South–South Cooperation से बदलेगी शुष्क खेती की तस्वीर
ICRISAT International Conference 2026 is coming to shape the future of dryland agriculture. 🌱
A global discussion will take place on climate-resilient crops, next-gen seed systems, and farmer-ready innovations through South–South cooperation.
📍 Patancheru, Telangana
🗓️ 10–12 September 2026
पाटनचेरु (तेलंगाना), भारत। अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसलों के अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान (आईसीआरआईसैट) “दक्षिण–दक्षिण सहयोग के माध्यम से शुष्क कृषि को रूपांतरित करने हेतु नवाचार” विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 2026 की घोषणा की। यह सम्मेलन 10 से 12 सितंबर 2026 तक आईसीआरआईसैट मुख्यालय, पाटनचेरु (तेलंगाना) में आयोजित होगा। सम्मेलन में ग्लोबल साउथ सहित दुनिया भर के नीति-निर्माता, वैज्ञानिक, विकास भागीदार और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि शुष्क कृषि के लिए व्यावहारिक, विज्ञान-आधारित और साझेदारी-संचालित समाधानों पर विचार-विमर्श करेंगे।
शुष्क क्षेत्र: खाद्य सुरक्षा की धुरी
विश्व के सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील समुदाय शुष्क क्षेत्रों में निवास करते हैं, जो वैश्विक खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। वर्ष 2026 का यह सम्मेलन सहयोग, ज्ञान-विनिमय और तकनीकी तैनाती को तेज करने का उच्चस्तरीय मंच बनेगा—जिसमें फसल सुधार, बीज प्रणालियाँ, अग्रिम विज्ञान और अगली पीढ़ी की खेती प्रणालियाँ शामिल होंगी। यह पहल दक्षिण–दक्षिण सहयोग की भावना से प्रेरित होगी।
आईसीआरआईसैट की पहल और ग्लोबल मंच
आईसीआरआईसैट के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा,
“आईसीआरआईसैट अपने प्रमुख कार्यक्रम आईसीआरआईसैट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर साउथ–साउथ कोऑपरेशन इन एग्रीकल्चर (ISSCA) के माध्यम से शुष्क कृषि के रूपांतरण में निरंतर प्रगति कर रहा है। यह सम्मेलन उन नवाचारों को वैश्विक मंच देगा, जिनकी शुष्क क्षेत्रों में सबसे अधिक आवश्यकता है—जहाँ जलवायु जोखिम सर्वोच्च और आजीविका की मजबूती सबसे तात्कालिक है।”
संयुक्त राष्ट्र दिवस से जुड़ाव
सम्मेलन की तिथियाँ 12 सितंबर—संयुक्त राष्ट्र दक्षिण–दक्षिण सहयोग दिवस से मेल खाती हैं, जो अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और प्रशांत क्षेत्र के बीच सहकर्मी-से-सहकर्मी सीख, साझा नवाचार मार्गों और सुदृढ़ साझेदारियों के महत्व को रेखांकित करती हैं।
अग्रिम विज्ञान से किसान-तैयार समाधान तक
आईसीआरआईसैट के उप महानिदेशक (अनुसंधान एवं नवाचार) डॉ. स्टैनफोर्ड ब्लेड ने कहा,
“कार्यात्मक जीनोमिक्स से लेकर किसान-तैयार बीज वितरण तक, यह सम्मेलन अत्याधुनिक विज्ञान को अपने गतिशील फोकस क्षेत्रों के माध्यम से जोड़ने और छोटे किसानों व शुष्क क्षेत्रों के लिए कारगर समाधानों को सामने लाने का लक्ष्य रखता है।”
सम्मेलन के प्रमुख फोकस क्षेत्र
सम्मेलन कार्यक्रम साझेदारों और हितधारकों के परामर्श से विकसित किया जा रहा है। प्रस्तावित सत्रों में शामिल हैं—
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संयुक्त राष्ट्र दक्षिण–दक्षिण सहयोग दिवस (12 सितंबर)
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शुष्क क्षेत्रों की चुनौतियाँ
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जलवायु परिवर्तन और खाद्य व पोषण सुरक्षा पर प्रभाव
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शुष्क क्षेत्रों की अगली पीढ़ी की फसल प्रणालियाँ
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भविष्य की शुष्क फसलें: स्वरूप और संभावनाएँ
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जीनबैंक विविधता की समझ और उपयोग
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शुष्क फसल सुधार के लिए अग्रिम तकनीकें
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जीनोमिक भविष्यवाणी और स्पीड ब्रीडिंग
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जलवायु-सहिष्णु एवं जैव-संवर्धित फसलों के लिए जीनोमिक-सहायित प्रजनन
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कार्यात्मक जीनोमिक्स और जीन संपादन
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बीज वितरण प्रणालियाँ
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खाद्य पोषण और जैवउपलब्धता
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कृषि-खाद्य पारिस्थितिकी में युवाओं की भागीदारी
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शुष्क फसल प्रबंधन में युवाओं की भूमिका
भागीदारी का आह्वान
आईसीआरआईसैट ने अनुसंधान एवं शैक्षणिक संस्थानों, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणालियों, सरकारों, विकास भागीदारों, निजी क्षेत्र के नवप्रवर्तकों, सीजीआईएआर केंद्रों तथा युवा-नेतृत्व वाले कृषि-खाद्य उद्यमों से तिथियाँ सुरक्षित रखने और पंजीकरण, कार्यक्रम ट्रैक्स व साझेदारी अवसरों से संबंधित आगामी घोषणाओं पर नजर रखने का आग्रह किया है।
चित्र: ग्राफ़िक्स