“प्याज की खेती से बढ़ेगी किसानों की आमदनी”
भारत में प्याज (Onion) न सिर्फ एक प्रमुख सब्जी फसल है, बल्कि किसानों की नकदी आय का भी महत्वपूर्ण स्रोत है। इसकी खेती लगभग सभी राज्यों में की जाती है, खासकर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक और बिहार में। यदि किसान वैज्ञानिक तरीके से प्याज की खेती करें, तो प्रति एकड़ अच्छी पैदावार और अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि प्याज की खेती से किसानों को अधिक लाभ कैसे मिल सकता है और कौन-कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए।
1. सही किस्म और बीज चयन
प्याज की किस्म का चयन जलवायु और बाजार मांग के अनुसार करना चाहिए। खरीफ के लिए ‘अग्रिफाउंड डार्क रेड’, ‘एन-53’, ‘भूवनेश्वर रेड’ उपयुक्त हैं, जबकि रबी मौसम में ‘पोसा रेड’, ‘पोसा माधवी’, ‘अरुणा’ जैसी किस्में अच्छा पैदावार देती हैं। बीज प्रमाणित स्रोत से खरीदें और बुवाई से पहले ट्राइकोडर्मा या थायरम जैसे फफूंदनाशी से उपचारित करें ताकि बीजजनित रोगों से बचाव हो सके।
2. भूमि और फसल प्रबंधन
प्याज की खेती के लिए दोमट या हल्की दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है, जिसमें जल निकासी अच्छी हो। खेत की तैयारी के दौरान गोबर की सड़ी खाद (20–25 टन/हेक्टेयर) डालनी चाहिए। प्याज की रोपाई कतार से करें, पौधों के बीच 10 सेमी और कतारों के बीच 15 सेमी की दूरी रखें। सिंचाई हमेशा हल्की करें और जलभराव से बचें क्योंकि प्याज की फसल में जलभराव से ‘गले सड़ने’ की समस्या आती है।
3. रोग और कीट प्रबंधन
प्याज की फसल में ‘थ्रिप्स’, ‘कटवर्म’ और ‘पर्पल ब्लॉच’ जैसे रोग आम हैं। इनसे बचाव के लिए खेत में साफ-सफाई रखें, फसल चक्र का पालन करें और आवश्यकता अनुसार अनुशंसित दवाओं का प्रयोग करें। जैविक उपायों जैसे नीम तेल स्प्रे (3%) का उपयोग पर्यावरण के लिए सुरक्षित है।
4. फसल कटाई और भंडारण सावधानियाँ
जब प्याज के पत्ते लगभग 70-80% सूख जाएं, तब फसल कटाई के लिए तैयार होती है। कटाई के बाद प्याज को 4–5 दिन तक धूप में सुखाएं ताकि बाहरी परत मजबूत हो जाए। भंडारण के लिए प्याज को हवादार और सूखे गोदाम में रखें। प्याज को फर्श से कम से कम 1 फुट ऊपर बांस या लकड़ी के मचान पर रखें ताकि नमी से नुकसान न हो। उचित वेंटिलेशन होने से प्याज की गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहती है।
5. बाजार और लाभ प्रबंधन
प्याज का भाव सालभर में काफी बदलता है। किसानों को FPO (किसान उत्पादक संगठन) या ई-नाम प्लेटफॉर्म के माध्यम से सामूहिक विपणन अपनाना चाहिए ताकि उन्हें उचित मूल्य मिले। भंडारण कर किसानों को तब बाजार में प्याज बेचना चाहिए जब दाम बढ़े हों। इससे सीधा लाभ 25–40% तक बढ़ सकता है।
सारांश
प्याज की खेती वैज्ञानिक तकनीक, सावधानीपूर्वक भंडारण और सही बाजार रणनीति के साथ की जाए तो यह किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी सिद्ध हो सकती है। मौसम के अनुसार किस्म का चयन, रोग नियंत्रण, जल प्रबंधन और सामूहिक विपणन जैसे कदम अपनाकर किसान अपनी आमदनी दोगुनी कर सकते हैं। प्याज सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि समझदारी से की गई योजना का प्रतीक बन सकती है जो किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत करती है।