त निदेशक, प्रसार) ने किया। उन्होंने बताया कि बेहतर गुणवत्ता वाले बीजों के उपयोग से फसल उत्पादकता और आय में वृद्धि होती है।
वहीं, डॉ. संदीप कुमार लाल (नोडल अधिकारी, SCSP) ने बताया कि इस योजना के तहत अनुसूचित जाति के किसानों को पूसा संस्थान द्वारा विकसित उच्च उपज वाले बीज और कृषि उपकरण (जैसे फावड़ा, खुर्पी, पावर स्प्रेयर आदि) नि:शुल्क दिए जाते हैं, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके।
बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख डॉ. ज्ञान पी. मिश्रा ने किसानों को वैज्ञानिकों से संवाद बढ़ाने और बीज संबंधी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए प्रेरित किया।
किसानों ने उन्नत खेती तकनीकों को देखा
किसानों ने संरक्षित खेती प्रौद्योगिकी केंद्र (CPCT) का दौरा भी किया, जहां उन्होंने टमाटर, शिमला मिर्च और खीरा जैसी सब्जियों की संरक्षित वातावरण में खेती की नई तकनीकों को समझा। इससे उन्हें आधुनिक कृषि पद्धतियों की जानकारी मिली।
किसानों को मिलेगा फायदा
कार्यक्रम के अंत में संस्थान ने किसानों को नई कृषि तकनीकों से जोड़ने और समावेशी कृषि विकास को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता दोहराई।
➡ यह पहल किसानों को नई तकनीकों से जोड़कर उनकी आय बढ़ाने में मदद करेगी।