खरगोश पालन की ट्रेनिंग: जानिए विशेषज्ञ की राय

“खरगोश पालन कैसे करें: पूरी जानकारी और टिप्स”

खरगोश पालन (Rabbit Farming) एक लाभदायक और सरल व्यवसाय है, जो कम लागत में शुरू किया जा सकता है। यह विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लोगों के लिए एक अच्छा आय का स्रोत है। खरगोश पालन के लिए स्थान, उचित आवास और पोषण युक्त चारे की आवश्यकता होती है।

खरगोश पालन की ट्रेनिंग: जानिए विशेषज्ञ की राय..

खरगोश पालन को सफलतापूर्वक शुरू करने और इसे एक लाभदायक व्यवसाय बनाने के लिए सही प्रशिक्षण बेहद जरूरी है। इस विषय पर कृषि टाइम्स  ने डॉ. आर.एस. भट्ट से बात की, जो आईसीएआर-सीएसडब्ल्यूआरआई (ICAR-CSWRI), अविकानगर, राजस्थान के प्रधान वैज्ञानिक एवं पशु पोषण प्रभाग के अध्यक्ष हैं।

Dr. R.S. Bhatt. Principal Scientist and Head. Division of Animal Nutrition. ICAR-CSWRI, Avikanagar. Rajasthan

डॉ. भट्ट के अनुसार, खरगोश पालन के लिए वैज्ञानिक जानकारी और उचित मार्गदर्शन बहुत महत्वपूर्ण है।

खरगोश शाला की जगह: सड़क आदि से दूर किसी शांत जगह पर होनी चाहिए. सर्द इलाकों में शाला की दिशा सूरज की और तथा गर्म इलाकों में सूरज की विपरीत दिशा में होनी चाहिए. अधिकतर किसानों में यह धारणा है कि खरगोेश केवल ठण्डे प्रदेशों में ही पाले जा सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। माँस के लिए खरगोश (ब्र्र्र्रायलर) 35 से 40 डीग्री सै0 तापमान तथा शुष्क व नम जलवायु वाले क्षेत्रों में भी पाले जा सकते है। किन्तु ऊन वाले खरगोश (अंगोरा) केवल 15 से 20 डिग्री सै0 तापमान वाले क्षेत्रों में ही संतोषजनक तरीके से पाले जा सकते हैं।

खरगोश आवास : खरगोश आवास साफ सुथरा तथा हवादार होना चाहिए. खरगोश शाला का फर्श कच्चा तथा चारों तरफ 4-5 फीट ईंट की दीवार तथा इसके उपर 4-5 फीट जाली लगी होनी चाहिए. खरगोशों को जालीदार पिंजरों में रखना उपयुक्त पाया गया है.

खरगोशों की नस्लें : अच्छी पैदावार के लिए ये बहुत जरुरी हे की खरगोश अच्छी नस्ल के हों. ब्रायलर खरगोशों की सोवियत चिन्चिल्ला, ग्रे जायंट , वाइट जायंट, न्यूजीलैंड वाइट तथा ब्लैक ब्राउन पर्मुख प्रजातियाँ हैं तथा अंगोरा में जर्मन अंगोरा, रसियन अंगोरा, तथा ब्रिटिश अंगोरा प्रमुख प्रजातियाँ हैं. केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान सभी प्रकार के खरगोश एवं  किसानों को जरुरी ट्रेनिंग  प्रदान करता हे.

खरगोश आहार : खरगोश एक शाकाहारी पशु है. परन्तु अछ्छी पैदावार के लिए संतुलित आहार देना जरुरी है. खरगोश को कुल आहार का 70 प्रतिशत दानें के रूप में तथा बाकी का 30 प्रतिशत चारे के रूप में दिया जाता है। खरगोश आहार में घास चारे का बहुत महत्व है इसलिए खरगोश को उच्च गुणबत्ता बाले चारों की बहुत जरूरत होती है. खरगोश का चारा हमेशा मुरझाया सुखा होना चाहिए. छोटे बच्चों को 15 दिन का होने पर दाना देना शुरू करना चाहिए। दाना हमेशा दरड़कर ही देना चाहिए। विनिंग (छठे सप्ताह) के बाद ख़रगोश को 30 से 40 ग्राम दाना प्रतिदिन देना चाहिए। 60 से 65 दिन के खरगोश को करीव 50 से 60 ग्राम दाना प्रतिदिन देना चाहिए तथा 4 से 6 महिने के खरगोश को 80 से 100 ग्राम दाना प्रतिदिन देना चाहिए। ग्याभिन एवं दूध देने वाली मादाओं को हर समय दाना एवं अच्छी गुणवत्ता का चारा उपलब्ध होना चाहिए।

