भारत की कृषि जलवायु संकट से मुकाबले के लिए तैयार!

🌍मौसम आधारित सलाह, नई किस्में और बीमा—कृषि को जलवायु संकट में सहारा

जलवायु परिवर्तन से निपटने को कृषि में नई पहलें: देश के 651 जिलों में आकलन, 310 जिले अत्यधिक संवेदनशील
नई दिल्ली

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) देश में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आकलन करने और कृषि को इसके प्रभावों से सुरक्षित बनाने के लिए नेशनल इनोवेशन्स इन क्लाइमेट रेज़िलिएंट एग्रीकल्चर (NICRA) परियोजना लागू कर रही है। परियोजना के तहत अंतर-सरकारी पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) के प्रोटोकॉल के आधार पर देश के 651 कृषि प्रधान जिलों में जोखिम और संवेदनशीलता का मूल्यांकन किया गया है। इसमें 310 जिलों को जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील पाया गया, जिनमें 109 जिले अत्यंत उच्च जोखिम और 201 जिले उच्च जोखिम श्रेणी में शामिल किए गए हैं।

कृषि को जलवायु अनुकूल बनाने के लिए तकनीकें अपनाई गईं

परियोजना के तहत किसानों की जलवायु परिवर्तन से निपटने की क्षमता बढ़ाने के लिए क्षेत्र-विशिष्ट तकनीकों—जैसे सिस्टम ऑफ राइस इंटेंसिफिकेशन, एरोबिक राइस, डायरेक्ट सीडिंग, ज़ीरो टिलेज गेहूं, अत्यधिक तापमान और सूखा सहनशील फसल किस्में तथा धान अवशेषों का इन-सीटू प्रबंधन—का प्रदर्शन देशभर के 448 क्लाइमेट रेज़िलिएंट विलेज में किया गया है।

NICRA के तहत गांव-स्तर पर बीज बैंकसामुदायिक नर्सरी स्थापित करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे किसानों को समय पर गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध हो सकें। कई गांवों में सूखा और बाढ़-सहनशील किस्मों—धान, गेहूं, सोयाबीन, सरसों, चना, ज्वार और कोदो—का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया है।
साथ ही, कृषि तकनीकी प्रबंधन अभिकरण (ATMA) के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण बीजों के उपयोग सहित आधुनिक कृषि प्रथाओं पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

मौसम आधारित कृषि सलाह से किसानों को मिल रही मदद

विपरीत मौसम की स्थितियों से कृषि को नुकसान से बचाने के लिए ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (GKMS) के तहत भारतीय मौसम विभाग (IMD) जिलों और ब्लॉकों के लिए 5 दिनों की मध्यम अवधि की मौसम भविष्यवाणी जारी करता है।
इन्हीं पूर्वानुमानों के आधार पर देशभर के 130 अग्रोमेट फील्ड यूनिट्स द्वारा किसानों के लिए मौसम आधारित कृषि सलाह अंग्रेज़ी और क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार कर विभिन्न माध्यमों से साझा की जाती है।

किसान ‘मेघदूत’ मोबाइल ऐप (14 भाषाओं में उपलब्ध) और IMD के ‘मौसम’ ऐप के जरिए अपने जिले की मौसम सूचना और चेतावनियाँ प्राप्त कर सकते हैं। पंचायत-स्तर की मौसम जानकारी eGramSwaraj, Gram Manchitra, Meri Panchayat ऐप और Mausamgram वेब पोर्टल पर भी उपलब्ध है।

कृषि बीमा से 2,301 लाख किसानों को मिला बड़ा लाभ

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत बुवाई से कटाई के बाद तक प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को होने वाले नुकसान का व्यापक बीमा कवर उपलब्ध है। योजना स्थानीय स्तर के नुकसान—जैसे ओलावृष्टि, भूस्खलन, बादल फटना, बाढ़—को भी कवर करती है।
30 नवंबर 2025 तक योजना के तहत ₹1,90,374 करोड़ की बीमा राशि लगभग 2,301 लाख किसानों को प्रदान की जा चुकी है।

जैविक खेती को बढ़ावा: 16.90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र शामिल

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) पूरे देश में लागू है, जिसके तहत उत्पादन से विपणन तक किसानों को संपूर्ण सहयोग प्रदान किया जाता है।
योजना के तहत किसानों को तीन वर्षों में प्रति हेक्टेयर ₹31,500 की सहायता दी जाती है, जिसमें से ₹15,000 सीधे किसान के खाते में जैविक इनपुट्स के लिए दिए जाते हैं।
31 अक्टूबर 2025 तक 16.90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को योजना से कवर किया जा चुका है, जिससे 28.24 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं।

यह जानकारी आज लोकसभा में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने एक लिखित उत्तर में दी।

चित्र: ग्राफ़िक्स

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