मत्स्य पालन में सतत विकास और जैव सुरक्षा: जलीय जीव रोग संगोष्ठी 2025 का आयोजन
नई दिल्ली, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) कन्वेंशन सेंटर, पूसा परिसर, में आयोजित ‘जलीय जीव रोग: उभरती चुनौतियां और तैयारियां’ विषयक संगोष्ठी का उद्घाटन किया। यह संगोष्ठी 14वें एशियाई मत्स्य पालन और जलीय कृषि मंच (14एएफएएफ) के तहत आयोजित की गई, जो 12-15 फरवरी, 2025 तक ‘ग्रीनिंग द ब्लू ग्रोथ इन एशिया-पैसिफिक’ विषय पर केंद्रित है।
संगोष्ठी में मंत्री ने दिया ‘एक पृथ्वी – एक परिवार’ का संदेश
उद्घाटन सत्र में कुरियन ने आईसीएआर की पहल की सराहना की और जलीय कृषि में पोषण और जैव सुरक्षा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने ‘एक पृथ्वी – एक परिवार’ दृष्टिकोण पर जोर देते हुए कहा कि भारत में खाद्य सुरक्षा, आजीविका और आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए स्थायी जलीय कृषि पद्धतियां आवश्यक हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) जैसी सरकारी पहलों के तहत किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए जलीय जीव स्वास्थ्य प्रबंधन में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया। साथ ही, उन्होंने रोग निगरानी को मजबूत करने, जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल को बढ़ाने और नैदानिक व चिकित्सीय उपायों में सुधार के लिए सरकारी एजेंसियों, अनुसंधान संस्थानों और उद्योग विशेषज्ञों को शामिल करने पर जोर दिया।
मत्स्य पालन क्षेत्र में जैव सुरक्षा और निगरानी पर जोर
इस अवसर पर आईसीएआर के डीडीजी (मत्स्य विज्ञान) डॉ. जे.के. जेना ने संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए, राष्ट्रीय जलीय कृषि निगरानी (एनएसपीएएडी) और आईएनएफएआर परियोजना पर प्रकाश डाला। उन्होंने जलीय कृषि में रोग अनुसंधान और नियंत्रण को मजबूत करने के लिए मत्स्य स्वास्थ्य नेटवर्क परियोजना की अहमियत पर जोर दिया।
मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार के संयुक्त सचिव श्री सागर मेहरा ने कहा कि मत्स्य पालन आजीविका और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, और रोग प्रकोपों से निपटने के लिए राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर की रणनीतियों की आवश्यकता है। उन्होंने उन्नत जैव सुरक्षा उपायों और प्रारंभिक पहचान प्रणाली को मजबूत करने का आह्वान किया।
एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी डॉ. बी.के. बेहरा ने भारत में मत्स्य रोग निगरानी कार्यक्रमों को संस्थागत रूप देने की आवश्यकता बताई, ताकि व्यवस्थित रोग निगरानी, प्रारंभिक पहचान और प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने राष्ट्रीय जलीय कृषि नीतियों में इसे एकीकृत करने और नियामक ढांचे को मजबूत करने पर जोर दिया।
थाईलैंड स्थित एनएसीए के डॉ. एडुआर्डो लीनो ने जलीय कृषि में रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के बढ़ते जोखिम और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वित जैव सुरक्षा उपायों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
भारत में दूसरी बार हो रहा प्रतिष्ठित एएफएएफ आयोजन
इससे पहले, आईसीएआर-सीआईएफआरआई के निदेशक डॉ. बी.के. दास ने स्वागत भाषण में जलीय कृषि की प्रगति और रोग प्रबंधन को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया। आईसीएआर-सीआईएफए के निदेशक डॉ. पी.के. साहू ने सभी प्रतिभागियों और गणमान्य व्यक्तियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
गौरतलब है कि एशियाई मत्स्य पालन और जलीय कृषि मंच (एएफएएफ), एशियाई मत्स्य पालन सोसायटी (एएफएस), कुआलालंपुर; भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), नई दिल्ली; मत्स्य पालन विभाग (डीओएफ), भारत सरकार; और एशियाई मत्स्य पालन सोसायटी भारतीय शाखा (एएफएसआईबी), मैंगलोर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है।
यह आयोजन 2007 में कोच्चि में आयोजित 8वें एएफएएफ के बाद भारत में दूसरी बार आयोजित किया जा रहा है।