अगले साल चाहिए मीठे और ज्यादा आम? तो अभी से करें तैयारी!
📍 डॉ. एस.के. सिंह, कृषि विश्वविद्यालय पूसा की सलाह पर विशेष रिपोर्ट

समस्तीपुर, अगस्त। भारत में आम को ‘फलों का राजा’ कहा जाता है, और यह केवल स्वाद या लोकप्रियता की वजह से नहीं, बल्कि इसकी कृषि अर्थव्यवस्था में भूमिका के कारण भी है। देश में आम की खेती 22.58 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होती है, जिससे करीब 2.18 करोड़ मीट्रिक टन पैदावार होता है। लेकिन बिहार इस क्षेत्र में विशेष पहचान रखता है, जहां प्रति हेक्टेयर उपज राष्ट्रीय औसत 9.7 टन की तुलना में लगभग 16.37 टन है।
इस ऊंची उत्पादकता के पीछे कोई जादू नहीं है, बल्कि समय पर किया गया वैज्ञानिक प्रबंधन है। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के प्रोफेसर (डॉ.) एस.के. सिंह बताते हैं कि फल तुड़ाई के बाद का समय ही असल में अगले साल की नींव रखता है।
🔍 फल तुड़ाई के बाद की तैयारी—अगली फसल की नींव
कई किसान मानते हैं कि फलों की तुड़ाई के बाद बागों में कुछ विशेष नहीं करना होता, लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। यही वह समय होता है जब अगले सीजन की गुणवत्ता और उपज की बुनियाद रखी जाती है।
👉 तुड़ाई के बाद बाग में की गई गतिविधियाँ अगले साल मंजर की मात्रा, फूलों की गुणवत्ता, कीट और रोग प्रतिरोध को सीधे प्रभावित करती हैं।
🌿 बाग की सफाई, छँटाई और प्रकाश व्यवस्था
फल तुड़ाई के तुरंत बाद बाग में हल्की जुताई कर देनी चाहिए। इसके साथ-साथ
सूखी, रोगग्रस्त और अवांछित टहनियों की छँटाई करनी चाहिए।
पेड़ों को इस प्रकार काटा जाए कि वे छाते के आकार में दिखाई दें।
इससे पेड़ की छतरी के भीतर और ज़मीन तक सूर्य की किरणें पहुँचती हैं, जिससे अत्यधिक नमी नहीं जमती और रोगों की संभावना कम होती है।
🧪 खाद और उर्वरकों का वैज्ञानिक उपयोग
✅ सही समय और मात्रा
10 वर्ष या अधिक आयु के आम के पेड़ के लिए अनुशंसित मात्रा
500 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस, 500 ग्राम पोटैशियम
यह मात्रा इन उर्वरकों से पूरी की जा सकती है
850 ग्राम यूरिया. 550 ग्राम डीएपी. 750 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश.
इसके अलावा 20-25 किलोग्राम गोबर की सड़ी हुई खाद या कम्पोस्ट मिलाना अनिवार्य है।
✅ प्रयोग का सही तरीका
खाद का प्रयोग तने से 1.5–2 मीटर दूरी पर 9 इंच गहरा और चौड़ा गड्ढा बनाकर करें।
खाद डालने के बाद मिट्टी से भर दें और हल्की सिंचाई करें।
❌ ध्यान दें: 15 सितंबर के बाद खाद या जुताई नहीं करें, क्योंकि इस समय से फूल बनने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है और किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ इस प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।
🐛 प्रमुख कीट एवं रोगों का समन्वित प्रबंधन
शूट गाल कीट (गाँठ बनने की बीमारी)
मोनोक्रोटोफॉस या डाइमिथोएट (1 मि.ली./2 लीटर पानी) का छिड़काव
समय: जुलाई–अगस्त
लाल जंग और एन्थ्रेक्नोज रोग
नमी और वर्षा में तेज़ी से फैलते हैं।
कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3 ग्राम/लीटर पानी) का 2-3 बार छिड़काव
डाई-बैक रोग (टहनियों का मरना)
अक्टूबर–नवंबर में सक्रिय
सूखी टहनियाँ काटकर तुरंत दवा का छिड़काव करें
10-15 दिन बाद छिड़काव दोहराएँ
गमोसिस रोग (तने से गोंद निकलना):
प्रभावित स्थान को साफ करके बोर्डो पेस्ट लगाएँ
कॉपर सल्फेट (200-400 ग्राम/पेड़) का प्रयोग करें
मिली बग:
दिसंबर में रोकथाम शुरू करें
30-40 सेमी ऊंचाई पर अल्केथेन शीट से बैंडिंग करें
नीचे ग्रीस लगाएं
ज़रूरत पर कार्बोसल्फान या क्लोरपायरीफॉस ग्रेन्यूल्स का प्रयोग करें
छाल खाने वाले कीट:
छेद में डाइक्लोरवोस या मोनोक्रोटोफॉस डालें
छेद को मिट्टी या मोम से बंद करें
पुष्प मिज कीट:
जनवरी–फरवरी में बौर निकलते समय
क्विनालफॉस या डाइमिथोएट का छिड़काव करें
📅 मौसम आधारित बाग प्रबंधन कार्य-तालिका महीना कार्य
दिसंबर: हल्की जुताई, खरपतवार नियंत्रण, मिली बग रोकथाम
जनवरी: अवांछित बौर की छँटाई, पुष्प मिज नियंत्रण
फरवरी–मार्च: फूलों की देखभाल, कीटनाशक छिड़काव
अप्रैल–मई: फल विकास के दौरान सिंचाई व रोग नियंत्रण
जून: फल तुड़ाई, बाग का मूल्यांकन और आगामी योजना
आज की मेहनत, कल का लाभ
फल तुड़ाई के बाद किया गया वैज्ञानिक प्रबंधन ही अगले वर्ष की उत्तम गुणवत्ता और उच्च पैदावार की कुंजी है। डॉ. एस.के. सिंह बताते हैं कि यह सभी सिफारिशें अनुसंधान आधारित हैं और देश के विभिन्न भागों में सफलता पूर्वक अपनाई गई हैं।
बाजार में मांग उन्हीं फलों की होती है जो आकार, स्वाद और गुणवत्ता में सर्वोत्तम हों। इसके लिए किसान भाइयों को पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर समयबद्ध और वैज्ञानिक प्रबंधन की ओर ध्यान देना होगा।
आज अगर बाग की समुचित देखभाल की जाए तो आने वाले सीजन में आम की मिठास से खेत भी भरेंगे और किसान की झोली भी।
प्रो. (डॉ.) एस. के. सिंह
विभागाध्यक्ष, पादप रोग विज्ञान एवं सूत्रकृमि विज्ञान विभाग
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा-848125, समस्तीपुर, बिहार
sksraupusa@gmail.com / sksingh@rpcau.ac.in