झांसी में नई चारा तकनीकों का प्रदर्शन, बंजर भूमि का होगा उपयोग!

केंद्रीय मंत्री ने झांसी में चारे की समस्या के समाधान पर दिया जोर

झांसी, 5 अप्रैल 2025 – केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) ने भारतीय घासभूमि और चारा अनुसंधान संस्थान (ICAR–IGFRI), झांसी का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने देश में चारे की कमी को दूर करने और घासभूमि के बेहतर उपयोग पर चर्चा की।

इस कार्यक्रम में पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) की सचिव अल्का उपाध्याय और पशुपालन आयुक्त डॉ. अभिजीत मित्रा भी शामिल हुए। मंत्री ने वैज्ञानिकों से मुलाकात की और संस्थान में विकसित नई चारा उत्पादन तकनीकों को देखा।

चारे की कमी पर चिंता

सभा को संबोधित करते हुए ललन सिंह ने बताया कि देश में 11% हरित चारे की कमी है। उन्होंने कहा कि भारत में 1.15 करोड़ हेक्टेयर घासभूमि और 10 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि उपलब्ध है, जिसका सही उपयोग करके चारे की समस्या को हल किया जा सकता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “अगर इन संसाधनों का सही प्रबंधन किया जाए, तो हम चारे में आत्मनिर्भर बन सकते हैं और पशुधन की उत्पादकता भी बढ़ा सकते हैं।”

नई तकनीकों का प्रदर्शन

इस दौरे के दौरान चारा उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई नई तकनीकों को दिखाया गया, जैसे:

  • पशुधारित एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS) – यह तकनीक छोटे और बड़े किसानों दोनों के लिए उपयोगी है।

  • बहुवर्षीय घासों की उन्नत किस्में – जो कम पानी में भी अच्छी उपज देती हैं।

  • ड्रोन से बीज बोने की तकनीक – इससे बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है।

  • चारा उत्पादन के लिए विशेष कृषि यंत्र – जो खेती को आसान और तेज़ बनाते हैं।

राज्यों में चारा उत्पादन को बढ़ावा

सचिव अल्का उपाध्याय ने कहा कि राज्यों में चारा उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार विशेष योजनाएँ बना रही है। उन्होंने बताया कि केरल में नारियल बागानों के खाली स्थानों में चारा उगाने की योजना बनाई गई है, जो अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल हो सकता है। इस विषय पर चर्चा के लिए 8 अप्रैल 2025 को केरल में एक बैठक होगी, जिसमें राज्य सरकार, कृषि विज्ञान केंद्रों और वैज्ञानिकों की भागीदारी रहेगी।

सरकार का लक्ष्य

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार पशुपालन क्षेत्र को सशक्त, टिकाऊ और आत्मनिर्भर बनाने के लिए विज्ञान और नई तकनीकों को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने वैज्ञानिकों से चारा उत्पादन और घासभूमि सुधार के लिए और अधिक नवाचार करने का आह्वान किया।

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