बेंगलुरु में किसानों से मिले कृषि मंत्री, किया नवाचारों का सम्मान
किसानों तक रिसर्च, रीयल टाइम में पहुंचनी चाहिए: शिवराज सिंह चौहान
बेंगलुरु | केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज बेंगलुरु स्थित भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR) में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत आयोजित किसान संवाद कार्यक्रम में भाग लिया। यह अभियान भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा 29 मई से 12 जून 2025 तक देशभर में चलाया जा रहा है।
अब तक इस अभियान के तहत केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान ने ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में किसानों से संवाद स्थापित किया है। इसी क्रम में आज बेंगलुरु में उन्होंने किसानों, वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों के साथ संवाद कर उनकी समस्याएं सुनीं और सरकार की योजनाओं की जानकारी दी।
कृषि क्षेत्र में बेंगलुरु की उल्लेखनीय प्रगति
कृषि मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि बेंगलुरु और इसके आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में बागवानी क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उन्होंने विशेष रूप से किसानों द्वारा की जा रही कमलम (ड्रैगन फ्रूट) की खेती का उदाहरण देते हुए बताया कि इस फसल से तीसरे वर्ष के बाद प्रति एकड़ 6 से 7 लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा कमाया जा सकता है। उन्होंने टमाटर की खेती का भी उल्लेख किया और बताया कि कभी-कभी बाजार भाव में उतार-चढ़ाव के बावजूद भी किसान प्रति एकड़ 3 से 4 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं।
किसान बन रहे नवाचार के वाहक
चौहान ने कहा कि आज का किसान केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि वैज्ञानिक भी है, जो अपने खेतों में खुद शोध और प्रयोग कर रहा है। उन्होंने ‘लैब से लैंड’ की अवधारणा को जमीन पर उतारने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि वैज्ञानिकों का अनुसंधान रीयल टाइम में किसानों तक पहुँचना चाहिए। इससे जलवायु, मिट्टी और क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप फसलों की पैदावार में वृद्धि हो सकती है।
विकसित भारत 2047’ के लिए विकसित कृषि जरूरी:
चौहान ने प्रधानमंत्री मोदी की ‘विकसित भारत 2047’ की संकल्पना का उल्लेख करते हुए कहा कि विकसित भारत के निर्माण में कृषि की भूमिका महत्वपूर्ण है।
उन्होंने बताया कि भारत की 50 प्रतिशत आबादी आज भी कृषि पर निर्भर है और देश की GDP में कृषि का योगदान 18% है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में GDP वृद्धि दर 7.5% रही, जिसमें 5.4% योगदान कृषि क्षेत्र का है। यह दर कृषि जैसे क्षेत्र में बड़ी मानी जाती है।
कृषि मंत्री ने बताए चार प्रमुख लक्ष्य:
1. 145 करोड़ लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना
2. हर नागरिक को पोषणयुक्त आहार उपलब्ध कराना
3. कृषि क्षेत्र को लाभदायक बनाना
4. मिट्टी की उर्वरता को संरक्षित रखना
उन्होंने कहा कि इन्हीं लक्ष्यों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें वैज्ञानिकों को गांवों में भेजा जा रहा है ताकि मिट्टी की गुणवत्ता, जलवायु और क्षेत्र विशेष की आवश्यकताओं के आधार पर वैज्ञानिक जानकारी दी जा सके।
गुणवत्ताहीन बीजों और कीटनाशकों पर सख्ती
कृषि मंत्री ने कार्यक्रम के दौरान यह भी स्पष्ट किया कि गुणवत्ताहीन बीज, उर्वरक और कीटनाशक उत्पादित करने वाले लोगों और कंपनियों के खिलाफ सरकार सख्त कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि इसके लिए एक कड़ा कानून बनाया जा रहा है, जिसके तहत दोषियों को कठोर सजा दी जाएगी।
MIS योजना: किसानों को मिलेगा सीधा लाभ
चौहान ने किसानों को यह भी बताया कि बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) के अंतर्गत अब किसान आलू, प्याज और टमाटर जैसी फसलों को अधिक मूल्य वाले राज्यों में ले जाकर बेच सकते हैं। इस प्रक्रिया में यदि उन्हें परिवहन लागत का सामना करना पड़े, तो उसका व्यय केंद्र सरकार वहन करेगी। इसके साथ ही यदि भंडारण की आवश्यकता हो तो सरकारी अनुदान भी उपलब्ध कराया जाएगा।
कृषि विविधिकरण और प्रोसेसिंग की दिशा में बढ़ें किसान
कार्यक्रम के समापन पर चौहान ने किसानों से आह्वान किया कि वे केवल पारंपरिक खेती पर निर्भर न रहें। कृषि विविधिकरण, फसल प्रोसेसिंग और निर्यात की दिशा में भी कदम बढ़ाएं। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार हर परिस्थिति में किसानों के साथ खड़ी है। किसानों की समृद्धि ही सरकार का मूल लक्ष्य है।