मार्च में नींबू की फसल की देखभाल: उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाने के प्रभावी उपाय

नींबू की अच्छी फसल के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाएं

उत्तर भारत में जाड़े के बाद मार्च का महीना नींबू वर्गीय फसलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान मौसम में बदलाव शुरू हो जाता है, तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और वसंत ऋतु का प्रभाव स्पष्ट दिखने लगता है। यह समय नींबू के बागों में नई वृद्धि, पुष्पन, कीट एवं रोग प्रबंधन, खाद एवं सिंचाई जैसी आवश्यक गतिविधियों के लिए उपयुक्त होता है। यदि इस समय सही देखभाल की जाए, तो नींबू की फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में वृद्धि हो सकती है।

प्रोफेसर (डॉ.) एस.के. सिंह
1. नवीन वृद्धि एवं पुष्पन प्रबंधन

मार्च में नींबू के पौधों में नई कोंपलें निकलती हैं और पुष्पन भी आरंभ हो जाता है। यह पौधों की सक्रिय वृद्धि का समय होता है, इसलिए कुछ आवश्यक कार्य किए जाते हैं:

  • पुराने एवं सूखी टहनियों की छंटाई करके पौधों को नया आकार दिया जाता है, जिससे प्रकाश और हवा का संचार बेहतर होता है।
  • पुष्पन को बढ़ावा देने के लिए संतुलित पोषण दिया जाता है, जिससे अच्छी गुणवत्ता के फल प्राप्त हो सकें।
  • नई वृद्धि के साथ कीट एवं रोगों का प्रकोप बढ़ सकता है, इसलिए समय पर उनकी रोकथाम करना आवश्यक होता है।
2. खाद एवं पोषण प्रबंधन

मार्च में पौधों को आवश्यक पोषक तत्व देने से उनकी वृद्धि और फलन में सुधार होता है। नींबू के लिए निम्नलिखित पोषण योजना अपनाई जा सकती है:

  • नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित मात्रा में प्रयोग करें। प्रति वयस्क पौधे में 200-250 ग्राम नाइट्रोजन, 100-150 ग्राम फास्फोरस और 150-200 ग्राम पोटाश दें।
  • कैल्शियम नाइट्रेट या पोटैशियम नाइट्रेट का छिड़काव करने से फूलों और फलों की गुणवत्ता में सुधार होता है।
  • प्रति पौधे 10-15 किलोग्राम गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें। जैव उर्वरकों जैसे एजोटोबैक्टर और फॉस्फेट सोल्युबलाइजिंग बैक्टीरिया (PSB) का प्रयोग मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में सहायक होता है।
  • जिंक, बोरॉन और आयरन की कमी को दूर करने के लिए जिंक सल्फेट (0.3%), बोरॉन (0.3%) और फेरस सल्फेट (0.3%) का छिड़काव करें।
  • फूल आने की अवस्था में जिंक (0.2%) के छिड़काव से फूलों की संख्या बढ़ती है और फलों का झड़ना कम होता है।
3. सिंचाई प्रबंधन

मार्च में तापमान बढ़ने से वाष्पीकरण की प्रक्रिया तेज हो जाती है। इस दौरान सिंचाई का सही प्रबंधन आवश्यक है:

  • यदि वर्षा न हो तो 10-15 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे।
  • ड्रिप सिंचाई पद्धति अपनाने से जल की बचत होती है और नमी पौधों की जड़ों तक पहुंचती रहती है।
  • अत्यधिक सिंचाई से जड़ों में सड़न की समस्या हो सकती है, इसलिए आवश्यकता अनुसार ही पानी दें।
4. कीट प्रबंधन

मार्च में तापमान बढ़ने से नींबू के बागों में कीटों का प्रकोप बढ़ सकता है:

  • सिट्रस लीफ माइनर: पत्तियों पर सुरंग बनाकर नई वृद्धि को नुकसान पहुंचाता है। इसे नियंत्रित करने के लिए नीम तेल (1500 PPM) या डाइमिथोएट (0.05%) का छिड़काव करें।
  • सिट्रस पायला: यह कीट पत्तियों और नई टहनियों से रस चूसकर पौधों को कमजोर कर देता है। रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL (0.05%) का छिड़काव करें।
  • सिट्रस स्केल कीट: शाखाओं और फलों पर पाया जाता है। इसे नियंत्रित करने के लिए 2% नीम का तेल या क्लोरपायरीफॉस 0.05% का छिड़काव करें।
5. रोग प्रबंधन

मार्च में नींबू की फसल में कई प्रकार के फंगल और बैक्टीरियल रोगों का प्रकोप हो सकता है:

  • कोललेटोट्रिकम फफूंद जनित रोग: यह पत्तियों और फलों पर काले धब्बे बनाता है। इसे रोकने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.3%) या कार्बेन्डाजिम (0.1%) का छिड़काव करें।
  • साइट्रस कैन्कर: यह बैक्टीरियल रोग है जो पत्तियों और फलों पर गहरे घाव बनाता है। इसे रोकने के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (500 ppm) और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.3%) का छिड़काव करें।
  • गमोसिस (गोंद रोग): इसमें तने से गोंद निकलता है, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है। इसे रोकने के लिए बोर्डो पेस्ट का लेप करें और प्रभावित भाग पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।
6. मल्चिंग और खरपतवार नियंत्रण

मार्च में खरपतवार तेजी से बढ़ते हैं, जिससे पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। इसे रोकने के लिए:

  • गीली घास, भूसा, या काली पॉलीथिन से मल्चिंग करें, जिससे नमी बनी रहे और खरपतवार न उगें।
  • खरपतवार को हाथ से निकालें या नियंत्रित मात्रा में ग्लाइफोसेट का छिड़काव करें।
7. फलों के गिरने की समस्या रोकना

मार्च में फूल आने के बाद उचित देखभाल न करने पर फलों का झड़ना बढ़ सकता है। इसे रोकने के लिए:

  • बोरॉन (0.3%) और जीबरेलिक एसिड (GA3 10-20 ppm) का छिड़काव करें।
  • नियमित रूप से सिंचाई करें और पौधों को सूखा न पड़ने दें।
  • सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी न होने दें।
8. बाग का निरीक्षण और स्वच्छता

बाग की नियमित निगरानी करना जरूरी है ताकि किसी भी समस्या को समय रहते नियंत्रित किया जा सके।

  • संक्रमित पत्तियों और शाखाओं को काटकर नष्ट करें।
  • बाग के आसपास सफाई बनाए रखें ताकि कीट एवं रोगों का प्रकोप न हो।
  • जैविक और रासायनिक उपायों को संतुलित रूप से अपनाकर पौधों की सेहत बनाए रखें।
सारांश

मार्च का महीना नींबू की फसल के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान पुष्पन, खाद प्रबंधन, सिंचाई, कीट एवं रोग नियंत्रण जैसे कार्यों को सही ढंग से करने से नींबू का उत्पादन और गुणवत्ता बेहतर होती है। नियमित निरीक्षण और वैज्ञानिक पद्धतियों का पालन करके किसान अपनी नींबू की फसल से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

सौजन्य:
प्रोफेसर (डॉ.) एस.के. सिंह
हेड, केला अनुसंधान केंद्र,गोरौल,हाजीपुर
विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा-848 125, समस्तीपुर, 
Email: sksraupusa@gmail.com

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