जलवायु परिवर्तन बन रहा किसानों की सबसे बड़ी चुनौती!
बिहार की जलवायु मुख्यतः मानसूनी है, जिसमें गर्मी, सर्दी और वर्षा ऋतु का स्पष्ट विभाजन देखा जाता है। हालांकि, हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण इन ऋतुओं में अप्रत्याशित बदलाव देखे जा रहे हैं। फरवरी 2025 में तापमान असामान्य रूप से 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया, जबकि गेहूं, दलहन और सब्जियों की फसलें अभी पूर्ण रूप से तैयार नहीं हुई थीं। यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो फसलों की उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

फरवरी 2025 का दैनिक मौसम विश्लेषण
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर (बिहार) के कृषि मौसम विज्ञान प्रभाग द्वारा दर्ज किए गए आंकड़ों के अनुसार:
- अधिकतम तापमान: 22 फरवरी को 29.8°C दर्ज किया गया, जबकि 8 फरवरी को न्यूनतम 23.8°C रहा। 19 फरवरी के बाद अधिकतम तापमान लगातार 28°C से ऊपर बना रहा।
- औसत तापमान वृद्धि: पूरे माह अधिकतम तापमान सामान्य से 2-3°C अधिक रहा, कुछ दिनों में यह वृद्धि 4-5°C तक पहुंच गई।
- न्यूनतम तापमान: 8 फरवरी को 6.5°C दर्ज किया गया, जबकि 21 फरवरी को यह 13.6°C रहा। न्यूनतम तापमान सामान्य से 1-2°C कम रहा।
जलवायु परिवर्तन और आम एवं लीची की खेती पर प्रभाव
बिहार की वर्तमान जलवायु परिस्थितियाँ आम और लीची की खेती को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही हैं। असामान्य तापमान वृद्धि और अनिश्चित मानसून इन फसलों की उत्पादकता, गुणवत्ता और आर्थिक लाभ को बाधित कर सकते हैं।
1. आम की फसल पर प्रभाव

(क) मंजर बनने में बाधा
फरवरी के न्यूनतम तापमान का विश्लेषण दर्शाता है कि 12 दिन तापमान 10°C या उससे कम रहा, जबकि 7 दिन यह 10-12°C के बीच था। यह सामान्य से 1-2°C कम तापमान आम के मंजर (फूल) खुलने में बाधा डाल रहा है। हालांकि, दिन का तापमान 30°C तक पहुँचने से मंजर आ सकते हैं, लेकिन उनकी गुणवत्ता प्रभावित होगी और फूल झड़ने की संभावना बढ़ जाएगी, जिससे उत्पादन घट सकता है।
(ख) कीट एवं रोगों का बढ़ता प्रभाव
बढ़ते तापमान और घटती आर्द्रता के कारण आम के फल छेदक कीट (Mango Fruit Borer) और पाउडरी मिल्ड्यू जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ सकता है। इसके अलावा, तापमान में असमानता हॉपर (Hopper) की संख्या बढ़ाकर आम के फूलों को नुकसान पहुँचा सकती है।
(ग) फल की गुणवत्ता पर असर
जलवायु परिवर्तन के कारण आम के फल छोटे रह सकते हैं और उनकी मिठास प्रभावित हो सकती है।
2. लीची की फसल पर प्रभाव
(क) फूल और फल बनने की प्रक्रिया पर असर
फरवरी में तापमान बढ़ने से लीची के फूल आने की प्रक्रिया बाधित हो सकती है। अत्यधिक गर्मी परागण (Pollination) को प्रभावित कर सकती है, जिससे फल बनने की दर कम हो सकती है।
(ख) जल प्रबंधन की आवश्यकता
बढ़ते तापमान से मिट्टी की नमी तेजी से घट रही है, जिससे लीची के बागों में सिंचाई की आवश्यकता बढ़ गई है। हालांकि, सिंचाई केवल फल बनने के बाद ही करनी चाहिए।
(ग) रोग एवं कीट संक्रमण का खतरा
गर्म और शुष्क मौसम में छाल फटने (Bark Splitting) और फफूंद जनित रोगों का खतरा बढ़ जाता है। लीची के फलों पर स्टिंक बग (Litchi Stink Bug) और लीची माइट (Litchi Mite) के हमले की संभावना अधिक होती है।
सारांश
बिहार में फरवरी 2025 के दौरान तापमान में हुई अप्रत्याशित वृद्धि आम और लीची की खेती के लिए चिंता का विषय है। किसानों को जल प्रबंधन, जैविक कीट नियंत्रण और संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन जैसी रणनीतियों को अपनाकर इन प्रतिकूल प्रभावों को कम करने की दिशा में कार्य करना होगा।