मोटे अनाज उत्पादों को बढ़ावा: 800 करोड़ की PLI योजना

भारत सरकार ने मोटा अनाज आधारित उत्पादों के विकास और उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके तहत, वित्त वर्ष 2022-2023 से 2026-2027 तक के लिए 800 करोड़ रुपये की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI-SMBP) शुरू की गई है। इसका उद्देश्य मोटे अनाज के उपयोग को बढ़ावा देना, उनके मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहित करना और किसानों को लाभ पहुंचाना है। सरकार ने मोटा अनाज आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं। इन उपायों में उपयोगकर्ता के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और त्वरित समस्या समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है। योजना दिशानिर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर योजना दिशानिर्देशों पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं। इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली बनाए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, प्रभावी संचार और प्रगति पर नजर रखना (ट्रैकिंग) सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं। (PROMOTION OF MILLET BASED PRODUCTS: PLI scheme of Rs 800 crore)

योजना की मुख्य विशेषताएं:

ग्राफ़िक्स फ़ोटो
  1. प्रारंभिक निवेश सीमा हटाई गई: अधिक आवेदकों को आकर्षित करने के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा को समाप्त कर दिया गया है।
  2. बिक्री में वृद्धि की शर्त: लाभार्थी कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में हर साल कम से कम 10% बिक्री वृद्धि प्राप्त करनी होगी।
  3. ब्रांडेड उत्पादों का प्रोत्साहन: योजना उन रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों को प्रोत्साहित करती है जिनमें कम से कम 15% मोटा अनाज होता है।
  4. घरेलू उत्पादों का उपयोग: केवल भारत में उत्पादित कृषि उत्पादों का उपयोग अनिवार्य है, जिससे किसानों को सीधा लाभ हो।
  5. शुरुआती नामांकन: योजना के तहत 30 कंपनियां नामांकित हुई थीं, जिनमें से अब 29 सक्रिय हैं।

अब तक की प्रगति:

  • पहले प्रदर्शन वर्ष के तहत 19 आवेदकों ने दावे प्रस्तुत किए।
  • पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।
  • योजना की निगरानी और कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक उपयोगकर्ता-अनुकूल पोर्टल, समर्पित तकनीकी सहायता समूह, और नियमित बैठकों का प्रावधान किया गया है।

महत्व:

  • यह योजना न केवल मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी आदि के प्रसंस्कृत उत्पादों की खपत को बढ़ाएगी, बल्कि इससे स्थानीय किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
  • यह कदम भारत सरकार के स्थानीय फसल को बढ़ावा देने और सतत कृषि विकास के प्रयासों के अनुरूप है।

इस प्रकार, यह योजना भारत के मोटा अनाज आधारित खाद्य उद्योग को एक नया आयाम देने का प्रयास है।

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