156 सहकारी समितियों व 9 एफएफपीओ के 251 प्रतिनिधियों से संवाद
रायगढ़ में मत्स्य सहकारी क्लस्टर की समीक्षा: डॉ. अभिलक्ष लिखी ने सहकारी मॉडल को बताया विकास की नई दिशा 🐟
रायगढ़, महाराष्ट्र – मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्यपालन विभाग (डीओएफ) के केंद्रीय सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने मंगलवार को रायगढ़ जिले के मत्स्यपालन सहकारी क्लस्टर का दौरा किया। उन्होंने क्लस्टर की प्रगति की समीक्षा करते हुए सहकारी हितधारकों से सीधे संवाद किया। यह क्लस्टर एकीकृत मत्स्यपालन वैल्यू चेन विकास के एक मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
इस अवसर पर डॉ. लिखी ने कहा कि, “मत्स्य सहकारिता न केवल ग्रामीण आजीविका को मज़बूत कर रही है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।” उन्होंने बताया कि सरकार सहकारी नेतृत्व वाले दृष्टिकोण के माध्यम से मछुआरा समुदाय की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
🔹251 सहकारी प्रतिनिधियों से संवाद
डॉ. लिखी ने रायगढ़ जिले की 156 प्राथमिक मत्स्यपालन सहकारी समितियों और 9 मत्स्यपालक उत्पादक संगठनों (एफएफपीओ) का प्रतिनिधित्व करने वाले 251 सदस्यों से मुलाकात की। उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और मत्स्य पालन अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ) जैसी राष्ट्रीय योजनाओं के साथ क्लस्टर गतिविधियों को जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने बताया कि मत्स्य विभाग और सहकारिता मंत्रालय के बीच एक संयुक्त कार्य बल देशभर में मत्स्य सहकारी समितियों को मज़बूत करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
🔹एनएफडीबी को शिविर आयोजित करने के निर्देश
रायगढ़ दौरे के दौरान डॉ. लिखी ने राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) को जिले की सभी तालुकाओं में जागरूकता, प्रशिक्षण और शिकायत निवारण शिविर आयोजित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इससे योजनाओं की पहुँच और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित होगा।
उन्होंने क्लस्टर आधारित विकास दृष्टिकोण को मत्स्य मूल्य श्रृंखला के एकीकृत विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया और हितधारकों को निर्यात बढ़ाने, इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने और वित्तीय पहुँच को सुदृढ़ करने के लिए नई रणनीतियाँ अपनाने का सुझाव दिया।
🔹अधिकारियों ने साझा किए विचार
कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से शामिल संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्य पालन) श्री सागर मेहरा ने विभिन्न मंत्रालयों और योजनाओं के बीच समन्वय और तकनीकी नवाचार को सतत विकास के लिए आवश्यक बताया।
संयुक्त सचिव (समुद्री मत्स्य पालन) सुश्री नीतू कुमारी ने बंदरगाह प्रबंधन हेतु एसओपी के विकास और सहकारी समितियों को सशक्त बनाने पर जोर दिया।
वहीं, एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. बी. के. बेहरा ने रायगढ़ जिले के मत्स्य पालन परिदृश्य और अगले पाँच वर्षों की विकास रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसमें कोल्ड चेन, प्रसंस्करण, बाजार संपर्क और कल्याणकारी योजनाओं को प्रमुखता दी गई है।
🔹हितधारकों की सक्रिय भागीदारी
चर्चा में समुद्री, मीठे पानी और खारे पानी के क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने सफलता की कहानियाँ साझा कीं और घाटों, बर्फ संयंत्रों, शीत भंडारण और ड्रेजिंग सुविधाओं जैसी आवश्यकताओं पर जोर दिया।
महिला सदस्यों ने स्वास्थ्य शिविरों और स्वच्छता सुविधाओं जैसे महिला-केंद्रित कार्यक्रमों की जरूरत बताई।
🔹क्लस्टर का उद्देश्य
रायगढ़ का मत्स्य सहकारी क्लस्टर, पीएमएमएसवाई के तहत अधिसूचित 34 राष्ट्रीय क्लस्टरों में से एक है। इसका उद्देश्य मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र में एकीकृत, प्रतिस्पर्धी और सतत विकास को प्रोत्साहित करना है। ये क्लस्टर उत्पादन से लेकर मार्केटिंग और निर्यात तक वैल्यू चेन को सुदृढ़ करते हुए रोजगार, आय और उद्यमशीलता के नए अवसर सृजित कर रहे हैं।
इस दिशा में मत्स्यपालन विभाग खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, नाबार्ड और एमएसएमई मंत्रालय के साथ मिलकर इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, वित्तीय पहुंच, मूल्य संवर्धन और स्टार्टअप इकोसिस्टम को मज़बूत करने पर काम कर रहा है।