खरगोश प्रजनन: खरगोश प्रजनन में निम्नलिखित बातें महतवपूर्ण हैं.

  1. छह महीने की उम्र मे मादा खरगोश प्रजनन के लिए तैयार हो जाती है।
  2. एक साल में मादा खरगोश 4-5 बार बच्चे दे देती है।
  3. नर खरगोशों को मादा खरगोशों से दूर तथा आँखों से ओझल रखा जाता है।
  4. प्रजनन के लिए हमेशा मादा को ही नर के पिंजरे में लाया जाता हे।
  5. सफल प्रजनन के बाद नर खरगोश या तो पीठ के बल पीछे को गिर जाता हे
  6. अथवा चिल्लाने की आवाज निकलता हे।
  7. प्रजनन काल 28-32 दिन का होता हे ।
  8. चौदह दिन के बाद मादा खरगोश में गर्भधारण का पता लगाया जा सकता हे।
  9. गर्भधारण के 24 दिन के बाद मादा खरगोश को प्रसव पिंजरे में ले आते हें,
  10. दाने, चारे, पानी की उचित व्यबस्था की जाती हे तथा मादा को शोर रहित माहौल में रखा जाता हे।

खरगोश पालन सतत कृषि और ग्रामीण विकास में कैसे योगदान देता है?

खरगोश पालन मांस और ऊन उत्पादन के लिए किया जाने बाला एक बहुत अच्छा व्यवसाय है जिसे छोटे किसान जिनके पास कृषि भूमि हो या न हो घरेलू उद्योग के  रूप में अपना कर अधिक लाभ कमा सकते हैं खरगोश को सरल तरीके से एवं कम लागत पर अधिक उत्पादन के लिए पाला जा सकता है। खरगोश पालन के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता नहीं होती है। खरगाश के आवास और प्रबंधन पर कम पूंजी का निवेश होता है। खरगोश का मांस अन्य जानवरों  के मांस की अपेक्षा अधिक प्रोटीन तथा कम वसा व कोलेस्ट्रोल युक्त होता है। अतः इनका माँस अधिक रक्त चाप व हृदय रोगियों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। हमारे देश में खरगोश पालन का एक लाभ ये भी है कि इसके माँस से कोई धार्मिक प्रतिबंध नहीं जुड़ा है। एक मादा खरगोश एक बर्ष में 4000. 5000 रूपए का मुनाफा प्रदान करने में सक्षम है

खरगोश पालन में किसानों को किन मुख्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और उन्हें कैसे हल किया जा सकता है?

  1. खरगोश पालन में किसान भाई निम्नलिखित चुनोतियों का सामना कर सकते हैं .
  2. अच्छी नस्ल के खरगोशों की उपलब्धता
  3. खरगोश पालन की विस्तृत जानकारी तथा उसकी बजह से खरगोशों में होने बाली बीमारियाँ तथा मृत्यु
  4. उत्तम एवं संतुलित खरगोश आहार
  5. खरगोश एवं उसके उत्पाद की बाजार ब्यवस्था.

डॉ. भट्ट ने यह भी बताया कि प्रशिक्षण के दौरान किसानों को व्यावहारिक ज्ञान दिया जाता है, जिससे वे वास्तविक परिस्थितियों को बेहतर तरीके से समझ सकें।

यदि आप खरगोश पालन में रुचि रखते हैं और इसमें प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहते हैं, तो आईसीएआर-सीएसडब्ल्यूआरआई, अविकानगर, राजस्थान से संपर्क कर सकते हैं। यह केंद्र देशभर के पशुपालकों को तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करता है।

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