उत्तर-पूर्व में पशुधन विकास के लिए करोड़ों की परियोजनाओं का उद्घाटन

आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के लिए पशुधन क्षेत्र का सशक्तिकरण

शिलांग, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन, डेयरी और पंचायती राज मंत्री,  राजीव रंजन सिंह ने  शिलांग में आयोजित “उत्तर-पूर्व क्षेत्र में पशुधन क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए संवाद पर सम्मेलन” का उद्घाटन किया। सम्मेलन में 700 करोड़ रुपए के निजी निवेश और केंद्र सरकार की प्रमुख परियोजनाओं का शुभारंभ किया गया।

सिंह ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) के तहत 15 उद्यमिता विकास परियोजनाओं (ईडीपी) का उद्घाटन किया, जिनका कुल मूल्य 10.93 करोड़ रुपए है। इसके साथ ही, क्षेत्रीय वीर्य उत्पादन प्रयोगशाला और बकरी वीर्य बैंक की स्थापना और विभिन्न राज्यों में बहुउद्देशीय डेयरी सहकारी समितियों के गठन की योजना प्रस्तुत की गई।

मेघालय के लिए विशेष प्रोजेक्ट्स

मेघालय के री भोई जिले में 10.23 करोड़ रुपए की लागत से मल्टीप्लायर सुअर फार्म और 31.86 लाख रुपए की निवेशित मवेशी विकास परियोजना का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर क्षेत्रीय पशुधन विकास के लिए “पोल्ट्री गीत” का भी विमोचन हुआ।

निवेश और विकास पर ध्यान

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पोल्ट्री और सुअर पालन क्षेत्रों में निजी उद्योग 700 करोड़ रुपए का निवेश करेंगे। आईबी ग्रुप और कर्नाटक पोल्ट्री फेडरेशन ने एनईआर में सतत विकास के लिए 450 करोड़ रुपए का निवेश करने का इरादा व्यक्त किया।

सुअर पालन और पोल्ट्री क्षेत्र को मिलेगा बढ़ावा

राजीव रंजन सिंह ने सुअर पालन और पोल्ट्री क्षेत्र को निर्यात केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण और पीपीपी मॉडल की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि एनएलएम के तहत अब तक 245 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें सुअर पालन के लिए 184, बकरी पालन के लिए 45 और मुर्गी पालन के लिए 16 परियोजनाएं शामिल हैं।

सरकारी और निजी साझेदारी का आह्वान

केंद्रीय मंत्री ने एनईआर की राज्य सरकारों से निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए

 

एकल खिड़की प्रणाली स्थापित करने का आग्रह किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और अस्‍टलक्ष्मी दृष्टिकोण पर जोर देते हुए पशुधन क्षेत्र के विकास के लिए सभी हितधारकों को सहयोग की अपील की।

इस कॉन्क्लेव ने नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाकर उत्तर-पूर्व क्षेत्र के पशुधन क्षेत्र में संभावनाओं को नई दिशा दी। कॉन्क्लेव के दौरान सुअर पालन, डेयरी, पोल्ट्री और चारा उत्पादन पर तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें नवाचार और विकास पर विचार-विमर्श हुआ।

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