खुमताई और भुलागुरी में बुआई, जल्द मिलेगा पौध का सहारा
बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए केवीके गोलाघाट और एनआरएल की सामूहिक पहल, खुमताई व भुलागुरी में सामुदायिक धान नर्सरी कार्यक्रम की शुरुआत
गोलाघाट, — गोलाघाट जिले के कई हिस्सों में हाल ही में आई भीषण बाढ़ ने किसानों की तैयार फसलों, विशेष रूप से धान की खेती को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। खेतों में पानी भर जाने से जहां फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं, वहीं किसानों की आजीविका पर भी गहरा संकट मंडराने लगा है। इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में किसानों को राहत पहुंचाने और उन्हें दोबारा खेती की राह पर लौटाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), गोलाघाट ने बाढ़-उपरांत आकस्मिक कृषि योजना (Post-Flood Contingency Programme) की शुरुआत की है।
इस योजना को नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (NRL) की कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) इकाई से वित्तीय सहायता प्राप्त हो रही है। इस सहयोग के तहत बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए सामुदायिक धान नर्सरी की स्थापना की जा रही है, जिससे उन्हें समय पर पौध रोपण के लिए धान की स्वस्थ व गुणवत्तापूर्ण पौध मिल सके।
खुमताई में कार्यक्रम का शुभारंभ
इस महत्त्वपूर्ण योजना की शुरुआत 18 जुलाई 2025 को सुबह खुमताई स्थित केवीके फार्म में धान बीज की बुआई के साथ हुई। इस अवसर पर केवीके गोलाघाट के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख डॉ. एम. कटकी के साथ संस्था के वैज्ञानिकों, तकनीकी कर्मचारियों और स्थानीय किसानों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत सामूहिक रूप से बीज छिड़काव से हुई, जिसके बाद वैज्ञानिकों ने उपस्थित किसानों को नर्सरी प्रबंधन, रोग नियंत्रण और पौध की देखरेख संबंधी आवश्यक तकनीकी जानकारी दी।
डॉ. कटकी ने कहा,
“गोलाघाट के किसान हर साल प्राकृतिक आपदाओं से जूझते हैं। इस बार बाढ़ ने धान की खेती को काफी नुकसान पहुंचाया है। हम प्रयासरत हैं कि समय रहते किसानों को स्वस्थ पौध मिले ताकि वे फिर से खेती शुरू कर सकें और उनकी आजीविका को मजबूती मिल सके।”
भुलागुरी में भी आयोजित हुआ सामुदायिक बीज बुआई कार्यक्रम
इसी दिन दोपहर में दूसरा कार्यक्रम भुलागुरी कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) में आयोजित किया गया। यहां भी सामुदायिक धान नर्सरी की स्थापना के लिए बीज बुआई की गई। इस कार्यक्रम में केवीके गोलाघाट की टीम, एनआरएल CSR इकाई के प्रतिनिधि, स्थानीय कृषक और कृषिकर्मी शामिल हुए।
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित वैज्ञानिकों ने बताया कि इन सामुदायिक नर्सरियों से तैयार होने वाली पौधियां 20-25 दिनों में रोपाई के लिए तैयार होंगी, जिससे समय की बचत होगी और दोबारा खेती करने का अवसर मिलेगा।
किसानों के लिए आशा की किरण
केवीके गोलाघाट और एनआरएल का यह संयुक्त प्रयास बाढ़ से प्रभावित किसानों के लिए आशा की एक नई किरण बनकर सामने आया है। इससे न केवल फसल पैदावार की निरंतरता सुनिश्चित होगी, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिरता और आजीविका सुरक्षा में भी सहायता मिलेगी। आने वाले दिनों में इन नर्सरियों से सैकड़ों किसानों को धान की पौध वितरित की जाएगी।
चित्र: सोशल मीडिया,केवीके गोलाघाट