जापानी बटेर का कारोबार, कम लागत अधिक मुनाफा

बटेर पालन: भारत में कम लागत और उच्च लाभ वाला व्यवसाय

भारत में बटेर पक्षी का कारोबार बेहतर मुनाफे का सौदा है। खासकर जापानी बटेर का पालन किसानों के लिए एक अतिरिक्त आय का साधन है। बाजार में एक जापानी बटेर औसतन 65 से 75 रुपए में बिकता है।

जापानी बटेर को “अंडा मशीन” भी कहा जाता है। जापानी बटेर, जिसे वैज्ञानिक रूप से Coturnix  japonica कहा जाता है, एक छोटी लेकिन व्यावसायिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण पक्षी है। इसका उपयोग मुख्य रूप से मांस और अंडे के लिए किया जाता है। यह बटेर पालन उद्योग में सबसे लोकप्रिय प्रजातियों में से एक है।

विशेषताएँ

गुण विवरण
आकार और वजन वयस्क बटेर का वजन 120-150 ग्राम तक होता है। नर बटेर मादा की तुलना में थोड़ा हल्का होता है।
आयु सीमा इन का जीवनकाल लगभग 2-3 वर्ष होता है।
रंग भूरे और सफेद रंग की धारियों के साथ हल्का भूरा रंग।
अंडा उत्पादन एक मादा बटेर सालाना लगभग 280-300 अंडे देती है। अंडे का वजन 8-10 ग्राम होता है।
मांस उत्पादन इनका मांस स्वादिष्ट और प्रोटीन से भरपूर होता है।
परिपक्वता आयु 6-7 सप्ताह की उम्र में पूर्ण परिपक्वता प्राप्त कर लेते हैं।

व्यावसायिक इस्तेमाल

  1. अंडा उत्पादन: जापानी बटेर को “अंडा मशीन” भी कहा जाता है। यह अपने छोटे आकार के बावजूद भारी मात्रा में अंडे देने के लिए प्रसिद्ध है। इनके अंडे में कोलेस्ट्रॉल कम और प्रोटीन अधिक होता है।
  2. मांस उत्पादन: इनका मांस न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। बटेर मांस की मांग होटल और रेस्तरां में तेजी से बढ़ रही है।
  3. अनुसंधान में उपयोग: जापानी बटेर का उपयोग जैविक अनुसंधान में एक मॉडल प्रजाति के रूप में किया जाता है।

अनुकूलता और पालन की आवश्यकताएं

  1. आवास: इन्हें छोटे और नियंत्रित स्थान में आसानी से पाला जा सकता है। प्रति पक्षी के लिए 1 वर्ग फुट जगह पर्याप्त होती है।
  2. आहार: संतुलित आहार, जिसमें प्रोटीन, कैल्शियम, और विटामिन प्रचुर मात्रा में हो, इनकी उत्पादकता को बढ़ाता है। इनके भोजन में मक्का, चोकर, और प्रोटीन मिश्रण शामिल होता है।
  3. जलवायु: जापानी बटेर को 20-30 डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान में पाला जा सकता है। उष्णकटिबंधीय जलवायु इनके लिए अनुकूल है।

फायदे

  • कम लागत: बटेर पालन में लागत कम और लाभ अधिक होता है।
  • त्वरित उत्पादन चक्र: 6-7 सप्ताह में यह बाजार के लिए तैयार हो जाते हैं।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता: अन्य पोल्ट्री पक्षियों की तुलना में यह अधिक रोग प्रतिरोधक होते हैं।

चुनौतियाँ

  • अत्यधिक तापमान सहन करने में कठिनाई।
  • रोग प्रबंधन की आवश्यकता।
  • उचित बाजार की उपलब्धता का अभाव।

केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (CARI), इज्जतनगर द्वारा विकसित बटेर प्रजातियाँ

केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (CARI), इज्जतनगर, उत्तर प्रदेश, भारत में पोल्ट्री अनुसंधान और विकास का एक प्रमुख केंद्र है। इस संस्थान ने बटेर पालन को बढ़ावा देने और भारतीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त उच्च उत्पादकता वाली बटेर प्रजातियों का विकास करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यहाँ CARI द्वारा विकसित बटेर प्रजातियों का विवरण दिया गया है:

