ICAR–CMFRI के वैज्ञानिक अनुसंधान से भारत को बड़ी सफलता: अमेरिकी बाजार में बरकरार रहा अरबों डॉलर का समुद्री खाद्य व्यापार 🐋
कोच्चि, – भारत के समुद्री मत्स्य और सीफूड निर्यात क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत के समुद्री खाद्य (Seafood) निर्यात को अपने सख्त Marine Mammal Protection Act (MMPA) के अनुरूप घोषित कर दिया है। इस निर्णय से भारत का अरबों डॉलर का सीफूड व्यापार सुरक्षित हो गया है और संभावित निर्यात प्रतिबंध से राहत मिली है।
🌏🔬 ICAR–CMFRI की वैज्ञानिक उपलब्धि बनी भारत की ढाल
यह सफलता भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अंतर्गत आने वाले सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMFRI), कोच्चि के अग्रणी वैज्ञानिक नेतृत्व और अनुसंधान के कारण संभव हुई। संस्थान ने समुद्री स्तनधारियों (Marine Mammals) पर व्यापक और वैज्ञानिक डेटा उपलब्ध कराकर भारत की अनुपालन रिपोर्ट तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अमेरिकी सरकार ने सभी सीफूड निर्यातक देशों से यह प्रमाणित करने को कहा था कि उनकी मछली पकड़ने की गतिविधियाँ समुद्री स्तनधारियों को अस्थिर या असुरक्षित हानि नहीं पहुँचातीं। भारत के पास इस विषय पर विश्वसनीय डेटा की कमी थी, जिससे अमेरिकी बाजार में निर्यात को लेकर अनिश्चितता बनी हुई थी।
🇮🇳💙 2020 में शुरू हुआ अग्रणी शोध अभियान
इस चुनौती का सामना करने के लिए ICAR–CMFRI ने मरीन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (MPEDA) के वित्तीय सहयोग से वर्ष 2020 में एक ऐतिहासिक शोध परियोजना शुरू की। इस परियोजना के अंतर्गत भारत के आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में समुद्री स्तनधारियों की संख्या और bycatch (अनजाने में फंसे समुद्री जीवों) पर वैज्ञानिक आंकड़े एकत्र किए गए।
इन निष्कर्षों के आधार पर तैयार “Comparability Finding Analysis Report” को हाल ही में अमेरिकी नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने स्वीकृति प्रदान की। इससे भारत से अमेरिका को समुद्री खाद्य निर्यात निर्बाध रूप से जारी रहेगा।
🇮🇳🐋 देश का पहला समुद्री स्तनधारी स्टॉक आकलन
MPEDA द्वारा अप्रैल 2020 में आयोगित यह परियोजना “Assessment of Marine Mammals Stock and Bycatch of Marine Mammals and Sea Turtle” शीर्षक से चलाई गई। इस कार्य में CMFRI, फिशरी सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) और ICAR–सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ फिशरीज टेक्नोलॉजी (CIFT) ने संयुक्त रूप से भाग लिया।
इस परियोजना के तहत भारत के तटीय और गहरे समुद्री क्षेत्रों में vessel-based line-transect methodology के माध्यम से पहली बार प्रजाति-स्तर पर समुद्री स्तनधारियों की जनसंख्या का आकलन किया गया।
🐬📊 ब्लू व्हेल से लेकर डॉल्फ़िन तक — पहली बार वैज्ञानिक गणना
अध्ययन के पहले चरण में ब्लू व्हेल, स्पर्म व्हेल, डॉल्फ़िन और पोर्पॉइज़ सहित 18 समुद्री स्तनधारी प्रजातियों की जनसंख्या का वैज्ञानिक अनुमान लगाया गया।
साथ ही, Potential Biological Removal यानी जैविक रूप से स्वीकार्य पकड़ सीमा का आकलन किया गया और 8,000 से अधिक मछुआरों के साक्षात्कार से प्राप्त वास्तविक bycatch डेटा से तुलना की गई। परिणामों से पता चला कि भारत के समुद्री मत्स्य संचालन पूरी तरह सतत (Sustainable) स्तर पर हैं।
🌏🔬 भारत की विज्ञान, नीति और व्यापार में एकीकृत सफलता
यह उपलब्धि न केवल वैज्ञानिक उत्कृष्टता का उदाहरण है, बल्कि कूटनीतिक और आर्थिक दृष्टि से भी बड़ी सफलता है। CMFRI ने विज्ञान, नीति और व्यापार को जोड़कर भारत के समुद्री निर्यात को सुरक्षित किया है और समुद्री पारिस्थितिकी की दीर्घकालिक सेहत सुनिश्चित की है।
भारत अब सतत मत्स्य प्रबंधन और ब्लू इकोनॉमी में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा चुका है।
(स्रोत: ICAR–सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट, कोच्चि)
चित्र: AI