किसान कल्याण से ही आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार

नई दिल्ली। राष्ट्रीय किसान दिवस, जिसे किसान दिवस के नाम से भी जाना जाता है, प्रत्येक वर्ष 23 दिसंबर को पूरे देश में मनाया जाता है। यह दिवस भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के अवसर पर किसानों के योगदान और उनके संघर्षों को सम्मान देने के लिए समर्पित है। चौधरी चरण सिंह को ‘किसानों का मसीहा’ कहा जाता है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन किसान हितों के लिए समर्पित कर दिया।
किसानों के नेता चौधरी चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। वे 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उनके कार्यकाल और राजनीतिक जीवन में कृषि सुधार, भूमि सुधार और किसानों के अधिकार सर्वोपरि रहे। वर्ष 2001 में केंद्र सरकार ने उनके जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस घोषित किया।
कृषि: भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़

भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि है। देश की लगभग 60 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खेती पर निर्भर है। किसान न केवल अन्नदाता हैं, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा के मजबूत स्तंभ भी हैं। राष्ट्रीय किसान दिवस यह याद दिलाता है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के बावजूद आज भी किसानों को उचित मूल्य, सिंचाई सुविधाओं और आधुनिक तकनीक की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सरकारी पहल और योजनाएं
राष्ट्रीय किसान दिवस के अवसर पर केंद्र और राज्य सरकारें किसान मेलों, सम्मेलनों और सम्मान समारोहों का आयोजन करती हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत किसानों को प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता दी जा रही है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई), ई-नाम पोर्टल और डिजिटल कृषि अभियानों के माध्यम से किसानों को बाजार, तकनीक और जानकारी से जोड़ा जा रहा है।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि कृषि क्षेत्र में कई सकारात्मक प्रयास हुए हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन, अनियमित मानसून, मिट्टी का क्षरण आज भी बड़ी चुनौती बने हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रिप इरिगेशन, सोलर पंप, ड्रोन तकनीक और जैविक खेती को बढ़ावा देकर इन समस्याओं का समाधान संभव है।
किसान कल्याण से ही राष्ट्र विकास
राष्ट्रीय किसान दिवस हमें यह संकल्प लेने का अवसर देता है कि किसान कल्याण के बिना राष्ट्र का विकास अधूरा है। किसानों को सम्मान, सुरक्षा और समृद्धि देकर ही आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार किया जा सकता है। इस अवसर पर सभी नागरिकों से किसानों के प्रति कृतज्ञता और सहयोग की भावना अपनाने की अपील की जाती है।
जय जवान, जय किसान! जय विज्ञान