अनुसंधान और नवाचार में नई उपलब्धियाँ
राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र (एनआरसीएम), दरभंगा, मखाना अनुसंधान और नवाचार के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य कर रहा है। यह केंद्र वैज्ञानिकों की कुशल टीम द्वारा समर्थित है और मखाना उत्पादन को उन्नत बनाने के लिए विभिन्न अनुसंधान कार्यक्रम चला रहा है।
प्रमुख अनुसंधान और नवाचार
एनआरसीएम ने अधिक उपज देने वाली मखाना और बिना कांटे वाले सिंघाड़ा किस्मों का विकास किया है। इसके अलावा, जल-कुशल और एकीकृत कृषि प्रणाली को बढ़ावा देते हुए मखाना-सह-मछली पालन की भी शुरुआत की गई है। साथ ही, भारतीय कमल, एकोरस कैलमस (स्वीट फ्लैग) और एलोकेसिया मोंटाना जैसे औषधीय पौधों की खेती पर भी अनुसंधान किया गया है।
तकनीकी उन्नति और व्यावसायीकरण 
मखाना प्रसंस्करण को आसान और अधिक लाभदायक बनाने के लिए कई आधुनिक मशीनों का विकास किया गया है। इनमें मखाना बीज वॉशर, बीज ग्रेडर, प्राथमिक भूनने की मशीन और पॉपिंग मशीन शामिल हैं। इन तकनीकों को व्यावसायीकरण के तहत विभिन्न निर्माताओं को लाइसेंस प्रदान किया गया है।
वित्तीय व्यय और वितरण
एनआरसीएम ने अनुसंधान और विकास कार्यों में बड़े स्तर पर निवेश किया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 2.65 करोड़ रुपये और 2024-25 (जनवरी 2025 तक) में 1.27 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। पिछले पाँच वर्षों में कुल 340.32 लाख रुपये का व्यय हुआ है।
**वित्तीय वर्ष | व्यय (लाख रुपये में)** |
---|---|
2023-24 | 265.00 |
2022-23 | 15.95 |
2021-22 | 17.87 |
2020-21 | 23.50 |
2019-20 | 18.00 |
एनआरसीएम ने पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न राज्यों के किसानों, कृषि विज्ञान केंद्रों और संगठनों को 15,824.1 किलोग्राम उच्च उपज वाले मखाना के बीज वितरित किए हैं। प्रमुख लाभार्थियों में नाबार्ड, मत्स्य विभाग, और बिहार बागवानी विकास सोसायटी शामिल हैं।
2012 से 2023 के बीच, एनआरसीएम ने 3,000 से अधिक किसानों को मखाना की उन्नत खेती, प्रसंस्करण और विपणन की तकनीकों पर प्रशिक्षण दिया है। इसके अलावा, एनआरसीएम ने 24 उद्यमों को तकनीकी सहायता प्रदान की, जिनमें मिथिला नेचुरल्स और स्वास्तिक फ़ूड ग्रुप शामिल हैं।
यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।