हरियाणा में भेड़-बकरियों में फैल रही ‘फुट रॉट’ बीमारी: लुवास ने पशुपालकों के लिए जारी की एडवाइजरी
पशुओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा हेतु साफ-सफाई, फुट बाथ और समय पर उपचार जरूरी
चंडीगढ़, – हरियाणा के कई जिलों में भेड़ और बकरियों में फुट रॉट (पैर सड़न) नामक संक्रामक बीमारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास), हिसार ने पशुपालकों के लिए महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है।

विश्वविद्यालय के पशु जन-स्वास्थ्य एवं महामारी विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजेश खुराना ने बताया कि कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा के निर्देशन में विश्वविद्यालय की विशेषज्ञ टीमें लगातार फील्ड में सक्रिय हैं और प्रभावित पशुओं की जांच एवं उपचार का कार्य कर रही हैं।
मानसून के कारण तेजी से फैली बीमारी
हाल के मानसूनी मौसम में नमी और कीचड़युक्त वातावरण के कारण यह बीमारी तेजी से फैल रही है। फुट रॉट रोग मुख्यतः डिकेलोबैक्टर नोडोसस और फ़्यूज़ोबैक्टीरियम नेक्रोफोरम नामक जीवाणुओं से होता है, जो पशुओं के खुरों को संक्रमित कर देता है।
यदि समय पर इलाज न किया जाए, तो पशुओं में लंगड़ापन, दर्द और दूध व ऊन उत्पादन में भारी गिरावट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
प्रमुख लक्षण और प्रभावित क्षेत्र
इस बीमारी के लक्षणों में चलने में कठिनाई, खुरों में सूजन, लालिमा, दुर्गंधयुक्त सड़न, खुर की ऊपरी सतह का अलग होना, बुखार और बेचैनी शामिल हैं।
हरियाणा के हिसार, भिवानी, जींद और राजस्थान के सीमावर्ती जिलों चूरू व हनुमानगढ़ में यह रोग अधिक पाया गया है।
लुवास की सलाह पशुपालकों के लिए
लुवास ने पशुपालकों को सलाह दी है कि वे पशुओं के रहने के स्थान को हमेशा साफ-सुथरा और सूखा रखें।
पशुओं को नियमित रूप से फुट बाथ कराना जरूरी है। इसके लिए
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10% जिंक सल्फेट, 4% फॉर्मेलिन, या 0.5% लाल दवा (कॉपर सल्फेट) के घोल का उपयोग कर खुरों की सफाई करें।
संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें, खुरों की नियमित सफाई करें और घावों को मक्खियों से बचाएं। यदि किसी पशु में बीमारी के लक्षण दिखें, तो तुरंत निकटतम पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
अन्य बीमारियों पर भी नजर
डॉ. खुराना ने बताया कि विश्वविद्यालय की टीमें पी.पी.आर., चिचड़ी जनित रोग और आंतरिक परजीवियों से संबंधित अन्य संक्रामक बीमारियों की भी पहचान कर रही हैं तथा पशुपालकों को रोकथाम व बचाव के उपायों की जानकारी दी जा रही है।
वैज्ञानिकों की अपील
लुवास के वैज्ञानिक डॉ. रमेश और डॉ. पल्लवी ने पशुपालकों से अपील की है कि वे बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए स्वच्छता, जैव-सुरक्षा और सतर्कता बरतें।
पशुपालक अधिक जानकारी या सहायता के लिए विश्वविद्यालय से संपर्क कर सकते हैं या नजदीकी पशु चिकित्सालय में परामर्श प्राप्त करें।