भारत सरकार की नई पहल: मछुआरे और पशुपालक होंगे सशक्त

जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सरकार की मछुआरों को सुरक्षा योजना

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए केंद्र सरकार की बड़ी पहल: 100 तटीय मछुआरा गांव बनेंगे ‘क्लाइमेट रेसिलिएंट’, पशुपालकों की आजीविका को भी मिलेगी मजबूती

नई दिल्ली – जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने मछुआरों और पशुपालकों की आजीविका को सुरक्षित करने तथा कमजोर प्रजातियों और नस्लों की रक्षा के लिए विज्ञान आधारित अनुकूलन एवं शमन रणनीतियों को लागू करना शुरू कर दिया है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के अंतर्गत, मत्स्यपालन विभाग ने तटीय राज्य सरकारों के सहयोग से देश के 100 तटीय मछुआरा गांवों को क्लाइमेट रेसिलिएंट कोस्टल फिशरमैन विलेजेस (CRCFV)” के रूप में चिन्हित किया है। यह पहल विशेष रूप से ब्लू इकोनॉमी पर जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

चिन्हित गांवों में होंगी ये सुविधाएं

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इन CRCFV गांवों में निम्नलिखित सुविधाएं विकसित की जाएंगी:

  • समुद्री जलकृषि (सी वीड, खाद्य व सजावटी मत्स्य, बाइवाल्व आदि)

  • फिश ड्रायिंग यार्ड

  • प्रोसेसिंग सेंटर्स

  • फिश मार्केट, फिशिंग जेट्टी

  • आइस प्लांट, कोल्ड स्टोरेज

  • आपातकालीन बचाव सुविधाएं

इसके अतिरिक्त, मछली पकड़ने पर प्रतिबंध या मंद अवधि में पारंपरिक गरीब मछुआरा परिवारों को आजीविका व पोषण सहायता के साथ-साथ बीमा कवरेज भी दिया जा रहा है।

🧬 अनुसंधान एवं तकनीकी विकास में भी जोर

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, भारत सरकार के वित्तीय सहयोग से अंतर्देशीय और समुद्री कृषि को बढ़ावा देने हेतु अनुसंधान, तकनीक और क्षमता निर्माण के कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं।

🐄 पशुपालन क्षेत्र में व्यापक स्वास्थ्य सुरक्षा

पशुपालन और डेयरी विभाग, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लाइवस्टॉक हेल्थ एंड डिज़ीज़ कंट्रोल प्रोग्राम (LHDCP) चला रहा है। इसमें प्रमुख उप-कार्यक्रम शामिल हैं:

  • NADCP: फुट एंड माउथ डिजीज और ब्रुसेलोसिस के टीकाकरण हेतु

  • CADCP: क्लासिकल स्वाइन फीवर व PPR नियंत्रण हेतु

  • ASCAD: लंपी स्किन डिजीज, रेबीज जैसे प्राथमिक रोगों हेतु टीकाकरण

  • ESVHD: पशु अस्पतालों और मोबाइल वेटरनरी यूनिट्स की स्थापना

  • पशु औषधि घटक: पीएम-किसान समृद्धि केंद्रों व सहकारी समितियों के माध्यम से जेनेरिक दवाओं की बिक्री

🌊 समुद्री प्रदूषण से निपटने को भी वैश्विक प्रयास

मत्स्यपालन विभाग को इस दिशा में FAO से कोई सीधी सहायता नहीं मिली है, लेकिन भारत सरकार Glolitter Partnership Project और Regilitter Project जैसे वैश्विक कार्यक्रमों में भागीदार है, जो IMO FAO द्वारा संयुक्त रूप से संचालित हैं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य समुद्री प्लास्टिक कचरे, विशेष रूप से ALDFG (परित्यक्त या खोए फिशिंग गियर) को रोकना है।

Bay of Bengal Large Marine Ecosystem (BOBLME) परियोजना को GEFNORAD द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है, जिसमें भारत समेत अन्य देशों के लिए EAFM (इकोसिस्टम आधारित मछली प्रबंधन) को बढ़ावा दिया जा रहा है।

🏛️ संसदीय जानकारी

यह विस्तृत जानकारी मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने 5 अगस्त 2025 को लोकसभा में एक लिखित उत्तर के रूप में प्रस्तुत की।

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