छठे इंटरनेशनल एग्रोनॉमी कांग्रेस 2025 का कर्टेन रेज़र नई दिल्ली में | स्मार्ट एग्री-फूड सिस्टम पर जोर!
नई दिल्ली, – देश की राजधानी नई दिल्ली में शनिवार को छठे इंटरनेशनल एग्रोनॉमी कांग्रेस (IAC) 2025 के कर्टेन रेज़र कार्यक्रम का भव्य आयोजन NASC कन्वेंशन सेंटर के अग्नि हॉल में किया गया। इस कार्यक्रम ने तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय एग्रोनॉमी कांग्रेस की आधिकारिक शुरुआत का मंच तैयार किया, जिसमें विश्वभर के कृषि वैज्ञानिक, नीति-निर्माता, शोधकर्ता और कृषि क्षेत्र के प्रमुख हितधारक शामिल होने वाले हैं।
कार्यक्रम में देश के शीर्ष कृषि वैज्ञानिकों और वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से डॉ. एम.एल. जाट (सेक्रेटरी, DARE एवं डायरेक्टर जनरल, ICAR), डॉ. एस.के. शर्मा (प्रेसिडेंट, इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रोनॉमी), डॉ. एस.एस. राठौर (ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी, 6th IAC), डॉ. अनुराधा अग्रवाल (प्रोजेक्ट डायरेक्टर, DKMA), तथा डॉ. पी.एस. ब्रह्मानंद (प्रोजेक्ट डायरेक्टर, वाटर टेक्नोलॉजी सेंटर, IARI) शामिल रहे। IARI एग्रोनॉमी डिवीजन के वैज्ञानिकों और देश के नामी मीडिया संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी कार्यक्रम में भागीदारी दर्ज की।
IAC: कृषि नवाचार और वैश्विक सहयोग का महत्वपूर्ण मंच
कार्यक्रम की शुरुआत इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रोनॉमी के प्रेसिडेंट डॉ. एस.के. शर्मा के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल एग्रोनॉमी कांग्रेस न केवल वैज्ञानिक शोध का मंच है, बल्कि यह नीति-निर्माण, नवाचार और कृषि क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों के सामूहिक समाधान का महत्वपूर्ण अवसर भी प्रदान करता है।
उन्होंने IAC 2025 की संरचना, थीमैटिक सेशंस और निर्धारित वैज्ञानिक चर्चाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि इस बार IAC का दायरा पहले से कहीं अधिक विस्तृत है। इसमें—
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जलवायु परिवर्तन,
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मिट्टी और जल संरक्षण,
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स्मार्ट एग्री-फूड सिस्टम,
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डिजिटल कृषि,
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और सतत खेती के मॉडलों पर विस्तृत विमर्श होगा।
उन्होंने कहा कि भारत की कृषि प्रणाली विश्व के लिए सीखने योग्य मॉडल बन चुकी है और IAC जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन इस अनुभव को वैश्विक मंच पर साझा करने का अवसर प्रदान करते हैं।
भारत का रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन—वैज्ञानिक प्रगति का प्रमाण: डॉ. जाट
मुख्य संबोधन में ICAR के डायरेक्टर जनरल डॉ. एम.एल. जाट ने भारत की कृषि उपलब्धियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि भारत ने वर्ष 2024-25 में 357.73 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का ऐतिहासिक स्तर प्राप्त किया है, जो दर्शाता है कि भारतीय कृषि व्यवस्था किस तेज गति से प्रगति कर रही है।
उन्होंने कहा कि दालों और बाजरा के उत्पादन में निरंतर हुई वृद्धि देश में पोषण-सुरक्षा और जलवायु-सहनशील कृषि की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत है।
तकनीक आधारित खेती, बेहतर बीज, संसाधन-उपयोग दक्षता और सरकारी नीतियों का संयोजन इस उपलब्धि के पीछे मुख्य कारण बताया गया।
IAC 2025 की थीम—भारत की कृषि प्राथमिकताओं के अनुरूप
डॉ. जाट ने बताया कि 6th IAC 2025 की थीम “स्मार्ट एग्री-फूड सिस्टम एवं एनवायर्नमेंटल स्टीवर्डशिप के लिए एग्रोनॉमी का पुनर्मूल्यांकन” वैश्विक और भारतीय दोनों कृषि परिदृश्यों के संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक है।
उन्होंने समझाया कि—
