भारत–ओमान के बीच कृषि सहयोग

भारत–ओमान कृषि समझौता: खेती, पशुपालन और मत्स्य पालन में नया सहयोग!

भारत–ओमान कृषि सहयोग को नई ऊंचाई: मोदी–सुल्तान हाइथम के नेतृत्व में ऐतिहासिक समझौता

नई दिल्ली/मस्कट।- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओमान के सुल्तान हाइथम बिन तारिक के नेतृत्व में भारत और ओमान के बीच कृषि तथा संबद्ध क्षेत्रों में एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए हैं। यह एमओयू कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन को समाहित करता है और दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक, संस्थागत सहयोग के लिए एक सशक्त फ्रेमवर्क प्रदान करता है। समझौते के तहत कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, बागवानी विकास, एकीकृत खेती प्रणालियों और सूक्ष्म-सिंचाई प्रथाओं में सहयोग बढ़ाया जाएगा, जिससे खाद्य सुरक्षा और सतत विकास को नई गति मिलेगी।

नेतृत्व की भूमिका: दूरदर्शिता और प्रतिबद्धता का संगम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी विदेश नीति—‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ग्लोबल साझेदारी—ने ओमान के साथ संबंधों को और मजबूत किया है। उन्होंने डिजिटल कृषि, जैविक खेती और जल संरक्षण जैसे क्षेत्रों में भारत के अनुभव साझा करने पर जोर दिया, जो ओमान की जल-संकट और मरुस्थलीय चुनौतियों के अनुरूप हैं। आत्मनिर्भर भारत की सोच के साथ वैश्विक सहयोग को जोड़ने वाली ‘डबल इंजन’ विकास रणनीति इस एमओयू की आधारशिला बनी है।

ओमान के सुल्तान हाइथम बिन तारिक ने ‘ओमान विजन 2040’ के तहत खाद्य सुरक्षा और आर्थिक विविधीकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। भारत को विश्वसनीय साझेदार मानते हुए उन्होंने कृषि निवेश और तकनीकी सहयोग के द्वार खोले हैं। उनकी पहल पर भारतीय कृषि विशेषज्ञों और संस्थानों के साथ गहन सहयोग को बढ़ावा मिला है। दोनों नेताओं की उच्च-स्तरीय वार्ताओं और आपसी विश्वास ने इस समझौते को ठोस रूप दिया है, जिससे व्यापार के साथ-साथ सांस्कृतिक और ज्ञान-आधारित आदान-प्रदान भी सशक्त हुआ है।

भारत–ओमान की कृषि वास्तविकताएं और साझा लाभ

भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कृषि उत्पादक देश है, जहां 50 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है और गेहूं, चावल, दूध, फल-सब्जी तथा मांस उत्पादन में अग्रणी है। दूसरी ओर, रेगिस्तानी जलवायु और जल-कमी के कारण ओमान खाद्य आयात पर निर्भर रहा है। इस एमओयू से ओमान को भारतीय तकनीक, नवाचार और प्रशिक्षण का लाभ मिलेगा, जबकि भारत को ओमान के बाजार, निवेश और निर्यात अवसरों का विस्तार मिलेगा—यह साझेदारी दोनों के लिए ‘विन-विन’ सिद्ध होगी।

सहयोग के प्रमुख क्षेत्र और कार्ययोजना

समझौते के तहत कृषि विज्ञान में संयुक्त अनुसंधान—विशेषकर जलवायु-अनुकूल फसलें और बीज प्रौद्योगिकी—पर काम होगा। बागवानी में फल-सब्जी और पुष्प उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। सूक्ष्म-सिंचाई में ड्रिप और स्प्रिंकलर तकनीकें ओमान में जल-बचत के लिए अहम होंगी। एकीकृत खेती प्रणालियों से फसल-पशु-मत्स्य एकीकरण कर आय-विविधीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा।
पशुपालन में डेयरी, पोल्ट्री और बकरी पालन के लिए भारत का अमूल मॉडल उपयोगी रहेगा। मत्स्य पालन में एक्वाकल्चर, समुद्री संसाधनों का सतत दोहन और निर्यात श्रृंखला को मजबूत किया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम, विशेषज्ञों का विनिमय और संयुक्त उद्यम स्थापित करने पर भी सहमति बनी है।

दीर्घकालिक प्रभाव और भविष्य की दिशा

यह एमओयू ‘विकसित भारत@2047’ और ‘ओमान विजन 2040’ के लक्ष्यों के अनुरूप है। इससे रोजगार सृजन, ग्रामीण विकास और द्विपक्षीय व्यापार को प्रोत्साहन मिलेगा। जलवायु परिवर्तन और तकनीकी हस्तांतरण जैसी चुनौतियों को अवसर में बदलते हुए, मोदी–सुल्तान की यह पहल दोनों देशों के किसानों के लिए समृद्धि और स्थिरता का नया अध्याय लिखने वाली है।

चित्र: सौजन्य सोशल मीडिया

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