मत्स्य निर्यात को नई रफ्तार—भारत ने डिजिटल फ्रेमवर्क लॉन्च किया

भारत ने जारी किया मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ट्रेसेबिलिटी पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क 2025

विश्व मत्स्य दिवस पर समुद्री खाद्य निर्यात, स्थिरता और मूल्य संवर्धन को नई दिशा

नई दिल्ली। विश्व मत्स्य दिवस 2025 के अवसर पर भारत ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाते हुए “मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ट्रेसेबिलिटी पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क 2025” का अनावरण किया। यह कदम भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात की विश्वसनीयता, गुणवत्ता, अंतरराष्ट्रीय बाज़ार तक पहुंच और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।

कार्यक्रम का आयोजन मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में “भारत का समुद्री परिवर्तन: समुद्री खाद्य निर्यात में मूल्य संवर्धन को सुदृढ़ बनाना” विषय पर किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) ने वीडियो संदेश के माध्यम से प्रतिभागियों को संबोधित किया, जबकि राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल और जॉर्ज कुरियन कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

भारत का लक्ष्य—2030 तक समुद्री खाद्य निर्यात 1 लाख करोड़ रुपये

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने अपने संदेश में कहा कि भारत तेजी से वैश्विक समुद्री खाद्य बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहा है और लक्ष्य है कि 2030 तक 1 लाख करोड़ रुपये के समुद्री खाद्य उत्पादों का निर्यात हासिल किया जाए। उन्होंने निर्यात क्षमता बढ़ाने के लिए नवाचार, पैकेजिंग सुधार, प्रमाणन मानकों का पालन और मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) का प्रभावी उपयोग करने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि ट्रेसेबिलिटी, ब्रांडिंग और जैव सुरक्षा को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सुदृढ़ किया जाना आवश्यक है। उन्होंने ट्रेसेबिलिटी फ्रेमवर्क को एक “परिवर्तनकारी पहल” बताते हुए कहा कि इससे भारतीय समुद्री उत्पाद अधिक विश्वसनीय बनेंगे और मछुआरों व छोटे उत्पादकों को बेहतर कीमत सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

उत्पादन दोगुना—भारत बनी वैश्विक शक्ति

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने कहा कि पिछले एक दशक में भारत ने मछली उत्पादन में असाधारण वृद्धि दर्ज की है। वर्ष 2014 में जहां उत्पादन 96 लाख टन था, वह आज बढ़कर 195 लाख टन हो गया है। उन्होंने बताया कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) के तहत 38,572 करोड़ रुपये के ऐतिहासिक निवेश से संभव हुई है।

उन्होंने बताया कि आने वाले वर्षों में भारत उच्च मूल्य वाले उत्पादों के माध्यम से निर्यात में 30% मूल्यवर्धन का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है।

मत्स्य पालन क्षेत्र 3 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका का आधार

केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने कहा कि मत्स्य पालन देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आजीविका के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। देश में 3 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका इसी क्षेत्र से जुड़ी है। उन्होंने बताया कि पंजीकृत निर्यातकों की संख्या में वृद्धि ने न केवल भारत के समुद्री उत्पादों की वैश्विक उपस्थिति बढ़ाई है, बल्कि निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि भी सुनिश्चित की है।

समुद्री खाद्य निर्यात में 88% की वृद्धि

मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने बताया कि भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र 9% की वार्षिक वृद्धि दर से विस्तार कर रहा है। उन्होंने कहा कि 2024–25 में भारत का समुद्री खाद्य निर्यात 16.85 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है, जो पिछले एक दशक में 88% की वृद्धि दर्शाता है।

