राष्ट्रीय मधुमक्खी मिशन से ग्रामीण भारत में नई उड़ान!

🐝 “राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन मिशन: मीठी क्रांति की ओर भारत”

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन से ‘मीठी क्रांति’ की राह पर भारत — शहद उत्पादन, निर्यात और महिला सशक्तिकरण में नई ऊंचाई

नई दिल्ली- –भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन संचालित राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (National Beekeeping and Honey Mission – NBHM) देश में वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन और गुणवत्तापरक शहद उत्पादन को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से कार्यरत एक महत्वाकांक्षी केंद्र प्रायोजित योजना है। इस मिशन का लक्ष्य देश में ‘मीठी क्रांति’ (Sweet Revolution) को साकार कर किसानों की आमदनी में वृद्धि करना और ग्रामीण क्षेत्रों में सतत रोजगार के अवसर सृजित करना है।

🟢 योजना का उद्देश्य और बजट

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन की शुरुआत वर्ष 2020-21 में की गई थी, जिसे वर्ष 2025-26 तक क्रियान्वित किया जा रहा है।
इस योजना के लिए भारत सरकार ने कुल 500 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है। इसका संचालन और क्रियान्वयन राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (NBB) द्वारा किया जा रहा है, जो देश में मधुमक्खी पालन की प्रधान नोडल एजेंसी है।

योजना का उद्देश्य है—

  • मधुमक्खी पालन को वैज्ञानिक और संगठित बनाना

  • गुणवत्तापूर्ण शहद एवं अन्य मधुमक्खी उत्पादों का उत्पादन बढ़ाना

  • किसानों की आय और रोजगार में वृद्धि

  • फसलों की उत्पादकता में सुधार के लिए परागण को प्रोत्साहन देना

  • ग्रामीण महिलाओं और किसानों को आत्मनिर्भर बनाना

🟡 तीन मिनी मिशनों के माध्यम से क्रियान्वयन

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन का संचालन तीन मिनी मिशनों (Mini Missions) के तहत किया जा रहा है—

  1. मिनी मिशन-I:
    फसलों की परागण क्रिया को बढ़ावा देकर उत्पादकता में सुधार और वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहन।

  2. मिनी मिशन-II:
    मधुमक्खी पालन से जुड़े उत्पादों जैसे शहद के संग्रहण, प्रसंस्करण, भंडारण, पैकेजिंग और विपणन के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाओं का विकास।

  3. मिनी मिशन-III:
    देश के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में अनुसंधान, तकनीकी विकास और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना।

🟢 भारत बना दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शहद निर्यातक

भारत ने वर्ष 2024 में 1.4 लाख मीट्रिक टन प्राकृतिक शहद का उत्पादन किया।
वहीं वर्ष 2023-24 में 1.07 लाख मीट्रिक टन शहद का निर्यात किया गया, जिससे 177.55 मिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा अर्जित हुई।
भारत अब चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा शहद निर्यातक देश बन चुका है।
वर्ष 2020 में भारत की रैंकिंग नौवें स्थान पर थी, जो अब सात पायदान ऊपर आ चुकी है।

शहद का प्रमुख निर्यात अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, क़तर और लीबिया जैसे देशों में किया जाता है।
भारत से निर्यात होने वाली प्रमुख शहद वेरायटी में सरसों, लीची, यूकेलिप्टस, सूरजमुखी और रेपसीड शहद प्रमुख हैं।

🟡 मधु क्रांति पोर्टल और डिजिटल निगरानी

मधुमक्खी पालन को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने के लिए सरकार ने ‘मधु क्रांति पोर्टल’ शुरू किया है।
इस पोर्टल के जरिए शहद उत्पादन के स्रोतों की पहचान, पंजीकरण और ट्रेसबिलिटी सुनिश्चित की जा रही है।
अब तक इस पोर्टल पर—

