चार राज्यों की योजनाओं की समीक्षा में सामने आई ज़मीनी हकीकत!

केंद्र-राज्य समन्वय से मत्स्य क्षेत्र में आएगी तेजी

केंद्रीय मत्स्यपालन मंत्री ललन सिंह का कोलकाता में बड़ा बयान – “एनएफडीबी पंजीकरण में तेजी लाएं, प्रसंस्करण और निर्यात क्षमता बढ़ाएं

चार पूर्वी राज्यों की क्षेत्रीय समीक्षा बैठक में मत्स्य योजनाओं की गहन समीक्षा, योजनाओं की पहुंच और प्रभावशीलता पर दिया गया विशेष जोर

कोलकाता, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कोलकाता में आयोजित एक क्षेत्रीय समीक्षा बैठक में पश्चिम बंगाल समेत चार पूर्वी राज्यों—बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल—में मत्स्यपालन योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने का आह्वान किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मत्स्य किसानों के राष्ट्रीय मत्स्यपालन विकास बोर्ड (एनएफडीबी) में कम पंजीकरण की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है, जिससे उन्हें केंद्र सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।

एनएफडीबी पंजीकरण बेहद कम – किसानों को नहीं मिल पा रहा लाभ

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल के करीब 32 लाख मत्स्य किसानों में से एक बड़ा हिस्सा अभी तक एनएफडीबी में पंजीकृत नहीं है। इसका सीधा असर यह है कि ऐसे किसान प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (PM-MKSSY) और प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने राज्य सरकार और मत्स्य विभाग को निर्देश दिए कि वे जल्द से जल्द इस दिशा में विशेष अभियान चलाकर पंजीकरण को प्रोत्साहित करें।

अंतर्देशीय मत्स्यपालन में अपार संभावनाएं

ललन सिंह ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में अंतर्देशीय मत्स्यपालन की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने पारंपरिक जल निकायों जैसे तालाबों (पुकुर) के बेहतर उपयोग, मछुआरों की सहकारी समितियों के गठन और स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण इकाइयों के विकास पर जोर दिया। इससे न केवल राज्य में स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि मत्स्य निर्यात को भी नई दिशा मिलेगी।

शुष्क मछली क्लस्टर की स्थापना की योजना

केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल में शुष्क मछली क्लस्टर की स्थापना पर भी काम कर रही है, जिससे मत्स्य उत्पादों के मूल्य संवर्धनऔर ग्लोबल बाजारों तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके। इससे राज्य को निर्यात क्षेत्र में भी मजबूती मिलेगी।

नई तकनीक, कृत्रिम रीफ़ और प्रशिक्षण पर बल

बैठक में सिंह ने यह भी कहा कि भारत अब विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है। पिछले दशक में मछली उत्पादन में 104% और अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन में 142% की वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि इन उपलब्धियों को आगे बढ़ाने के लिए नई तकनीकों का उपयोग मछुआरों के लिए बेहतर प्रशिक्षण, और कृत्रिम रीफ़ जैसे नवाचारों का विस्तार आवश्यक है।

केंद्र-राज्य समन्वय और संस्थागत समर्थन की जरूरत

इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन और मत्स्य विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी भी उपस्थित थे। उन्होंने योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय, संस्थागत समर्थन, और पारदर्शी वितरण तंत्र की आवश्यकता को रेखांकित किया।

चार राज्यों की प्रगति पर हुई विस्तृत समीक्षा

कोलकाता के एक होटल में आयोजित इस बैठक में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। बैठक में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY), किसान क्रेडिट कार्ड (KCC), मत्स्य एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (FIDF)  और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (PM-MKSSY) जैसी योजनाओं की प्रगति की विस्तृत समीक्षा की गई। अधिकारियों ने प्रस्तुतियां और क्षेत्रीय डेटा साझा करते हुए चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की।

बैठक का उद्देश्य: योजनाओं को ज़मीन तक पहुंचाना

इस क्षेत्रीय सत्र का मुख्य उद्देश्य मत्स्य योजनाओं के जमीनी क्रियान्वयन का आकलन करना, बाधाओं की पहचान करना, और भविष्य के लिए प्रभावी कार्ययोजना बनाना था ताकि इन योजनाओं के माध्यम से मछुआरों और किसानों को वास्तविक लाभ मिल सके।

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