सरसों की फसल में रोगों से सावधान रहें किसान: चौ. चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण सलाह
हिसार- सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने अहम सलाह जारी की है। बदलते मौसम और नमी की अधिकता के कारण सरसों की फसल में जड़ गलन, फुलिया रोग (Downy Mildew) और उखेड़ा (Wilting) जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं।
विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि इस वर्ष राज्य में रबी 2024-25 के दौरान 6.68 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की बुवाई की गई है। मौसम की अनुकूलता न होने से कई स्थानों पर फसल प्रभावित हो रही है।
⚠️ मुख्य समस्याएं जो किसानों को सताने लगी हैं
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जड़ गलन (Root Rot): पौधों का मुरझाना और धीरे-धीरे सूख जाना।
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फुलिया रोग (Downy Mildew): पत्तियों के नीचे सफेद परत और फफूंद का जमना, बाद में पत्तियों का पीला होकर सूखना।
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उखेड़ा: पहली सिंचाई के बाद पौधों का उखड़ जाना और खेत में फसल का झुक जाना।
🌱 वैज्ञानिकों की सलाह — ऐसे बचाएं फसल को
विश्वविद्यालय के पौध संरक्षण विशेषज्ञों ने कहा कि किसानों को अब पुरानी दवाओं या पारंपरिक कीटनाशकों का उपयोग नहीं करना चाहिए। उनकी जगह नए और प्रभावी फफूंदनाशकों का प्रयोग किया जाए।
🔸 बीज उपचार
बुवाई से पहले बीजों को कार्बेन्डाजिम 0.1% या मैनकोजेब 0.25% घोल से उपचारित करें। इससे जड़ गलन और फफूंदी जैसी बीमारियों से सुरक्षा मिलती है।
🔸 पत्तियों पर फफूंद दिखने पर
यदि सफेद परत या धब्बे नजर आएं, तो डाइथेन एम-45 या मेटालेक्सिल + मैनकोजेब 64% दवा का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। जरूरत पड़ने पर 15 दिन बाद दोहराएं।
🔸 सिंचाई प्रबंधन
विशेषज्ञों ने कहा कि अत्यधिक पानी पौधों की जड़ों को सड़ा देता है। इसलिए पहली सिंचाई हल्की करें और जहां मिट्टी में नमी अधिक हो, वहां 10 दिन की देरी करें।
💬 विशेषज्ञों का कहना है
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया,
“इस बार की जलवायु स्थिति में नमी का स्तर अधिक होने से रोगों का प्रकोप बढ़ा है। किसान नियमित निगरानी रखें और प्रारंभिक लक्षणों पर तुरंत कार्रवाई करें, इससे उत्पादन में गिरावट को रोका जा सकता है।”
विश्वविद्यालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करें। खेत की मिट्टी और पौधों की स्थिति का ध्यान रखते हुए समय पर उपचार करें, ताकि सरसों की फसल स्वस्थ और लाभदायक बनी रहे।