  • 14,859 मधुमक्खी पालक, 269 शहद सोसाइटी, 150 फर्म और 206 कंपनियों का पंजीकरण हो चुका है।

इसके अलावा एनबीएचएम के अंतर्गत 100 किसान उत्पादक संगठन (FPOs) गठित किए गए हैं, जिनमें से कई को ट्राइफेड, नाफेड और एनडीडीबी को सौंपा गया है।

🟢 बुनियादी ढांचे का सुदृढ़ीकरण

सरकार ने एनबीएचएम के तहत देशभर में कई आधुनिक सुविधाओं को मंजूरी दी है—

  • 6 विश्वस्तरीय शहद परीक्षण केंद्र

  • 47 मिनी शहद परीक्षण प्रयोगशालाएं

  • 6 मधुमक्खी रोग जांच प्रयोगशालाएं

  • 8 कस्टम हायरिंग सेंटर

  • 26 शहद प्रसंस्करण इकाइयां

  • 18 ब्रांडिंग एवं विपणन इकाइयां

  • 10 पैकेजिंग व कोल्ड स्टोरेज सेंटर

साथ ही 424 हेक्टेयर क्षेत्र में मधुमक्खी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन स्थल और 288 हेक्टेयर क्षेत्र में मधुमक्खी-अनुकूल वनस्पति फार्म विकसित किए जा रहे हैं।

🟡 महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण आजीविका

राष्ट्रीय मधुमक्खी मिशन में महिला स्व-सहायता समूहों की 167 गतिविधियों को शामिल किया गया है।
मेघालय के नोंगथाईममयी गांव और जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में महिलाएं और युवा मधुमक्खी पालन को लाभदायक उद्यम में बदल रहे हैं।
कुपवाड़ा का “कुपवाड़ा ऑर्गेनिक हनी” अब जीआई टैग प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है।
यहां सरकार ने 25 लाख रुपये की लागत से शहद प्रसंस्करण और बॉटलिंग प्लांट स्थापित किया है, जो प्रतिदिन 2 क्विंटल शहद तैयार करता है।

🟢 राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (NBB): मिशन का नोडल संस्थान

राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड की स्थापना 19 जुलाई 2000 को सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत की गई थी और 2006 में पुनर्गठन हुआ।
यह संस्था देश में मधुमक्खी पालन के वैज्ञानिक विकास, नीति निर्माण, प्रशिक्षण, परियोजना स्वीकृति और तकनीकी निगरानी का कार्य करती है।

एनबीबी में परियोजनाओं की स्वीकृति और निगरानी के लिए कई समितियां गठित हैं—

  • राष्ट्रीय संचालन समिति

  • परियोजना स्वीकृति एवं देखरेख समिति

  • परियोजना निर्धारण समिति

  • राज्य स्तरीय संचालन समिति

  • जिला स्तरीय समिति

साथ ही नाफेड, एनडीडीबी, ट्राइफेड, आईसीएआर, एमएसएमई इकाइयों को क्रियान्वयन एजेंसियों के रूप में जोड़ा गया है।

🟡 मधुमक्खी पालन से आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ

मधुमक्खी पालन कृषि का एक महत्वपूर्ण अंग है जो फसलों के परागण में मदद करता है, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बढ़ती हैं।
इससे किसानों को शहद, मोम, बी पराग, प्रोपोलिस, रॉयल जेली, बी वेनम जैसे उत्पादों से अतिरिक्त आय प्राप्त होती है।
यह न केवल कृषि क्षेत्र के विविधीकरण में मदद करता है बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाता है।

🔵 सारांश

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में परिवर्तन लाने वाली प्रमुख योजनाओं में से एक बन चुका है।
इस मिशन ने न केवल शहद उत्पादन और निर्यात को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है, बल्कि किसानों, महिलाओं और युवाओं को आत्मनिर्भरता की नई राह दिखाई है।
मीठी क्रांति” अब भारत की कृषि क्रांति का नया अध्याय बन चुकी है।

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