डिजिटल तकनीक से रेड पाम वीविल पर वार
ICRISAT हैदराबाद में C4RPWC के अंतर्गत वर्कस्ट्रीम–3 (डिजिटल इनोवेशंस) का शुभारंभ
ICRISAT, Hyderabad hosted the launch of Workstream 3 – Digital Innovations under the Consortium for Red Palm Weevil Control (C4RPWC), marking a major global effort to combat one of the most destructive pests of date palms. Supported by the UAE Presidential Court and the Gates Foundation, the initiative focuses on predictive digital tools, early detection, and early warning systems using technologies such as remote sensing, IoT, AI, and satellite data. Led by ICARDA with ICRISAT spearheading the digital workstream, the three-year program aims to deliver affordable, field-ready solutions to protect date palms, farmers’ livelihoods, and ecosystems worldwide.
हैदराबाद। खजूर की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाने वाले रेड पाम वीविल (Red Palm Weevil–RPW) की चुनौती से निपटने के लिए डिजिटल तकनीकों को केंद्र में रखते हुए एक महत्वपूर्ण वैश्विक पहल की शुरुआत हुई है। अंतरराष्ट्रीय अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT), हैदराबाद में कंसोर्टियम फॉर रेड पाम वीविल कंट्रोल (C4RPWC) के अंतर्गत वर्कस्ट्रीम–3: डिजिटल इनोवेशंस का औपचारिक शुभारंभ किया गया।
यह तीन वर्षीय ग्लोबल कार्यक्रम (The Presidential Court of the UAE and The Gates Foundation,) के सहयोग से संचालित है, जिसका उद्देश्य रेड पाम वीविल के प्रबंधन में मौजूद अहम खामियों को दूर करते हुए प्रारंभिक पहचान (Early Detection) और पूर्व चेतावनी प्रणालियों (Early Warning Systems) को सशक्त बनाना है।
खजूर सिर्फ फसल नहीं, जीवनरेखा
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. स्टैनफोर्ड ब्लेड, उप महानिदेशक (अनुसंधान एवं नवाचार), ICRISAT ने कहा,
“मध्य पूर्व की कई सभ्यताओं में खजूर के पेड़ों को मां के समान माना जाता है। ऐसे में जब यह कीट इन्हें नष्ट करता है, तो सामाजिक और आर्थिक तबाही की कल्पना की जा सकती है। इस कंसोर्टियम के माध्यम से हम विज्ञान को व्यावहारिक समाधान और नए अवसरों में बदलने की दिशा में काम कर रहे हैं।”
पांच वर्कस्ट्रीम पर आधारित ग्लोबल पहल
ICARDA (International Center for Agricultural Research in the Dry Areas) के नेतृत्व में संचालित C4RPWC कार्यक्रम को पांच प्रमुख वर्कस्ट्रीम में विभाजित किया गया है—
-
नवाचारी जैव-आधारित समाधान
-
जैव-प्रौद्योगिकी नवाचार
-
डिजिटल नवाचार
-
गुड एग्रीकल्चरल प्रैक्टिसेज (GAP) नवाचार
-
अपनाने और विस्तार को बढ़ावा देना
हैदराबाद में आयोजित यह कार्यक्रम विशेष रूप से वर्कस्ट्रीम–3 की शुरुआत का प्रतीक बना, जिसका फोकस डिजिटल निगरानी और पूर्व चेतावनी उपकरणों के विकास और सत्यापन पर है।
डिजिटल तकनीक से होगी समय से पहले पहचान
डॉ. श्रीकांत रुपावथारम, वरिष्ठ वैज्ञानिक (डिजिटल एग्रीकल्चर), ICRISAT ने बताया कि इस वर्कस्ट्रीम का नेतृत्व करते हुए ICRISAT रिमोट सेंसिंग, IoT, सिटिजन साइंस और शुष्क भूमि कृषि में अपने पांच दशकों के अनुभव का उपयोग करेगा।
