पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र के किसानों के लिए रबी मूंगफली खेती पर विस्तृत कृषि सलाह जारी
पूर्वोत्तर पर्वतीय (NEH) क्षेत्र में रबी मौसम के दौरान मूंगफली की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने किसानों के लिए विस्तृत कृषि सलाह जारी की है। विशेषज्ञों ने बताया कि इस क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी रबी मूंगफली के लिए अनुकूल है, बशर्ते किसान समय पर बुवाई, संतुलित उर्वरक प्रयोग और उचित रोग–कीट प्रबंधन अपनाएं।
बुवाई का उपयुक्त समय और किस्में
सलाह में कहा गया है कि मूंगफली की रबी फसल की बुवाई मध्य नवंबर से शुरुआती दिसंबर तक कर देनी चाहिए। जिन इलाकों में सिंचाई उपलब्ध है, वहां किसान मार्च तक ग्रीष्मकालीन बुवाई भी कर सकते हैं।
ICAR ने इस क्षेत्र के लिए TAG-73, कदिरी लेपाक्षी (K-1812) और GG-39 जैसी उन्नत किस्मों को सर्वाधिक उपयुक्त बताया है, जो बेहतर उत्पादन और रोग प्रतिरोध क्षमता प्रदान करती हैं।
बीज दर, दूरी और उपचार
कृषि वैज्ञानिकों ने प्रति हेक्टेयर 100–120 किलोग्राम बीज की मात्रा को आदर्श बताया है, जबकि पंक्ति–पंक्ति दूरी 30×10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
बुवाई से पहले बीज को ट्राइकोडर्मा (4 ग्राम/किग्रा) या कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम/किग्रा) से उपचारित करना अनिवार्य बताया गया है, क्योंकि इससे बीजजनित रोगों की रोकथाम होती है। इसके बाद राइजोबियम कल्चर का लेपन फसल में नाइट्रोजन स्थिरीकरण को बढ़ाता है, जो उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उर्वरक और पोषक तत्व प्रबंधन
सलाह के अनुसार खेत में 20:40:40 किग्रा/हेक्टेयर NPK उर्वरक डालना चाहिए। इसके साथ ही 500 क़िलो जिप्सम प्रति हेक्टेयर बुवाई के समय दिया जाए तो दाना भराव और फली विकास बेहतर होता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि जिप्सम में मौजूद कैल्शियम मूंगफली के दानों की गुणवत्ता बढ़ाने में महत्वपूर्ण है।
सिंचाई की आवश्यकता और महत्त्व
NEH क्षेत्र में वर्षा आधारित खेती अधिक है, इसलिए सिंचाई उपलब्ध होने पर उत्पादन में काफी बढ़ोतरी संभव है। मूंगफली की फसल को कुल 5–6 सिंचाइयों की जरूरत पड़ती है।
विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा कि फूल आने (फ्लावरिंग) और फलियों के बनने (पॉड फॉर्मेशन) के समय सिंचाई सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन चरणों में पानी की कमी से उपज पर सीधा असर पड़ता है।
निंदाई–गुड़ाई और फसल संरक्षण
निंदाई के लिए 20 दिन बाद खेत में हाथ से निराई करने और उसके बाद मेड चढ़ाने (earthing up) की सलाह दी गई है।
कीट प्रबंधन के लिए रस चूसक कीटों पर डाइमेथोएट या इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव प्रभावी माना गया है। वहीं टिक्का रोग जैसे प्रमुख पत्तीझुलसा रोग की रोकथाम के लिए क्लोरोथालोनिल या मैन्कोज़ेब का उपयोग करने की अनुशंसा की गई है।
किसानों की आय बढ़ाने में मददगार
ICAR के अनुसार इस सलाह को अपनाकर किसान न केवल रबी सीजन में बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि खेती में जलवायु सहनशीलता, जोखिम कम होने और आय विविधीकरण के अवसर भी बढ़ते हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में मूंगफली की रबी खेती किसानों को सब्जी एवं धान आधारित कृषि प्रणाली में एक लाभकारी विकल्प प्रदान करती है।
कृषि परिषद का कहना है कि यह वैज्ञानिक सलाह किसानों को नई तकनीकों को अपनाने और संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए प्रेरित करेगी, जिससे क्षेत्र में मूंगफली उपज में उल्लेखनीय वृद्धि संभव है।
स्रोत: ICAR