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एग्री-फूड सिस्टम उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण, वितरण और उपभोग तक संपूर्ण खाद्य मूल्य श्रृंखला को शामिल करता है।
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वहीं एनवायर्नमेंटल स्टीवर्डशिप का फोकस मिट्टी, पानी और जैव विविधता की रक्षा पर है, जो दीर्घकालिक कृषि स्थिरता के लिए अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में कृषि क्षेत्र की मुख्य चुनौतियां —जलवायु परिवर्तन, संसाधनों का ह्रास, बदलते बाजार, और पोषण सुरक्षा—इन दोनों ही अवधारणाओं के संतुलित उपयोग से ही हल होंगी।
फसल अवशेष जलाने में 95% कमी—किसानों की जागरूकता और नीतिगत सफलता
डॉ. जाट ने बताया कि वर्ष 2020 की तुलना में फसल अवशेष जलाने की घटनाएँ 95% तक कम हुई हैं। यह घटना कई कारणों से संभव हुई है—
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सरकार द्वारा मशीनरी सब्सिडी, Happy Seeder, Super SMS जैसे उन्नत उपकरणों की उपलब्धता, जागरूकता अभियान, और किसानों की बढ़ती समझ।
उन्होंने कहा कि यह कमी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भारत की महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इससे वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
भारत की कृषि निर्यात क्षमता में वृद्धि
उन्होंने अप्रैल–सितंबर 2025 की कृषि व्यापार रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए बताया कि इस अवधि में कृषि निर्यात में सकारात्मक वृद्धि देखी गई है। यह वृद्धि भारतीय कृषि उत्पादों की वैश्विक मांग और प्रतिस्पर्धात्मकता को दर्शाती है।
प्रधानमंत्री मोदी के संदेश का संदर्भ—जैव विविधता ही भविष्य की खेती का आधार
डॉ. जाट ने कहा कि प्रधानमंत्री के हालिया संबोधन में ‘जैव विविधता के संरक्षण और संवर्धन’ पर जो जोर दिया गया, वह भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दिशा है।
उन्होंने कहा—
“जैव विविधता खेती प्रणाली को लचीला बनाती है और बदलते जलवायु प्रभावों का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।”
प्राकृतिक, जैविक और रीजेनरेटिव खेती—सस्टेनेबल कृषि का भविष्य
डॉ. जाट ने प्राकृतिक खेती, ऑर्गेनिक खेती और रीजेनरेटिव खेती को भविष्य की महत्वपूर्ण कृषि प्रणालियाँ बताते हुए कहा कि—
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ये मॉडल मिट्टी की गुणवत्ता सुधारते हैं,
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कार्बन स्टॉक बढ़ाते हैं,
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और पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाते हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन और मिट्टी के ह्रास जैसी चुनौतियों का समाधान इन्हीं वैकल्पिक कृषि प्रणालियों से मिलेगा।
यील्ड गैप एक बड़ी चुनौती—डेटा-ड्रिवन एग्रोनॉमी ही समाधान
डॉ. जाट ने भारतीय कृषि में मौजूद पैदावार अंतर (Yield Gap) को गंभीर चुनौती बताते हुए कहा कि—
“सिस्टम एग्रोनॉमी इन अंतरालों को कम करने और संसाधन उपयोग दक्षता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।”
उन्होंने डिजिटल खेती को भविष्य की आवश्यक दिशा बताते हुए कहा कि—
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IoT आधारित उपकरण,
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AI-ML मॉडल,
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बिग डेटा एनालिटिक्स,
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और सैटेलाइट आधारित फील्ड मॉनिटरिंग
आने वाले वर्षों की कृषि रणनीति का मूल आधार होंगे।
उन्होंने युवा वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं से इस डिजिटल परिवर्तन का नेतृत्व करने का आह्वान किया।
IAC 2025—विकसित भारत के कृषि रोडमैप का आधार
डॉ. जाट ने कहा कि इस कांग्रेस में होने वाले विचार-विमर्श, वैज्ञानिक प्रस्तुतियाँ और वैश्विक अनुभव “विकसित भारत 2047” के कृषि रोडमैप को दिशा प्रदान करेंगे।
उन्होंने जोर दिया कि IAC 2025—नवाचार, वैश्विक सहयोग, और भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करने वाला मंच साबित होगा।