  1. CARI Ujjawal
  • विशेषताएँ: यह मांस उत्पादन के लिए विकसित की गई प्रजाति है। तेज़ वृद्धि और अधिक वजन की क्षमता। नर का वजन लगभग 180-200 ग्राम और मादा का वजन 200-220 ग्राम तक होता है।
  • उपयोग: मांस उत्पादन में अत्यधिक लाभदायक। व्यावसायिक बटेर पालन में व्यापक रूप से इस्तेमाल होती है।
  1. CARI Sweta
  • विशेषताएँ: सफेद पंखों वाली आकर्षक प्रजाति। यह मांस और अंडा दोनों के लिए उपयोगी है। 6 सप्ताह में पूरी तरह परिपक्व हो जाती है।
  • उपयोग: दोहरे उद्देश्य (मांस और अंडा) के लिए आदर्श। तेज़ी से वजन बढ़ाने और उच्च अंडा उत्पादन की क्षमता।
  1. CARI Pearl
  • विशेषताएँ: सुंदर और चमकीले सफेद रंग के पंख। अंडा उत्पादन के लिए विकसित की गई विशेष प्रजाति। अंडा उत्पादन क्षमता: 280-300 अंडे प्रति वर्ष।
  • उपयोग: अंडा उत्पादन के लिए आदर्श। पोल्ट्री फार्मिंग में कम जगह और कम लागत के साथ अधिक उत्पादन।
  1. CARI Brown
  • विशेषताएँ: भूरी धारियों वाले पंख। भारतीय जलवायु में बेहतर अनुकूलता। तेजी से वजन बढ़ाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता।
  • उपयोग: ग्रामीण क्षेत्रों में पालन के लिए आदर्श। अंडा और मांस उत्पादन दोनों के लिए उपयोगी।
  1. CARI Sakhi
  • विशेषताएँ: विशेष रूप से अनुसंधान और जैविक अध्ययन के लिए विकसित की गई। स्थिर उत्पादन और कम रखरखाव की आवश्यकता।
  • उपयोग: अनुसंधान और प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए।

CARI के योगदान का महत्व:

  1. भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल: ये प्रजातियाँ भारतीय जलवायु और छोटे किसानों की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित की गई हैं।
  2. मांस और अंडा उत्पादन: इन प्रजातियों का उपयोग मांस और अंडे के उत्पादन के लिए व्यावसायिक स्तर पर किया जाता है।
  3. रोग प्रतिरोधक क्षमता: इन प्रजातियों में रोगों के प्रति बेहतर प्रतिरोधक क्षमता होती है, जिससे उनके पालन में कम जोखिम होता है।
  4. प्रशिक्षण और सहायता: CARI किसान और उद्यमियों को प्रशिक्षण, तकनीकी जानकारी, और प्रजनन सामग्री उपलब्ध कराता है।

निष्कर्ष
CARI द्वारा विकसित बटेर प्रजातियाँ भारत में बटेर पालन को व्यावसायिक और लाभदायक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इन प्रजातियों की विशेषताएँ जैसे तेज़ वृद्धि, उच्च अंडा उत्पादन, और भारतीय जलवायु में अनुकूलता, इन्हें बटेर पालन के लिए उपयुक्त बनाती हैं।

जापानी बटेर एक बहुउपयोगी और लाभकारी पक्षी है, जिसे पालन के लिए कम जगह, कम लागत, और कम समय में तैयार किया जा सकता है। यह छोटे और मध्यम किसानों के लिए एक आदर्श व्यवसाय है और भारत में पोल्ट्री उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है।

इस तरह के व्यवसाय में अगर सही तरीके से काम किया जाए तो अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। बटेर पालन को छोटे स्तर से शुरू कर बड़े स्तर तक विस्तारित किया जा सकता है।

सौजन्य से:- प्रोफेसर राज नारायण, इन्होंने 1972 से ही जापान से  लाए गए  बटेर पर अनुसंधान किया और उन्हे भारत के जलवायु के अनुकूल बनाया (इन्हे सम्मान पूर्वक “फादर ऑफ इंडियन जापानी बटेर भी कहा जाता है)।

CARI इज्जतनगर द्वारा इन विकसित जापानी बटेर की विभिन्न प्रजातियों के बटेर और अंडे भी उपलब्ध कराए जाते है। जिसे पहले ही बुकिंग करनी पड़ती है और इज्जतनगर, बरेली से जाकर लाना होता है। इनके वेबसाईट पर बुकिंग की सूचना जारी की जाती है।

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