PM मोदी ने संस्कृत सुभाषितम से बताया किसानों का महत्व

सोना-चांदी भी बेकार, अन्न के लिए किसान जरूरी: PM मोदी

किसानों के महत्व पर प्रधानमंत्री का संदेश, संस्कृत सुभाषितम किया साझा

नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों के महत्व और उनकी अनिवार्य भूमिका को रेखांकित करते हुए एक प्रेरणादायी संस्कृत सुभाषितम साझा किया है। उन्होंने यह सुभाषितम सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट के माध्यम से देशवासियों के साथ साझा किया।

प्रधानमंत्री द्वारा साझा किया गया सुभाषितम इस प्रकार है—

“सुवर्ण-रौप्य-माणिक्य-वसनैरपि पूरिताः।
तथापि प्रार्थयन्त्येव किसानान् भक्ततृष्णया।।“

सुभाषितम का भावार्थ

इस सुभाषितम का तात्पर्य है कि चाहे मनुष्य के पास सोना, चांदी, माणिक्य और उत्तम वस्त्र जैसी सभी भौतिक समृद्धियां क्यों न हों, फिर भी भोजन की आवश्यकता के लिए उसे अंततः किसान पर ही निर्भर रहना पड़ता है। यह कथन समाज में किसानों की केंद्रीय और अपरिहार्य भूमिका को दर्शाता है।

किसानों को राष्ट्र की आधारशिला बताया

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि किसान न केवल अन्नदाता हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और सामाजिक संरचना की मजबूत नींव भी हैं। उनका यह संदेश किसानों के प्रति सम्मान, कृतज्ञता और उनकी मेहनत के महत्व को रेखांकित करता है।

का यह संदेश ऐसे समय में आया है, जब देश भर में किसानों की भूमिका और कृषि क्षेत्र के योगदान पर व्यापक चर्चा हो रही है। यह सुभाषितम भारतीय परंपरा और आधुनिक दृष्टिकोण के संगम के रूप में किसानों के प्रति आदरभाव को और मजबूत करता है।

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