इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों के लिए नया भारतीय मानक जारी, परीक्षण व्यवस्था को मिलेगी मजबूती
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 के अवसर पर केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान आईएस 19262:2025 ‘इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टर – परीक्षण संहिता’ का औपचारिक विमोचन किया। यह मानक भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्य देश में इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों की सुरक्षा, विश्वसनीयता और कार्यक्षमता सुनिश्चित करना है।
🔹 एकसमान परीक्षण प्रोटोकॉल से बढ़ेगा भरोसा
आईएस 19262:2025 इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों के परीक्षण के लिए एकसमान शब्दावली, सामान्य दिशानिर्देश और मानकीकृत प्रक्रियाएं निर्धारित करता है। इसके तहत पीटीओ पावर, ड्रॉबार पावर, बेल्ट एवं पुली प्रदर्शन जैसे महत्वपूर्ण परीक्षणों के साथ-साथ कंपन मापन, विनिर्देश सत्यापन तथा विभिन्न घटकों और असेंबली का निरीक्षण भी शामिल है। इससे सभी हितधारकों के बीच परीक्षण और मूल्यांकन को लेकर स्पष्टता और समान समझ विकसित होगी। 
🔹 मौजूदा मानकों से तकनीकी समर्थन
यह नया मानक तकनीकी रूप से आईएस 5994:2022 ‘कृषि ट्रैक्टर – परीक्षण संहिता’ और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए विकसित संगत ऑटोमोटिव उद्योग मानकों पर आधारित है, जिन्हें कृषि उपयोग के अनुकूल बनाया गया है। अधिकृत परीक्षण संस्थानों के माध्यम से इसके कार्यान्वयन से इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों को अपनाने में तेजी, स्वच्छ कृषि प्रौद्योगिकियों में नवाचार और उत्सर्जन में कमी को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
🔹 वैज्ञानिक मूल्यांकन का मिलेगा आधार
आईएस 19262:2025 के अंतर्गत निर्धारित प्रक्रियाओं से प्राप्त परीक्षण डेटा, इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों के प्रदर्शन और सुरक्षा विशेषताओं के वैज्ञानिक मूल्यांकन के लिए ठोस आधार प्रदान करेगा। यह भविष्य में इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों के लिए स्वीकृति मानदंड और अनुरूपता मूल्यांकन योजनाओं के विकास में भी सहायक होगा। इससे निर्माताओं को विश्वसनीय और सुरक्षित उत्पाद विकसित करने में मदद मिलेगी, वहीं किसानों और उपभोक्ताओं का भरोसा भी बढ़ेगा।
🔹 टिकाऊ कृषि मशीनीकरण की दिशा में कदम
इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टर भारत के कृषि यंत्रीकरण तंत्र में एक उभरता और महत्वपूर्ण क्षेत्र बनकर सामने आ रहे हैं। ये ट्रैक्टर डीजल इंजनों के स्थान पर बैटरी चालित इलेक्ट्रिक मोटरों से संचालित होते हैं। बैटरी तकनीक, इलेक्ट्रिक मोटर और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स में हो रही प्रगति के चलते हाल के वर्षों में इन ट्रैक्टरों का विकास तेज हुआ है।
🔹 कम उत्सर्जन, कम लागत और बेहतर कार्य वातावरण
इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर पारंपरिक डीजल-चालित ट्रैक्टरों की तुलना में कम उत्सर्जन, कम परिचालन लागत और बेहतर ऊर्जा दक्षता प्रदान करते हैं। खेतों में टेलपाइप उत्सर्जन समाप्त होने से वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है। साथ ही, कम शोर और धुएं के कारण किसानों को स्वस्थ कार्य वातावरण मिलता है। डीजल इंजनों की तुलना में इनमें चलने वाले पुर्जे भी कम होते हैं, जिससे रखरखाव की आवश्यकता और लागत घटती है।
🔹 मानकीकरण की जरूरत से हुआ मानक का विकास
देश में इलेक्ट्रिक कृषि ट्रैक्टरों के बढ़ते उपयोग के बीच, समर्पित और मानकीकृत परीक्षण प्रक्रियाओं के अभाव में इनके प्रदर्शन, सुरक्षा और विश्वसनीयता के एकसमान मूल्यांकन में चुनौतियां सामने आ रही थीं। इसी आवश्यकता को देखते हुए और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के यंत्रीकरण एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अनुरोध पर बीआईएस ने यह भारतीय मानक विकसित करने की पहल की।
🔹 व्यापक सहभागिता से हुआ मानक निर्माण
इस मानक के निर्माण में इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर निर्माता, परीक्षण एवं प्रमाणन एजेंसियां, अनुसंधान एवं शैक्षणिक संस्थान तथा कृषि अभियांत्रिकी और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के विशेषज्ञों की सक्रिय भागीदारी रही। इसमें कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, आईसीएआर–केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान (भोपाल), केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान (बुदनी), ट्रैक्टर एवं यंत्रीकरण संघ, ऑटोमोटिव अनुसंधान संघ (पुणे) और अखिल भारतीय किसान संगठन सहित कई संस्थानों का योगदान रहा।
🔹 अंतरराष्ट्रीय रुझानों के अनुरूप भारत की पहल
स्वैच्छिक प्रकृति का यह मानक कृषि क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए भारत के मानकीकरण ढांचे को मजबूत करता है। साथ ही, यह इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और कृषि मशीनीकरण के क्षेत्र में विकसित हो रहे अंतरराष्ट्रीय रुझानों के अनुरूप घरेलू प्रथाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
चित्र:प्रतीकात्मक