जीनोम एडिटेड चावल ‘कमला’ की गूंज, ICAR-IIRR स्थापना दिवस सम्पन्न

आईसीएआर–आईआईआरआर ने उत्साहपूर्वक मनाया स्थापना दिवस

हैदराबाद। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीन भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (ICAR–IIRR), राजेंद्रनगर, हैदराबाद अपना स्थापना दिवस डॉ. एस.वी.एस. शास्त्री सभागार में शैक्षणिक गरिमा और उत्साह के साथ मनाया। कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, प्रशासकों, पूर्व अधिकारियों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

कार्यक्रम की शुरुआत वंदे मातरम् के सामूहिक गायन और इसके पश्चात आईसीएआर गीत से हुई। इसके बाद दीप प्रज्ज्वलन कर औपचारिक कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

संस्थान की उपलब्धियों का प्रस्तुतीकरण

संस्थान के निदेशक डॉ. आर. एम. सुंदरम ने स्वागत भाषण देते हुए आईसीएआर–आईआईआरआर की प्रमुख उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने चावल की उन्नत किस्मों के विकास, जलवायु-अनुकूल प्रौद्योगिकियों, पोषण सुरक्षा तथा किसान-केंद्रित नवाचारों में संस्थान के योगदान को रेखांकित किया।

मुख्य अतिथि का संबोधन

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. डी. के. यादव, उप महानिदेशक (फसल विज्ञान), आईसीएआर, नई दिल्ली, ऑनलाइन माध्यम से शामिल हुए। उन्होंने देश की चावल आधारित खाद्य प्रणाली को सशक्त बनाने में आईसीएआर–आईआईआरआर की भूमिका की सराहना की तथा जलवायु परिवर्तन, सतत कृषि और खाद्य सुरक्षा जैसी उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए उन्नत अनुसंधान एवं नवाचार की आवश्यकता पर बल दिया।

विशिष्ट अतिथियों के विचार

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. अल्दास जनैया, कुलपति, प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय (PJTAU), हैदराबाद; डॉ. एस. के. राव, पूर्व कुलपति, आरएसकेवीवी, ग्वालियर; डॉ. एस. के. प्रधान, सहायक महानिदेशक (FFC), आईसीएआर, नई दिल्ली; डॉ. पी. वी. सत्यनारायण, निदेशक (अनुसंधान), आचार्य एन.जी. रंगा कृषि विश्वविद्यालय (ANGRAU), गुंटूर तथा डॉ. प्रशांत कुमार दास, एडीजी (वाणिज्यिक फसलें), आईसीएआर, ऑनलाइन रूप से जुड़े।
अतिथियों ने अनुसंधान–नीति–प्रसार के बेहतर समन्वय और किसानों तक चावल अनुसंधान के प्रभाव को और सशक्त बनाने पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने वर्ष 2025 में संस्थान की प्रगति और उपलब्धियों के लिए कर्मचारियों की सराहना की तथा विशेष रूप से संस्थान के नेतृत्व और प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सत्येंद्र कुमार मंगरौथिया द्वारा विकसित जीनोम-संपादित चावल लाइन ‘कमला’ की प्रशंसा की।

डॉ. एस.वी.एस. शास्त्री स्मृति व्याख्यान

स्थापना दिवस के अवसर पर प्रतिष्ठित डॉ. एस.वी.एस. शास्त्री स्मृति व्याख्यान प्रो. अल्दास जनैया द्वारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने चावल किस्मों के व्यावसायीकरण की आर्थिक परिदृश्य, कृषि अर्थशास्त्र की समकालीन चुनौतियों, चावल क्षेत्र के रूपांतरण तथा खाद्य एवं आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करने की रणनीतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने वैश्विक स्तर पर चावल किस्मों के व्यावसायीकरण और उनके आर्थिक प्रभावों के समन्वय का आह्वान किया।

श्रेष्ठ कर्मी और शोध पत्र पुरस्कार

कार्यक्रम के अंतर्गत वैज्ञानिक, तकनीकी और प्रशासनिक श्रेणियों में श्रेष्ठ कर्मी पुरस्कार तथा श्रेष्ठ शोध पत्र पुरस्कार 2025 प्रदान किए गए।
समर्थन स्टाफ श्रेणी में श्रीमती एम. गोविंदम्मा और श्रीमती डी. पद्मम्मा को सम्मानित किया गया। प्रशासनिक श्रेणी में श्रीमती अपर्णा दास (पीएस एवं डीडीओ) तथा श्री एस. ए. हुसैन (एएओ) को पुरस्कार मिला। तकनीकी वर्ग में श्रीमती के. पद्मजा, श्री पी. चंद्रकांत और श्री डी. श्रीनिवास राव को सम्मानित किया गया। वैज्ञानिक वर्ग में डॉ. च. पद्मावती, डॉ. वी. प्रकाशम, डॉ. कल्याणी एम. बार्बाडिकर और डॉ. बंदेप्पा को पुरस्कार प्रदान किए गए।
वहीं, श्रेष्ठ शोध पत्र पुरस्कार 2025 डॉ. ज्योति बद्री, डॉ. के. श्रुति (फसल सुधार), डॉ. गोपीनाथ, डॉ. विजयकुमार एस. (फसल उत्पादन), डॉ. वाई. श्रीधर, डॉ. सतीश चव्हाण (फसल संरक्षण) तथा डॉ. अम्तुल वारिस, डॉ. पी.ए. लक्ष्मी प्रसन्ना (टीटीटी) एवं उनके सह-लेखकों को प्रदान किए गए।

चित्र:सौजन्य IIRR, Social Media

Leave a Comment