समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा अब होगी और मजबूत!

PMMSY के तहत मछुआरों की सुरक्षा मजबूत: सुरक्षा किट, बीमा कवर और ट्रांसपोंडर लगाने में तेजी

नई दिल्ली – भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले मत्स्यपालन विभाग ने स्पष्ट किया है कि समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा, संरक्षा और जीवन रक्षा को सर्वोच्च महत्व दिया जा रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत देशभर के तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को व्यापक वित्तीय सहायता उपलब्ध करा रही है, ताकि प्रतिकूल मौसम, आपात स्थितियों और समुद्री सीमा से संबंधित खतरे की परिस्थितियों में मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

समुद्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा किट का प्रावधान

PMMSY के तहत मछुआरों को समुद्र में जाने से पहले आवश्यक सुरक्षा साधन उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान है। इसके अंतर्गत केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सहायता कर रही है, ताकि पारंपरिक और मोटराइज्ड फिशिंग वेसल्स पर निम्नलिखित उपकरण अनिवार्य रूप से उपलब्ध हों—

  • GPS सिस्टम

  • लाइफ जैकेट और लाइफबॉय

  • रडार रिफ्लेक्टर

  • प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स

  • फ्लेयर्स सेट (आपात संकेत देने हेतु)

  • बैकअप बैटरी

  • सर्च एंड रेस्क्यू बीकन

  • PFZ (पोटेंशियल फिशिंग जोन) उपकरण

इन साधनों का उद्देश्य समुद्र में दिशा-निर्देशन, आपातकालीन संकेत, प्राथमिक उपचार तथा सुरक्षा उपायों को मजबूत करना है।

सरकार ने पिछले पाँच वर्षों—वित्त वर्ष 2020-21 से 2024-25—के बीच 50.05 करोड़ रुपये की कुल लागत से 14,300 संचार उपकरणों की आपूर्ति के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की है।

बीमा कवरेज से लाखों मछुआरों को लाभ

PMMSY के तहत मछुआरों को न केवल समुद्र में सुरक्षा उपकरण मिलते हैं, बल्कि उन्हें दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा या अन्य जोखिमों की स्थिति में व्यापक बीमा कवर भी उपलब्ध है। इसमें शामिल हैं—

  • मृत्यु या स्थायी पूर्ण शारीरिक अक्षमता पर ₹5 लाख का बीमा

  • स्थायी आंशिक अक्षमता पर ₹2.5 लाख

  • अस्पताल में भर्ती होने पर ₹25,000 का व्यय कवरेज

  • फिशिंग वेसल्स के बीमा प्रीमियम पर सबवेंशन (राहत राशि)

बीमा में फिशिंग वेसल्स की हॉल, मशीनरी, फिशिंग नेट, एसेसरीज़, आंशिक/कुल नुकसान, टकराव क्षति और प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान को भी शामिल किया गया है।
सरकारी आँकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों (2021-22 से 2023-24) और वर्तमान वित्तीय वर्ष (2024-25) तक 131.30 लाख मछुआरों को बीमा कवरेज प्रदान किया गया है—जो प्रतिवर्ष औसतन 32.82 लाख मछुआरों के लाभान्वित होने को दर्शाता है।

फिशिंग वेसल्स पर ट्रांसपोंडर लगाने का राष्ट्रीय कार्यक्रम

समुद्री सुरक्षा को तकनीकी रूप से और सुदृढ़ करने के लिए केंद्र सरकार ने नेशनल फिशिंग वेसल्स कम्युनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम (NRVCSS) के राष्ट्रीय रोलआउट को भी मंजूरी दी है।

  • परियोजना की कुल लागत: 364 करोड़ रुपये

  • लक्ष्य: 1 लाख फिशिंग वेसल्स पर ट्रांसपोंडर लगाना

  • सरकारी सहायता: 100% केंद्र सरकार द्वारा वहन

ट्रांसपोंडरों में जियो-फेंसिंग तकनीक मौजूद है, जो मछुआरों को समुद्री सीमा के पास पहुँचने या गलती से सीमा लांघने की स्थिति में अलर्ट जारी करता है। इससे विदेशी जलक्षेत्र में घुसने की घटनाएँ काफी हद तक रोकी जा सकेंगी।
अब तक देशभर में 45,051 ट्रांसपोंडर लगाए जा चुके हैं। इसमें तमिलनाडु में ब्लू रिवोल्यूशन योजना के तहत लगाए गए 3,884 ट्रांसपोंडर भी शामिल हैं।

तटीय क्षेत्रों में सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम

मछुआरों को जागरूक करने के लिए तटीय राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के मत्स्य विभाग भारतीय तटरक्षक बल के साथ मिलकर नियमित रूप से कम्युनिटी इंटरैक्शन प्रोग्राम (CIP) आयोजित कर रहे हैं।
इन कार्यक्रमों का उद्देश्य है—

  • समुद्र में जीवन सुरक्षा के महत्व के बारे में जानकारी देना

  • जीवनरक्षक उपकरण साथ रखने के लिए प्रोत्साहित करना

  • पोर्टेबल कम्युनिकेशन सेट का उपयोग सिखाना

  • समुद्री सीमा न लांघने की सलाह देना

ये प्रयास मछुआरों को सुरक्षित मत्स्यन के लिए सक्षम बनाते हैं।

लोकसभा में दी गई जानकारी

लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह ने यह विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि देश का प्रत्येक समुद्री मछुआरा सुरक्षित, संरक्षित और तकनीक से सशक्त होकर समुद्र में जाए।

चित्र: ग्राफ़िक्स

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