आयरन-ज़िंक से भरपूर बाजरा: किसानों और बच्चों के लिए वरदान!

ICRISAT का बड़ा कदम: आयरन-युक्त बाजरा से कुपोषण पर प्रहार!

अब खेती से ही मिलेगा बेहतर पोषण 🌱
नई आयरन-युक्त बाजरा किस्में छोटे किसानों की आय बढ़ाएँगी और महिलाओं-बच्चों के स्वास्थ्य को मजबूत करेंगी।

ICRISAT has achieved a major breakthrough 🌾
Two new pearl millet varieties—Iniadi Composite 1501 and ICMP 177003—launched as Eastern & Southern Africa’s first biofortified millet, rich in iron and zinc.
A big step toward fighting malnutrition, boosting food security, and building climate resilience for smallholder farmers.

हरारे/हैदराबाद- अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसलों के अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) ने पोषण और कृषि के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। संस्थान द्वारा विकसित बाजरे की दो नई किस्में—इनियाडी कॉम्पोज़िट 1501 (Iniadi Composite 1501) और ICMP 177003—को जिम्बाब्वे सहित पूरे पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका क्षेत्र की पहली जैव-संवर्धित (Biofortified) बाजरा किस्मों के रूप में जारी किया गया है। इन किस्मों में प्राकृतिक रूप से आयरन और जिंक की उच्च मात्रा पाई जाती है।

कुपोषण और खाद्य सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम

इन नई किस्मों के आगमन से कुपोषण से निपटने, खाद्य सुरक्षा सुदृढ़ करने और जलवायु-अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी। खासतौर पर छोटे किसानों, महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार की उम्मीद है।

वर्षों के शोध का परिणाम

वैज्ञानिकों द्वारा वर्षों की प्रजनन प्रक्रिया और मूल्यांकन के बाद विकसित इन किस्मों में उच्च सूक्ष्म पोषक तत्व घनत्व, अच्छी उपज, सूखा सहनशीलता और अर्ध-शुष्क परिस्थितियों के अनुरूप अनुकूलन क्षमता का संतुलित संयोजन है। इनका विमोचन Grow Further द्वारा वित्तपोषित परियोजना के अंतर्गत संभव हुआ, जिसका उद्देश्य जिम्बाब्वे के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में छोटे किसानों की खाद्य, पोषण और आय सुरक्षा को मजबूत करना है।

ICRISAT महानिदेशक का बयान

आईसीआरआईसैट के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने इसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से निपटने की दिशा में निर्णायक कदम बताया। उन्होंने कहा,
जैव-संवर्धन विज्ञान के माध्यम से दैनिक पोषण सुधारने का सबसे प्रभावी तरीका है आयरन और जिंक से भरपूर ये नई बाजरा किस्में ‘छिपी भूख’ का स्थायी समाधान हैं। इससे एनीमिया कम करने, प्रतिरक्षा बढ़ाने और महिलाओं-बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार में मदद मिलेगी। यह विज्ञान, किसानों और आने वाली पीढ़ियों—तीनों की जीत है।”

ग्रामीण समुदायों के लिए स्वास्थ्य लाभ

ग्रामीण क्षेत्रों में आयरन और जिंक की कमी बच्चों, महिलाओं और कम आय वाले परिवारों को सबसे अधिक प्रभावित करती है। ये दोनों सूक्ष्म तत्व मानसिक विकास, रोग-प्रतिरोधक क्षमता और मातृ स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। नई जैव-संवर्धित किस्में बिना किसी सप्लीमेंट या खान-पान की आदत बदलने के, रोज़मर्रा के भोजन से पोषण बढ़ाने का प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान देती हैं।

जलवायु परिवर्तन के बीच भरोसेमंद फसल

ये किस्में इनियाडी आनुवंशिक पृष्ठभूमि से विकसित की गई हैं, जो सूखा सहनशीलता, दाने की उच्च गुणवत्ता और कठोर परिस्थितियों में स्थिरता के लिए जानी जाती है। जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते जल-संकट और घटती कृषि उत्पादकता के बीच, जिम्बाब्वे के शुष्क क्षेत्रों के लिए ये किस्में विशेष रूप से उपयुक्त हैं।

अफ्रीका-स्तरीय प्रभाव

आईसीआरआईसैट की ग्लोबल रिसर्च प्रोग्राम डायरेक्टर एवं अफ्रीका निदेशक डॉ. रेब्बी हरावा ने कहा,
“यह उपलब्धि सहयोग की शक्ति और किसान-केंद्रित शोध के महत्व को दर्शाती है। ये किस्में खाद्य प्रणालियों को मजबूत करेंगी, घरेलू आय बढ़ाएँगी और परिवारों को स्वस्थ भोजन विकल्प देंगी। अफ्रीका के शुष्क क्षेत्रों में जलवायु-अनुकूल कृषि की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।”

आय और रोजगार के अवसर

उच्च उपज के कारण ये किस्में आर्थिक संभावनाएँ भी खोलती हैं। उत्पादन और मूल्य संवर्धन में अहम भूमिका निभाने वाली महिलाओं और युवाओं के लिए आय सृजन के नए अवसर बनेंगे। Grow Further परियोजना के तहत बीज प्रणाली सुदृढ़ीकरण, किसान प्रशिक्षण और बाज़ार विकास पर भी निवेश किया जा रहा है, ताकि व्यापक अपनाने और दीर्घकालिक प्रभाव सुनिश्चित हो सके।

परियोजना के चार प्रमुख फोकस क्षेत्र

परियोजना वैज्ञानिक नवाचार को ज़मीनी लाभ में बदलने के लिए चार प्रमुख क्षेत्रों पर कार्य कर रही है—

  • जिम्बाब्वे के शुष्क क्षेत्रों में प्रमाणित बीज की निरंतर उपलब्धता हेतु बीज प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण

  • जैव-संवर्धित फसलों के उपयोग को बढ़ाने के लिए पोषण शिक्षा

  • उत्पादकता और जलवायु सहनशीलता बढ़ाने हेतु क्लाइमेट-स्मार्ट कृषि प्रशिक्षण

  • पोषक-समृद्ध अनाज और मूल्य-वर्धित उत्पादों के लिए बाज़ार विकास का समर्थन

प्रजनक का संदेश

आईसीआरआईसैट के बाजरा प्रजनक डॉ. हेनरी ओजुलुंग ने कहा,
“ये किस्में उन माताओं के लिए आशा हैं जो बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन चाहती हैं, उन किसानों के लिए उम्मीद हैं जो जलवायु चुनौतियों से जूझ रहे हैं, और उन समुदायों के लिए भविष्य का रास्ता हैं जो बेहतर आजीविका चाहते हैं। जैव-संवर्धित बाजरा के साथ हम जिम्बाब्वे के शुष्क क्षेत्रों में कृषि और पोषण को रूपांतरित कर रहे हैं।”

कृषि परिवर्तन की दिशा में मील का पत्थर

इनियाडी कॉम्पोज़िट 1501 और ICMP 177003 का विमोचन जिम्बाब्वे के कृषि परिवर्तन एजेंडे में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका क्षेत्र की पहली जैव-संवर्धित बाजरा किस्मों के रूप में ये किस्में क्षेत्रीय स्तर पर व्यापक अपनाने, बेहतर पोषण परिणाम और विज्ञान-आधारित सुदृढ़ खेती प्रणालियों का मार्ग प्रशस्त करती हैं।

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