राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन: भारत के तिलहन व पाम ऑयल उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम
नई दिल्ली, – देश में खाद्य तेलों की बढ़ती मांग और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स (NMEO) के तहत बड़े पैमाने पर सुधारात्मक कदम शुरू किए हैं। मिशन के दो प्रमुख घटक—NMEO–ऑयल पाम (NMEO-OP) और NMEO–ऑयलसीड्स (NMEO-OS)—तेजी से जमीन पर असर दिखा रहे हैं।
नीति आयोग की अगस्त 2024 रिपोर्ट के अनुसार, भारत चावल की भूसी का तेल, कैस्टर सीड, केसर, तिल और नाइजर उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान पर है। बावजूद इसके, खाद्य तेलों की खपत बढ़ने से देश को अभी भी आयात पर निर्भर रहना पड़ता है।
भारत में खाद्य तेलों की खपत और उत्पादन की वर्तमान स्थिति
भारत में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में खाद्य तेलों की प्रति व्यक्ति खपत पिछले दो दशकों में तेजी से बढ़ी है।
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ग्रामीण क्षेत्रों में खपत 5.76 किग्रा/वर्ष से बढ़कर 10.58 किग्रा/वर्ष
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शहरी क्षेत्रों में 7.92 किग्रा/वर्ष से बढ़कर 11.78 किग्रा/वर्ष पहुँच गई है।
खाद्य तेलों का कुल घरेलू उत्पादन 2023-24 में 12.18 मिलियन टन रहा, जबकि कुल आवश्यकता का लगभग 56% हिस्सा अभी भी आयात से पूरा किया जाता है। यद्यपि आयात निर्भरता 2015-16 के 63.2% से घटकर 2023-24 में 56.25% हुई है, परंतु खपत में भारी वृद्धि से घरेलू उत्पादन पर दबाव बढ़ जाता है।
पीली क्रांति के बाद बदलते हालात
1990 के दशक में ‘पीली क्रांति’ के दौरान भारत खाद्य तेलों में लगभग आत्मनिर्भर था। WTO समझौतों और आयात शुल्क में कमी के बाद घरेलू उत्पादन आयात के मुकाबले पिछड़ने लगा।
2023-24 में देश ने 15.66 मिलियन टन खाद्य तेल का आयात किया, जो कुल मांग का 56% है।
NMEO-OP: ऑयल पाम मिशन से बड़ा बदलाव
लक्ष्य
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2025-26 तक 6.5 लाख हेक्टेयर में ऑयल पाम का विस्तार
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2029-30 तक 28 लाख टन CPO उत्पादन
नवंबर 2025 तक 2.50 लाख हेक्टेयर नया क्षेत्र कवर होने के साथ देश में कुल पाम ऑयल क्षेत्र 6.20 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है।
CPO उत्पादन 2014-15 के 1.91 लाख टन से बढ़कर 2024-25 में 3.80 लाख टन हो गया है।
किसानों के हित में बड़े कदम
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पहली बार FFB पर Viability Price (VP) के रूप में मूल्य आश्वासन
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पौध सामग्री पर सहायता ₹12,000/हेक्टेयर से बढ़ाकर ₹29,000/हेक्टेयर
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पुराने बागानों के पुनर्जीवन के लिए ₹250/पौधा सहायता
भारत में तिलहन उत्पादन की स्थिति
भारत वैश्विक तिलहन उत्पादन में 5–6% भागीदारी रखता है।
देश में कुल 9 प्रमुख तिलहन 14.3% सकल बोये क्षेत्र में उगाए जाते हैं और कृषि निर्यात में 8% योगदान करते हैं।
प्रमुख उत्पादन राज्य
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना (98% उत्पादन), कर्नाटक, असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मिजोरम आदि।
NMEO-OS: पारंपरिक तिलहन फसलों को नई ताकत
2024 में शुरू हुआ यह मिशन 2030-31 तक चलेगा, जिसकी कुल लागत ₹10,103 करोड़ है।
मुख्य लक्ष्य
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क्षेत्रफल 29 मिलियन हेक्टेयर से बढ़ाकर 33 मिलियन हेक्टेयर
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उत्पादन 39 मिलियन टन से बढ़ाकर 69.7 मिलियन टन
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पैदावार 1353 किग्रा/हेक्टेयर से बढ़ाकर 2112 किग्रा/हेक्टेयर
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2030-31 तक घरेलू खाद्य तेल उत्पादन 25.45 मिलियन टन, जिससे 72% घरेलू मांग पूरी होगी
600+ वैल्यू चेन क्लस्टर
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किसानों को मुफ्त उच्च गुणवत्ता बीज
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GAP प्रशिक्षण, मौसम सलाह, IPM तकनीक
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प्रसंस्करण व भंडारण ढांचे को बढ़ावा
बीज उत्पादन प्रणाली में सुधार
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‘SATHI पोर्टल’ पर 5-वर्षीय रोलिंग बीज योजना
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65 नए सीड हब
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50 स्टोरेज यूनिट
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गुणवत्ता बीजों की ट्रेसबिलिटी प्रणाली लागू
ICAR के अनुसंधान से तिलहन उत्पादन को गति
पिछले 11 वर्षों में 432 नई किस्में/हाइब्रिड अधिसूचित।
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104 (सरसों)
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95 (सोयाबीन)
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69 (मूंगफली)
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53 (अलसी)
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34 (तिल)
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25 (केसर)
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24 (सूरजमुखी)
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15 (अरंडी)
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13 (नाइजर)
VRR और SRR में वृद्धि से उत्पादकता बढ़ने की उम्मीद।
स्वावलंबन की दिशा में अन्य प्रमुख कदम
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PM-AASHA के तहत MSP पर तिलहनों की खरीद
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PMFBY के तहत बीमा सुरक्षा
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खाद्य तेलों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाकर घरेलू उद्योग को बढ़ावा
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तिलहन फसलों के MSP में रिकॉर्ड वृद्धि
NMEO का व्यापक प्रभाव
✓ खाद्य तेलों में आयात पर निर्भरता में कमी
✓ किसानों की आमदनी में वृद्धि
✓ बेहतर बीज, तकनीक और बाजार उपलब्धता
✓ ग्रामीण रोजगार व उद्योगों को बढ़ावा
✓ पोषण सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में सुधार
सारांश
नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स (NMEO) भारत को खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। ताड़ तेल से लेकर पारंपरिक तिलहनों तक, यह मिशन कृषि क्षेत्र में तकनीकी सुधार, उत्पादन वृद्धि, मूल्य स्थिरता और किसान कल्याण को नए आयाम दे रहा है।
मिशन के पूर्ण क्रियान्वयन के बाद, भारत न केवल आयात पर निर्भरता कम करेगा बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हुए आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को भी साकार करेगा।
Source:PIB