भारत-रूस सहयोग को नई गति: मछलीपालन, पशुपालन और डेयरी व्यापार बढ़ाने पर सहमति!

अनुसंधान, तकनीक और व्यापार—भारत-रूस सहयोग का नया अध्याय

नई दिल्ली, भारत और रूस के बीच विशेष एवं विशेषाधिकृत रणनीतिक साझेदारी को और सुदृढ़ करने की दिशा में मछलीपालन, पशुपालन और डेयरी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। 4–5 दिसंबर को आयोजित 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के अवसर पर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता में आपसी व्यापार, बाजार पहुंच और तकनीकी सहयोग पर विस्तृत चर्चा हुई।

लालन सिंह और रूस की कृषि मंत्री के बीच उच्चस्तरीय बातचीत

कृषि भवन, नई दिल्ली में भारत के मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ लालन सिंह ने रूस की संघीय कृषि मंत्री हेर एक्सीलेंसी ऑक्साना लुट से मुलाकात की। दोनों पक्षों ने मत्स्य, पशु एवं डेयरी उत्पादों के व्यापार को बढ़ाने, बाजार बाधाओं को दूर करने तथा निर्यात प्रतिष्ठानों की सूचीबद्धता को तेज करने पर सहमति व्यक्त की।

बैठक में उभरती जलीय तकनीकों, गहरे समुद्र में मत्स्यन, आधुनिक प्रोसेसिंग और अनुसंधान एवं शिक्षा में सहयोग बढ़ाने को भी प्रमुखता दी गई।

भारत से रूस को निर्यात बढ़ाने पर जोर

मंत्री लालन सिंह ने बताया कि वर्ष 2024–25 में भारत ने 7.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मत्स्य उत्पादों का निर्यात किया, जिसमें से 127 मिलियन डॉलर का निर्यात रूस को हुआ। उन्होंने झींगा, प्रॉन, मैकेरल, सार्डिन, टूना, केकड़ा, स्क्विड और कटलफिश जैसे उत्पादों के निर्यात में वृद्धि की बड़ी संभावनाओं पर जोर दिया।
रूसी पक्ष ने भारत से मछली, मांस और पशु उत्पाद लेने में रुचि जताई तथा ट्राउट उत्पादन में संयुक्त तकनीकी परियोजना चलाने का प्रस्ताव रखा।

दूध और डेयरी उत्पादों की सूचीबद्धता पर चर्चा

मंत्री ने रूस का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि हाल ही में रूस ने भारत के 19 नए मत्स्य प्रतिष्ठानों को FSVPS प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध किया है, जिससे कुल संख्या 128 हो गई है। उन्होंने शेष प्रतिष्ठानों के शीघ्र पंजीकरण, अस्थायी प्रतिबंध हटाने और नियमित अपडेट की आवश्यकता पर बल दिया।
AMUL सहित 12 भारतीय डेयरी कंपनियों के पंजीकरण लंबित होने का मुद्दा भी उठाया गया और रूस से इन्हें प्राथमिकता के साथ स्वीकृति देने का अनुरोध किया गया।

तकनीकी सहयोग, संयुक्त अनुसंधान और क्षमता निर्माण पर सहमति

भारत ने गहरे समुद्र में मत्स्यन, ऑन-बोर्ड प्रोसेसिंग, मूल्य संवर्धन, RAS और बायोफ्लॉक जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाने में सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। दोनों पक्षों ने कोल्डवॉटर फिशरीज, ट्राउट विकास, मत्स्य आनुवंशिक सुधार और उभरते जलीय क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने पर सहमति जताई।

अनुसंधान एवं विकास, मानव संसाधन विकास, वैज्ञानिकों, छात्रों और विशेषज्ञों के आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देने पर जोर दिया गया ताकि दोनों देश खाद्य सुरक्षा और नवाचार को मजबूत कर सकें।

भारत ने नया MoU ढांचा प्रस्तावित किया

भारत ने एक संरचित तंत्र तैयार करने के लिए प्रस्तावित ज्ञापन (MoU) को अंतिम रूप देने और हस्ताक्षर कराने पर बल दिया। रूसी मंत्री ऑक्साना लुट ने भारत के साथ व्यापक सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई और कहा कि दोनों देशों की आवश्यकताओं के अनुरूप उत्पाद एक-दूसरे को उपलब्ध कराए जा सकते हैं। उन्होंने पशु टीका विकास, उपकरण निर्माण और पशु रोग प्रबंधन में सहयोग की भी इच्छा जताई।

ऐतिहासिक मित्रता पर विश्वास व्यक्त

बैठक के अंत में मंत्री लालन सिंह ने रूसी प्रतिनिधिमंडल का धन्यवाद करते हुए कहा कि भारत-रूस की ऐतिहासिक मित्रता आगे और गहरी होगी तथा दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की दिशा में यह सहयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

बैठक में भारत सरकार के मत्स्य एवं पशुपालन विभाग के शीर्ष अधिकारी, ICAR के विशेषज्ञ तथा समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (MPEDA) के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।

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