उन्होंने बताया कि भारत समुद्री खाद्य के प्रसंस्करण, गुणवत्ता नियंत्रण, मूल्य संवर्धन और वैश्विक मानकों के अनुपालन सहित कई क्षेत्रों में तेजी से अग्रणी वैश्विक केंद्र के रूप में उभर रहा है।
उनके अनुसार, भारत की नई पहलों में समुद्री स्तनपायी स्टॉक मूल्यांकन, कछुआ बहिष्करण उपकरण (TED) और पर्यावरणीय संरक्षण आधारित उपाय भी शामिल हैं।

FAO ने भारत के प्रयासों की सराहना की

कार्यक्रम में शामिल एफएओ (FAO) भारत प्रतिनिधि ताकायुकी हागिवारा ने भारत की प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा, स्थिरता और लचीली जलीय कृषि प्रणाली को मजबूत कर रहा है। उन्होंने कहा कि ब्लू पोर्ट पहल मत्स्य पालन बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण और निजी निवेश को आकर्षित करने में एक बड़ा कदम है।

उन्होंने यह भी चेताया कि विश्वभर में बढ़ते रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) को रोकने के लिए मत्स्य क्षेत्र को विशेष सतर्कता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। FAO ने इसके लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।

19 दूतावासों की भागीदारी—अंतरराष्ट्रीय सहयोग का विस्तार

इस कार्यक्रम में 19 देशों के दूतावासों और विश्व बैंक, FAO, AFD, GIZ, JICA, BOBP और MSC जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने हिस्सा लिया। यह भारत में मत्स्य और जलीय कृषि क्षेत्र में बढ़ते अंतरराष्ट्रीय सहयोग, निवेश और स्थिरता प्रयासों को दर्शाता है।

थाईलैंड, इंडोनेशिया, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ हालिया राजनयिक बैठकों ने द्विपक्षीय सहयोग और निर्यात विस्तार के नए अवसर खोले हैं।

ट्रेसेबिलिटी फ्रेमवर्क 2025—मत्स्य क्षेत्र में डिजिटलीकरण की क्रांति

ट्रेसेबिलिटी फ्रेमवर्क 2025 का मुख्य उद्देश्य—

  • एक राष्ट्रीय डिजिटल ट्रेसेबिलिटी प्रणाली स्थापित करना

  • ब्लॉकचेन, IoT, GPS, QR कोड जैसी तकनीकों का उपयोग

  • “पकड़ से उपभोक्ता तक” और “खेत से थाली तक” रीयल-टाइम ट्रैकिंग

  • छोटे मत्स्य किसानों की समावेशिता

  • निर्यात गुणवत्ता में पारदर्शिता

  • जैव सुरक्षा और मानक नियंत्रण को मजबूत करना

इससे भारतीय समुद्री खाद्य उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में विश्वसनीयता बढ़ेगी तथा निर्यातकों को वैश्विक स्तर पर बड़े अवसर प्राप्त होंगे।

मूल्य संवर्धन और मीठे पानी की मछलियों के निर्यात पर केंद्रित सत्र

कार्यक्रम के दो तकनीकी सत्रों में—

  • मूल्य संवर्धन

  • नवाचार

  • ब्रांडिंग

  • गुणवत्ता मानकों का अनुपालन

  • स्मार्ट बुनियादी ढांचा

  • निर्यात बाजार का विविधीकरण

पर विस्तृत चर्चा की गई।इसके अलावा मीठे पानी की मछली प्रजातियों के निर्यात अवसरों के विस्तार और डिजिटल ट्रेसेबिलिटी के महत्व पर विशेष जोर दिया गया।

इन चर्चाओं से प्राप्त सुझाव PMMSY चरण-2 की रणनीति निर्धारण में उपयोग किए जाएंगे।

एक नई दिशा की शुरुआत

विश्व मत्स्य दिवस 2025 पर भारत द्वारा जारी राष्ट्रीय ट्रेसेबिलिटी फ्रेमवर्क न केवल निर्यात को नई ऊंचाई देगा, बल्कि मछुआरों की आय बढ़ाने, पारदर्शिता बढ़ाने, स्थिरता को मजबूत करने और वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

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