बेंगलुरु में शुरू हुआ 11वां भारतीय उद्यानिकी कांग्रेस — नई किस्में, नई नीतियां और नवाचार पर जोर 🌸
बेंगलुरु स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय (जीकेवीके) में 11वें इंडियन हॉर्टिकल्चर कॉन्ग्रेस (Indian Horticultural Congress) का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर पूर्व सचिव (डीएआरई) एवं आईसीएआर के पूर्व महानिदेशक पद्मभूषण डॉ. आर.एस. परोड़ा ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। समारोह की अध्यक्षता डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डीएआरई) एवं महानिदेशक (आईसीएआर) ने की।
पोषक और परंपरागत फसलों पर अनुसंधान की जरूरत: डॉ. जाट
अपने संबोधन में डॉ. एम.एल. जाट ने कहा कि अब समय है कि अनुसंधान को पोषक तत्वों से भरपूर, पारंपरिक और अवसर आधारित फसलों की दिशा में केंद्रित किया जाए ताकि स्थानीय खाद्य प्रणाली मजबूत हो और जनस्वास्थ्य में सुधार लाया जा सके।
उन्होंने प्रधानमंत्री के तीन प्रमुख मंत्रों—बायोफोर्टिफाइड फसलों के प्रोत्साहन, जैव विविधता के उपयोग, और मिट्टी स्वास्थ्य के लिए जैव आधारित इनपुट्स—को अनुसंधान का मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि वैज्ञानिकों को बहुविषयक सहयोग और बहु-संस्थागत भागीदारी की दिशा में कार्य करना चाहिए ताकि डिस्कवरी से डिलीवरी तक जुड़ाव स्थापित हो सके।
उद्यानिकी उत्पादन ने अनाजों को पछाड़ा: डॉ. परोड़ा
डॉ. आर.एस. परोड़ा ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत में उद्यानिकी क्षेत्र पोषण सुरक्षा प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि देश का उद्यानिकी उत्पादन अब अनाज उत्पादन से अधिक हो गया है।
डॉ. परोड़ा ने इस क्षेत्र की निरंतर वृद्धि के लिए नीतिगत सहयोग, फसल कटाई के बाद प्रबंधन, मूल्य संवर्धन और निर्यात पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई।
नई किस्में जारी, उत्कृष्ट शोधकर्ताओं को सम्मान
भारतीय उद्यानिकी संघ (IAHS) और कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बेंगलुरु द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस चार दिवसीय सम्मेलन में उद्यानिकी अनुसंधान और विकास में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों और संस्थानों को प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में गुलाब और चाइना एस्टर की नई किस्में जारी की गईं तथा आईसीएआर-भारतीय उद्यानिकी अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच कमलम फल प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
चित्र: सोशल मीडिया