मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना ने पूरे किए दस वर्ष, खेती में लाया क्रांतिकारी बदलाव
नई दिल्ली, 19 फरवरी 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 19 फरवरी 2015 को राजस्थान के सूरतगढ़ में शुरू की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना ने अपने दस वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी मिट्टी की पोषक स्थिति की जानकारी देना और उर्वरता सुधार के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की अनुशंसा करना है। राज्य सरकारों की सहायता से इसे देशभर में लागू किया गया, जिससे लाखों किसानों को लाभ मिला।
डिजिटल युग में मृदा स्वास्थ्य कार्ड मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल (www.soilhealth.dac.gov.in) सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं और पांच बोलियों में उपलब्ध है, जिससे किसानों को आसानी से उनकी मिट्टी से जुड़ी जानकारी मिल सके। यह कार्ड 12 प्रमुख मापदंडों पर आधारित होता है, जिसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सल्फर, जिंक, लौह तत्व, तांबा, मैंगनीज, बोरन, पीएच, विद्युत चालकता और कार्बनिक कार्बन शामिल हैं। मिट्टी के नमूने साल में दो बार, रबी और खरीफ फसल के बाद लिए जाते हैं।
ग्राम स्तरीय मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की बढ़ती संख्या मृदा परीक्षण की पहुंच बढ़ाने के लिए जून 2023 में ग्राम स्तरीय मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं (वीएलएसटीएल) की स्थापना के दिशा-निर्देश जारी किए गए। इन प्रयोगशालाओं की स्थापना ग्रामीण युवाओं, स्वयं सहायता समूहों, कृषि विश्वविद्यालयों और किसान उत्पादक संगठनों द्वारा की जा सकती है। फरवरी 2025 तक 17 राज्यों में 665 ग्राम स्तरीय मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित हो चुकी हैं।

स्कूलों में भी मृदा स्वास्थ्य की शिक्षा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने स्कूली शिक्षा विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और राज्य सरकारों के सहयोग से 20 स्कूलों में स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत की। छात्रों को टिकाऊ कृषि और मृदा स्वास्थ्य की जानकारी देने के उद्देश्य से इस पायलट परियोजना के तहत 20 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं। 2024 तक, 1020 स्कूल इस कार्यक्रम को लागू कर रहे हैं, 1000 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित हो चुकी हैं और 1,25,972 छात्र इस पहल से जुड़े हैं।
तकनीकी नवाचार से योजना को नई गति सरकार ने 2023 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना में तकनीकी हस्तक्षेप किए, जिससे इसे और अधिक प्रभावी बनाया गया। मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल को भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) से जोड़ा गया, जिससे सभी परीक्षण परिणाम डिजिटल रूप से कैप्चर और मैप किए जा सकें। इसके अलावा, मोबाइल एप्लिकेशन को भी उन्नत किया गया, जिसमें निम्नलिखित विशेषताएँ जोड़ी गईं:
- ग्राम स्तरीय उद्यमियों के लिए नमूना संग्रह क्षेत्र का सीमांकन
- नमूने के स्थान के अक्षांश और देशांतर का स्वतः चयन
- भू-मानचित्रित प्रयोगशालाओं से सीधे पोर्टल पर परीक्षण परिणाम अपलोड करने के लिए क्यूआर कोड प्रणाली
सतत कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण कदम अप्रैल 2023 में शुरू की गई नई प्रणाली के तहत अब मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से नमूने एकत्र किए जा रहे हैं और मृदा स्वास्थ्य कार्ड डिजिटल रूप से तैयार किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा विकसित वेब आधारित कार्यप्रणाली ने इस प्रक्रिया को और सरल और पारदर्शी बना दिया है।
पिछले एक दशक में, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना ने भारतीय कृषि पद्धतियों में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं। किसानों को मिट्टी की पोषक स्थिति और उर्वरक उपयोग की सटीक जानकारी मिलने से टिकाऊ कृषि को बढ़ावा मिला है। स्कूलों में इस विषय को शामिल करने से नई पीढ़ी भी मिट्टी के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रही है। आधुनिक तकनीक और डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ यह योजना कृषि के भविष्य को समृद्ध करने में अहम भूमिका निभा रही है।