कृषि नवाचार के लिए साझेदारी मॉडल को मिली मजबूती

आईएआरआई द्वारा राष्ट्रीय विस्तार कार्यक्रम की 34वीं समीक्षा कार्यशाला का आयोजन | खरीफ 2024 तकनीकी समीक्षा

नई दिल्लीभारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा खरीफ 2024 की ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) गतिविधियों की समीक्षा हेतु राष्ट्रीय विस्तार कार्यक्रम की 34वीं वार्षिक कार्यशाला का आयोजन 16 मई को वर्चुअल माध्यम से किया गया। इस महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की अध्यक्षता आईएआरआई के निदेशक डॉ. सी. एच. श्रीनिवास राव ने की। कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के संस्थानों, विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों, झांसी स्थित केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (CAU) तथा देशभर के 16 स्वयंसेवी संगठनों (VOs) के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

कार्यशाला का उद्देश्य संस्थान द्वारा विकसित नवीन कृषि तकनीकों, किस्मों और नवाचारों के प्रभावी हस्तांतरण की प्रक्रिया की समीक्षा करना और आगामी खरीफ सीजन के लिए रणनीति तय करना था। विशेष बात यह रही कि इस वर्ष तीन नए स्वयंसेवी संगठनों को कार्यक्रम से जोड़ा गया है, जो विभिन्न जलवायु और सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इससे कार्यक्रम की समावेशिता और जमीनी स्तर पर पहुँच को नई गति मिली है।

डॉ. राव ने साझेदारी को बताया कृषि नवाचार की रीढ़

कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. सी. एच. श्रीनिवास राव ने कहा कि तकनीकी ज्ञान और वैज्ञानिक अनुसंधान का लाभ किसानों तक पहुँचाना देश की खाद्य सुरक्षा और कृषि के सतत विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा, “अनुसंधान संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों और स्वयंसेवी संगठनों की त्रिस्तरीय साझेदारी ही वह कुंजी है, जिससे हम किसानों तक सही समय पर सही तकनीक पहुँचा सकते हैं।”

उन्होंने कार्यशाला में प्रस्तुत 28 तकनीकी रिपोर्टों की सराहना की, जिनमें खरीफ 2023 सीजन की उपलब्धियों की समीक्षा और आगामी योजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी। डॉ. राव ने सभी हितधारकों से आग्रह किया कि वे संस्थान की नवीनतम किस्मों और तकनीकों के प्रभावी व समयबद्ध प्रसार के लिए एकजुट प्रयास करें। साथ ही, उन्होंने स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप तकनीकों को ढालने और मज़बूत फीडबैक प्रणाली को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

डॉ. राव ने यह भी कहा, “भारतीय कृषि का भविष्य साझेदारी आधारित नवाचारों और खेत-स्तर की सहभागिता पर आधारित है। आईएआरआई वैज्ञानिक उत्कृष्टता और स्थानीय भागीदारी के इस मॉडल का नेतृत्व कर रहा है।”

कार्यशाला में हुआ संवाद और रणनीति निर्धारण

कार्यक्रम की शुरुआत में कैटैट (CATAT), आईएआरआई के प्रभारी डॉ. ए. के. सिंह ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। इसके बाद संयुक्त निदेशक (प्रसार) डॉ. आर. एन. पडरिया ने कार्यशाला की पृष्ठभूमि, उद्देश्य और रणनीतिक दृष्टिकोण पर विस्तृत प्रस्तुति दी।

कार्यशाला के दौरान एक विशेष संवाद सत्र का आयोजन भी किया गया, जिसमें विभिन्न भागीदार संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने फील्ड स्तर पर आए अनुभव, चुनौतियाँ और सुझाव साझा किए। इन चर्चाओं को संक्षेप में प्रस्तुत करते हुए डॉ. पडरिया ने बताया कि सभी सुझावों को आगामी कार्ययोजना में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए फील्ड स्तर की भागीदारी को और अधिक सशक्त किया जाएगा।

तकनीकी प्रसार को मिली नई दिशा

कार्यशाला का समापन एक सामूहिक संकल्प के साथ हुआ कि तकनीकी हस्तांतरण की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी, समावेशी और नवाचारपूर्ण बनाया जाएगा। प्रतिभागियों ने इस बात पर सहमति जताई कि आईएआरआई की नेतृत्वकारी भूमिका के तहत कृषि क्षेत्र में तकनीकी सहयोग को और मजबूती दी जाएगी, जिससे किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिल सके।

कार्यशाला में प्रस्तुत विचारों और अनुभवों से यह स्पष्ट हुआ कि आईएआरआई का यह साझेदारी मॉडल कृषि तकनीकों के खेतों तक पहुँचाने की दिशा में एक सशक्त माध्यम बन चुका है। आने वाले समय में इस मॉडल को और अधिक व्यापक बनाने की योजना है, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित छोटे और सीमांत किसानों तक भी वैज्ञानिक कृषि नवाचार पहुँच सके।

1 thought on “कृषि नवाचार के लिए साझेदारी मॉडल को मिली मजबूती”

  1. The ongoing IARI – VO Partnership program is the most effective and fast tool for transfer and evaluation of new technologies at farmers’ level on pan India basis. It is good that CATAT Division under the leadership of Dr. A. K. Singh, Head, Dr. R. N. Padharia, JD(E) and Dr. C. H. Srinivas Rao, Director, IARI will further strengthen this program to make it more effective.

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