सहकारिता मंत्रालय की नई पहल: तकनीक से जुड़ेंगे PACS

PACS डिजिटलीकरण से बदलेगी ग्रामीण बैंकिंग की तस्वीर

📌 नई दिल्ली | सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी ने नई दिल्ली स्थित पीएचडी हाउस में “PACS में उभरती प्रौद्योगिकियां” विषय पर आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) के सीईओ रंजीत मेहता, मंत्रालय एवं विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी, NABARD, NCDC, NFDB, NCCT, IFFCO, KRIBHCO सहित कई सहकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

इस दिनभर चली कार्यशाला में 12 राज्यों से आए PACS के 122 सदस्यों ने भाग लिया। चर्चा के मुख्य विषयों में डिजिटल इंडिया के युग में PACS की भूमिका, सटीक कृषि उपकरणों का उपयोग, AI और इंटरनेट तकनीक, सहकारी FinTech, नीतिगत नवाचार, तथा तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और मिज़ोरम की सफलता की कहानियां शामिल रहीं।

सहकारिता मंत्रालय के गठन का ऐतिहासिक महत्व

डॉ. भूटानी ने बताया कि 6 जुलाई 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री  अमित शाह के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना एक ऐतिहासिक पहल थी। उन्होंने कहा, “देश में 1 लाख से अधिक PACS हैं, जिनके 13 करोड़ से अधिक सदस्य हैं।” उन्होंने PACS की जड़ों की चर्चा करते हुए बताया कि पहली ऋण सहकारी संस्था 1904 में चेन्नई के पास स्थापित हुई थी।

🖥️ डिजिटल युग में PACS की नई उड़ान

डॉ. भूटानी ने PACS के डिजिटलीकरण की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि “डिजिटलीकरण से PACS की पारदर्शिता बढ़ेगी और ये संस्थान अधिक व्यवहार्य बनेंगे।” उन्होंने कहा कि आज PACS केवल ऋण देने तक सीमित नहीं, बल्कि उन्हें 26 विविध गतिविधियों में सक्षम बनाने के लिए मॉडल उपनियम बनाए गए हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि अब तक 3000 करोड़ रुपये खर्च कर लगभग 80,000 PACS के कम्प्यूटरीकरण का लक्ष्य तय किया गया है, जिससे इन संस्थाओं को भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाएगा।

💾नई तकनीक से ग्रामीण भारत को जोड़ने की आवश्यकता

डॉ. भूटानी ने कहा, “PACS को ‘वन स्टॉप शॉप’ बनाने की क्षमता है। हमें जरूरत है कि ये संस्थाएं मौसम, आपदा, कीट नियंत्रण, वर्षा पूर्वानुमान जैसी सेवाओं के लिए आधुनिक तकनीक को अपनाएं और ग्रामीण भारत को सशक्त करें।”

उन्होंने PACS को सहकारी क्षेत्र की सबसे मजबूत इकाई बताते हुए कहा कि यह संस्थाएं देश के दूर-दराज ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे और सीमांत किसानों की सेवा कर रही हैं।

‘एक पेड़ मां के नाम’ के तहत पौधरोपण

इस अवसर पर डॉ. भूटानी ने “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत एक पौधा लगाया और सहकारी संस्थाओं द्वारा लगाए गए स्टॉलों का अवलोकन किया। कार्यशाला में तीन तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें राज्य स्तरीय सहकारिता सचिवों, स्टार्टअप्स, शिक्षाविदों और मंत्रालयों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।

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