उन्होंने कहा, “हम रेड पाम वीविल के लिए एक एकीकृत, किफायती और फील्ड-रेडी अर्ली डिटेक्शन और अर्ली वार्निंग फ्रेमवर्क विकसित करेंगे, ताकि समाधान व्यवहारिक और किसानों के लिए सुलभ रहें।”
स्टेज माइनस टू’ पर पहचान का लक्ष्य
ICARDA के वरिष्ठ जलवायु वैज्ञानिक डॉ. अजीत गोविंद ने कहा,
“दशकों के शोध और निवेश के बावजूद अब तक इस कीट को नियंत्रित करने का कोई एकल समाधान नहीं मिल पाया है। यह कंसोर्टियम समय की मांग है।”
वहीं, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस के प्रोफेसर और स्पेक्ट्रल एनालिटिक्स के संस्थापक प्रो. क्रिश्चियन नैनसेन ने कहा,
“अगर हम समस्या को केवल तब देखते रहेंगे जब वह दिखाई दे, तो हम हमेशा देर से पहुंचेंगे। हमारा लक्ष्य ‘स्टेज माइनस टू’—यानी संक्रमण से पहले की संवेदनशीलता की पहचान करना है।”
बहु-विषयक दृष्टिकोण और डिजिटल पद्धति
कार्यक्रम के दौरान डॉ. देबी साहू, डिजिटल एग्रीकल्चर विशेषज्ञ, ICRISAT ने संक्रमण की प्रगति को शुरुआती, बिना लक्षण वाले चरणों से ट्रैक करने की मल्टी-स्टेज डिजिटल मेथडोलॉजी प्रस्तुत की। इस पर कीट विज्ञान, महामारी विज्ञान, सामाजिक-आर्थिक अध्ययन, पारंपरिक ज्ञान और किसान-केंद्रित डिजाइन को लेकर व्यापक चर्चा हुई।
रेड पाम वीविल विशेषज्ञ एलशाफी हमदत्तु (ICARDA) ने वर्चुअल रूप से जुड़कर समय रहते पहचान की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि नुकसान अपूरणीय होने से पहले रोकथाम संभव हो सके।
CGIAR रणनीति से जुड़ी पहल
CGIAR डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन एक्सेलेरेटर के अंतरिम निदेशक श्री राम किरण धुलिपाला ने इस वर्कस्ट्रीम को CGIAR की 2030 अनुसंधान एवं नवाचार रणनीति से जोड़ते हुए बताया कि डिजिटल सिस्टम्स डेटा एकीकरण, तेज पहुंच और बड़े पैमाने पर प्रभावी डिलीवरी में अहम भूमिका निभाएंगे।
अगले तीन वर्षों की कार्ययोजना
वर्ष 2026 से 2028 के बीच, यह साझेदारी एल्गोरिद्म से फील्ड ट्रायल और पायलट से स्केलेबल प्लेटफॉर्म की ओर बढ़ेगी। इसमें इन-सीटू सेंसर, UAVs, सैटेलाइट इमेजरी, मौसम डेटा और विश्लेषणात्मक मॉडल्स को जोड़कर कार्यान्वयन योग्य पूर्व चेतावनियां विकसित की जाएंगी। लक्ष्य है—खजूर के पेड़ों, किसानों की आजीविका और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा।
कंसोर्टियम फॉर रेड पाम वीविल कंट्रोल (C4RPWC) कार्यक्रम के बारे में
C4RPWC एक महत्वाकांक्षी, अंतरराष्ट्रीय और बहु-संस्थागत तीन वर्षीय कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य विश्व स्तर पर खजूर की खेती को प्रभावित करने वाले रेड पाम वीविल से निपटना है। ICARDA के नेतृत्व में यह कार्यक्रम विज्ञान-आधारित, पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ समाधान विकसित, परीक्षण और विस्तार करेगा। संयुक्त अरब अमीरात को केंद्र बिंदु बनाते हुए, यह पहल उन रणनीतियों को स्थापित करेगी जिन्हें अन्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में भी अपनाया जा सकेगा।